
देहरादून, 5 दिसंबर। मुख्यमंत्री आवास में शुक्रवार को परिवीक्षाधीन पीसीएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इन युवा अधिकारियों का स्वागत करते हुए उन्हें राज्य की प्रशासनिक रीढ़ बताते हुए कहा कि सरकारी सेवा को केवल ‘सरकारी नौकरी’ की तरह नहीं, बल्कि जनता की सेवा के प्रति समर्पित ‘ईश्वरीय कार्य’ की भावना से ग्रहण किया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को उनके आगामी दायित्वों के लिए शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में इन्हीं युवा अधिकारियों के कार्यनिष्ठ निर्णय, संवेदनशीलता एवं नवाचार उत्तराखंड की दिशा और विकास तय करेंगे।
“प्रशासनिक सेवा समाज का दर्पण—नौकरी नहीं, जिम्मेदारी का मार्ग”
अपने संबोधन की शुरुआत में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रशासनिक सेवा का वास्तविक अर्थ पद, अधिकार या शक्ति नहीं, बल्कि उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि अधिकारी जब सेवा को ‘ईश्वरीय कार्य’ के रूप में स्वीकार करते हैं, तो उनके निर्णय स्वतः ही पारदर्शिता, मानवता और संवेदनशीलता से भर जाते हैं।
सीएम ने दोहराया कि जनता की समस्याओं को समझना, उनके बीच जाकर वास्तविक मुद्दों को पहचानना और उनका समाधान करना ही एक सच्चे अधिकारी की पहचान है। “सरकारी पद आपको प्रभाव देता है, लेकिन जनता का विश्वास आपको प्रतिष्ठा,” उन्होंने कहा।
युवा अधिकारियों से नई उम्मीदें: नवाचार, तकनीक और स्मार्ट प्रशासन पर जोर
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज का समय तेजी से बदल रहा है और प्रशासनिक तंत्र को भी उसी गति से बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि युवा अधिकारी आज तकनीक, आधुनिक विचारधारा और नवाचार से लैस हैं, इसलिए राज्य की जनता उनसे दोगुनी उम्मीदें रखती है।
उन्होंने बताया कि—
- प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल, पारदर्शी और डिजिटल बनाना समय की मांग है।
- तकनीक के उपयोग से न केवल कार्यक्षमता बढ़ती है, बल्कि जनता का सरकार पर विश्वास भी मजबूत होता है।
- समस्या-समाधान के लिए स्मार्ट और आधुनिक सोच अपनाना प्रशासन की गुणवत्ता को कई गुना बढ़ा देता है।
सीएम ने युवा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे पारंपरिक तरीकों को सम्मान देते हुए भी नई तकनीकों और प्रशासनिक सुधारों को अपनाने में अग्रणी बनें।
संवेदनशीलता को बताया प्रशासनिक सफलता का मूल तत्व
मुख्यमंत्री धामी ने प्रशासनिक सेवा में संवेदनशीलता को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि कोई भी अधिकारी तभी सफल होता है, जब वह जनता की पीड़ा को समझ सके और समस्या के समाधान के लिए तुरंत, गंभीर और मानवीय दृष्टिकोण से निर्णय ले।
उन्होंने कहा कि—
- जनता प्रशासन से सम्मान, न्याय और संवेदनशीलता की सबसे अधिक अपेक्षा करती है।
- अधिकारी का व्यवहार और संवाद जनता के विश्वास को मजबूत करता है।
- नागरिकों के साथ विनम्रता और सहानुभूति एक अधिकारी की सबसे बड़ी ताकत है।
धामी ने अधिकारियों से कहा कि शिकायतें हल करना केवल कार्य नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की रक्षा करने का दायित्व है।
उत्तराखंड की भौगोलिक चुनौतियाँ: ‘पर्वतीय राज्य में सेवा आसान नहीं, पर प्रभावी हो सकती है’
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि राज्य के प्रशासनिक दायित्व मैदानों वाले राज्यों से अलग और अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि—
- दूरस्थ गांवों, ऊंचाई वाले क्षेत्रों और दुर्गम रास्तों पर सेवाएँ पहुंचाना कठिन होता है।
- प्राकृतिक आपदाएँ, भौगोलिक अलगाव और मौसम की चुनौतियाँ प्रशासनिक कार्यों को और जटिल बनाती हैं।
धामी ने कहा कि इन परिस्थितियों में अधिकारी का मनोबल, ईमानदारी, मेहनत और संवेदनशीलता ही वास्तविक बदलाव लाती है। उन्होंने कहा, “चुनौतियाँ अधिक हैं, लेकिन वही अधिकारी वास्तविक प्रशंसा पाता है जो इन चुनौतियों को अवसर में बदलकर जनता के चेहरे पर मुस्कान लाने में सफल होता है।”
‘अंतिम व्यक्ति तक योजना पहुंचाने’ का संकल्प दोहराया
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि शासन की योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, यह जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर अधिकारी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि—
- वंचित, दूरस्थ और जरूरतमंद वर्ग तक लाभ पहुँचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- किसी भी योजना का असली मूल्य तभी है जब उसका लाभ जमीनी स्तर पर दिखाई दे।
- अधिकारी अगर ईमानदारी, संवेदनशीलता और पारदर्शिता से काम करें, तो विकास का कोई लक्ष्य दूर नहीं।
ईमानदारी, पारदर्शिता और निष्पक्षता—एक अधिकारी की सबसे बड़ी पहचान
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जनता प्रशासन से निष्पक्षता और न्याय की अपेक्षा रखती है। इसलिए हर अधिकारी को अपने कार्यों में निष्ठा, उच्च आचरण और दृढ़ ईमानदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि—
- सही निर्णय लेने की क्षमता एक अधिकारी को विशिष्ट बनाती है।
- निष्पक्ष और ईमानदार रहना प्रशासनिक गरिमा का आधार है।
- जनता से जुड़ा हुआ अधिकारी ही जनता का मन जीतता है और प्रशासन को मजबूत करता है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी भी रहे उपस्थित
इस अवसर पर सचिवालय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, प्रशिक्षु पीसीएस अधिकारी और संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मुलाकात के अंत में मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि वे अपने कार्यकाल को राज्य के विकास और जनता की सेवा के लिए यादगार बनाएँ।



