
देहरादून, 24 सितंबर। उत्तराखंड में हालिया आपदा से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में गिने जा रहे भीतरली कंडरियाणा (किमाड़ी ब्लॉक) का बुधवार को जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने आपदा पीड़ित ग्रामीणों से मुलाकात की, उनकी समस्याएँ सुनीं और राहत व पुनर्वास कार्यों की प्रगति का जायजा लिया।
जिलाधिकारी ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है, जब तक हर प्रभावित को सहायता और पुनर्वास नहीं मिल जाता, तब तक जिला प्रशासन चैन से नहीं बैठेगा।
दुर्गम रास्ते पार कर पहुँचा प्रशासनिक अमला
भीतरली कंडरियाणा पूरी तरह कट-ऑफ है और यहाँ तक पहुँचना बेहद कठिन है। डीएम व प्रशासनिक अमले को गाढ़, गदेरे और ढौंड-ढंगार लांघते हुए लगभग 5 किलोमीटर का दुर्गम पैदल मार्ग तय करना पड़ा। अधिकारियों की टीम ने मौके पर पहुँचकर प्रभावित परिवारों से सीधा संवाद किया और आपदा से हुई क्षति का आकलन किया।
डीएम ने तहसीलदार समेत वरिष्ठ अधिकारियों को क्षेत्र में कैंप करने के निर्देश दिए, ताकि प्रभावितों की समस्याओं का समाधान तुरंत हो सके।
खेत, खलिहान, मकान और बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान
ग्रामीणों ने बताया कि अतिवृष्टि से गाँव के कई भवनों में दरारें आ गई हैं और दो गौशालाएँ पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। पहाड़ी के दोनों तरफ से आया मलबा और नीचे से नदी की कटान के कारण लगभग 11 आवासीय भवन खतरे की जद में हैं।
- कृषि भूमि व फसलें बर्बाद हुईं
- पेयजल लाइन और सिंचाई गूल टूट गई
- गांव को जोड़ने वाला पैदल पुल बह गया
- 8.4 किलोमीटर लंबा किमाड़ी–भीतरली कंडरियाणा मोटर मार्ग 13 स्थानों पर क्षतिग्रस्त हुआ
ग्रामीणों ने डीएम से अवैध खनन की भी शिकायत की और कहा कि इससे भू-क्षरण और तेज़ हो रहा है।
विस्थापन प्रक्रिया होगी शुरू
गंभीर खतरे को देखते हुए डीएम ने कहा कि गांव का विस्थापन अनिवार्य है। उन्होंने तत्काल समिति गठित कर विस्थापन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर बसाने के लिए शासन को शीघ्र प्रस्ताव भेजा जाएगा।
मुआवजा और राहत कार्य में तेजी
जिलाधिकारी ने तहसीलदार और लोक निर्माण विभाग के जेई को निर्देश दिए कि आंशिक, तीव्र और पूर्ण क्षति वाले मकानों का सर्वे उसी दिन पूरा कर रिपोर्ट उपलब्ध कराएँ, ताकि प्रभावितों को राहत राशि वितरण शीघ्र किया जा सके।
कृषि और उद्यान विभाग को भी निर्देशित किया गया कि वे गांव में कैंप कर क्षतिग्रस्त फसलों और भूमि का आकलन करें और तुरंत रिपोर्ट दें, ताकि किसानों को मुआवजा मिल सके।
सड़क और पेयजल बहाली पर जोर
पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता ने डीएम को जानकारी दी कि मोटर मार्ग पर दोनों तरफ से जेसीबी लगाई गई है और अब केवल 1.5 किलोमीटर हिस्सा बाधित है। पूरी सड़क को 28 सितंबर तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।
पेयजल लाइन पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने से गाँव में संकट गहराया हुआ है। जल संस्थान ने बताया कि मरम्मत कार्य चल रहा है और फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
सिंचाई विभाग को क्षतिग्रस्त गूल की मरम्मत हेतु प्रस्ताव बनाने का आदेश दिया गया, जबकि ब्लॉक अधिकारियों को ग्रामीण मार्गों के पुनर्निर्माण हेतु रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश मिले।
राशन कार्ड की शिकायत पर तुरंत कैंप
गाँव में कुछ परिवारों के नाम राशन कार्ड में न जुड़ने की शिकायत मिली। इस पर डीएम ने डीएसओ को तत्काल कैंप लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कल से ही कैंप लगाकर पात्र परिवारों की समस्या का समाधान किया जाएगा।
युद्धस्तर पर जारी हैं राहत कार्य
निरीक्षण के दौरान डीएम ने सभी विभागों को सख्त निर्देश दिए कि राहत और बहाली कार्यों में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाए। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर काम चल रहा है और पेयजल आपूर्ति, सड़क संपर्क और बिजली व्यवस्था जल्द बहाल की जाएगी।
प्रशासन की प्रतिबद्धता
डीएम सविन बंसल ने प्रभावित परिवारों से कहा कि आपदा की इस घड़ी में प्रशासन हर कदम पर उनके साथ खड़ा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रभावितों को हर संभव मदद मिलेगी और मुआवजे की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी।
मौके पर मौजूद रहे अधिकारी
निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, जिला विकास अधिकारी सुनील कुमार, डीएसओ के.के. अग्रवाल सहित सड़क, पेयजल, विद्युत, सिंचाई एवं अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।