
देहरादून, 10 अक्टूबर 2025: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ सोशल साइंस इंस्टीट्यूशंस (IASSI) के 24वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने सामाजिक विज्ञानों के माध्यम से नीति निर्माण और सतत विकास के गहन संबंधों पर बल देते हुए कहा कि “सामाजिक न्याय और तकनीकी नवाचार, दोनों मिलकर ही भारत को सस्टेनेबल डेवलपमेंट के नए युग में अग्रसर कर सकते हैं।”
सामाजिक विज्ञान के विविध आयामों पर होगी गहन चर्चा
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वार्षिक अधिवेशन में सामाजिक कल्याण, अर्थशास्त्र, रोजगार, उद्योग, कृषि, तकनीक, पर्यावरण और नगरीकरण जैसे विविध विषयों पर देश-विदेश के प्रतिष्ठित विद्वान विचार-विमर्श करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप राज्य और देश, दोनों स्तरों पर सामाजिक नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ठोस और व्यावहारिक सुझाव सामने आएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, “भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना को समझने के लिए हमें आधुनिक शोध और पारंपरिक ज्ञान दोनों का समन्वय करना होगा। समाज की वास्तविक समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब नीति निर्माण के केंद्र में जनता की आवाज़ और अनुभव हों।”
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ‘सबका प्रयास’ की नीति पर आगे बढ़ता भारत
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते 11 वर्षों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के मूलमंत्र को धरातल पर उतारकर दिखाया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और आयुष्मान भारत योजना जैसी पहलों ने करोड़ों परिवारों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री के प्रधान सेवक बनने के बाद शासन व्यवस्था में जो पारदर्शिता और जवाबदेही आई है, वह भारत को आत्मनिर्भर और समावेशी राष्ट्र बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है।”
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में उत्तराखंड अग्रणी
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सौर मिशन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे अभियान और प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान जैसे कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भी इन पहलों को स्थानीय स्तर पर प्रभावी रूप से लागू कर रही है, जिससे इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों और मानवीय संवेदनाओं दोनों से समृद्ध राज्य है। हम सामाजिक न्याय की अवधारणा को मजबूत करते हुए पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकास को आगे बढ़ा रहे हैं।”
सामाजिक न्याय और जनकल्याण की दिशा में ठोस कदम
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। वृद्धावस्था पेंशन में वृद्धि के साथ पति-पत्नी दोनों को पेंशन देने और सभी पेंशन योजनाओं में त्रैमासिक के स्थान पर मासिक भुगतान की व्यवस्था कर दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार का हर निर्णय “सामाजिक न्याय की भावना” को केंद्र में रखकर लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “सरकार का उद्देश्य केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इन योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।” उन्होंने बताया कि राज्य सरकार वर्ष 2030 तक सतत विकास के सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए त्रि-स्तंभीय और नौ-सूत्रीय नीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने त्रि-स्तंभीय एवं नौ-सूत्रीय नीति की शुरुआत की है, जो आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करते हुए सतत विकास के लक्ष्यों की दिशा में ठोस कदम है।
उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, पेयजल और स्वच्छता, लिंगानुपात सुधार, स्वच्छ ऊर्जा, शहरी विकास और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में राज्य लगातार प्रगति कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजना, सौर ऊर्जा क्रांति अभियान, स्मार्ट सिटी मिशन और मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना जैसी पहलें इन लक्ष्यों को सशक्त बना रही हैं।
सतत विकास में उत्तराखंड देश में अग्रणी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में उत्तराखंड देश में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और जल संसाधन प्रबंधन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य सरकार लगातार ठोस रणनीतियों पर काम कर रही है।
साझेदारी से सशक्त होगा सामाजिक विकास का ढांचा
मुख्यमंत्री ने बताया कि सामाजिक विकास को और सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार ने टाटा ट्रस्ट, नैस्कॉम और वाधवानी फाउंडेशन के साथ तीन महत्वपूर्ण समझौते किए हैं।
उन्होंने बताया कि टाटा ट्रस्ट के सहयोग से राज्य में जल प्रबंधन, पोषण, टेलीमेडिसिन, ग्रामीण आजीविका और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में कार्य हो रहा है, जबकि नैस्कॉम और वाधवानी फाउंडेशन के सहयोग से युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा, पायथन, जनरेटिव एआई और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम चाहते हैं कि उत्तराखंड को सस्टेनेबल डेवलपमेंट का मॉडल स्टेट बनाया जाए। इसके लिए सरकार और समाज दोनों का साझा प्रयास आवश्यक है।”
सम्मेलन में देश-विदेश के प्रमुख विद्वानों की सहभागिता
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, आईएएसएसआई के अध्यक्ष एवं नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सचिन चतुर्वेदी, प्रो. आर.पी. ममगांई, प्रो. आई.सी. अवस्थी, प्रो. अलख शर्मा समेत अनेक विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे। सम्मेलन में विभिन्न सत्रों के दौरान सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार, नीति अनुसंधान, समावेशी विकास और डिजिटल गवर्नेंस जैसे विषयों पर भी गहन चर्चा की जाएगी।