
नई दिल्ली: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच की ताज़ा रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति का एक गंभीर पहलू उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के 30 मुख्यमंत्रियों में से लगभग 40% यानी 12 मुख्यमंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से कई मामलों की प्रकृति गंभीर है, जो राजनीति और अपराध के गठजोड़ को सामने लाता है।
किन-किन राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल?
ADR के मुताबिक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली, झारखंड, केरल, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों पर विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से कुछ नेताओं के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं, जबकि कुछ पर राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े मुकदमे दर्ज हुए हैं।
संपत्ति का ब्योरा भी चौंकाने वाला
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मुख्यमंत्रियों की औसत संपत्ति 54.42 करोड़ रुपये है।
- सबसे अमीर मुख्यमंत्री आंध्र प्रदेश के वाईएस जगन मोहन रेड्डी हैं, जिनकी संपत्ति 500 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है।
- अरबपति मुख्यमंत्री की सूची में तेलंगाना के के. चंद्रशेखर राव भी शामिल हैं।
- कुल 30 मुख्यमंत्रियों की संपत्ति मिलाकर 1,632 करोड़ रुपये से अधिक है।
कितने पढ़े-लिखे हैं CM?
ADR विश्लेषण बताता है कि 30 मुख्यमंत्रियों में से 27 स्नातक या उससे अधिक शिक्षित हैं। केवल 3 मुख्यमंत्री ही स्नातक से नीचे की पढ़ाई वाले हैं।
राजनीतिक विमर्श में उठे सवाल
रिपोर्ट के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सवाल उठाया है कि जब देश की सर्वोच्च कार्यपालिका पदों पर बैठे नेताओं पर ही आपराधिक मामले दर्ज हों, तो आम जनता में न्याय और कानून के प्रति भरोसा कैसे मजबूत होगा? वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनता को चुनाव में वोट डालते समय केवल जातीय और क्षेत्रीय समीकरण नहीं, बल्कि उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड और संपत्ति का हिसाब भी देखना चाहिए।
क्यों अहम है यह रिपोर्ट?
भारत में राजनीति में बढ़ते आपराधिकरण को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जा रही है। ADR की यह रिपोर्ट बताती है कि वोटरों को अब और सतर्क होकर अपने नेताओं का चयन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट भी बार-बार राजनीतिक दलों से आग्रह कर चुका है कि वे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने से बचें।