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उत्तराखंड में फिर बरसेगें बादल : 7 अक्टूबर तक बारिश और बर्फबारी की संभावना, IMD ने जारी किया अलर्ट

मौसम विभाग ने दी चेतावनी — चारधाम यात्रा पर निकलने वालों को सतर्क रहने की सलाह, 4000 मीटर से ऊपर बर्फबारी के आसार

देहरादून: उत्तराखंड में एक बार फिर आसमान पर काले बादल मंडराने लगे हैं। मानसून की विदाई के कुछ ही दिन बाद राज्य में मौसम एक बार फिर करवट लेने को तैयार है। पहाड़ी जिलों में बादल छाने लगे हैं और कई जगह हल्की फुहारें शुरू हो चुकी हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आगामी 5 से 7 अक्टूबर तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की चेतावनी जारी की है।

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, यह बदलाव पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी के संयुक्त प्रभाव के कारण हो रहा है। विभाग ने इसे ऑरेंज अलर्ट श्रेणी में रखा है और यात्रियों, खासकर चारधाम मार्ग पर मौजूद तीर्थयात्रियों को सावधानी बरतने की अपील की है।


5 अक्टूबर से शुरू होगी बारिश

मौसम विभाग के अनुसार, 5 अक्टूबर को राज्य के देहरादून, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की जा सकती है। इसके साथ ही बिजली कड़कने और कहीं-कहीं ओलावृष्टि की संभावना भी है।

विभाग ने कहा है कि इस दौरान निचले इलाकों में भी अचानक तेज हवाओं और भारी बौछारों की स्थिति बन सकती है। प्रशासन ने संबंधित जिलों के आपदा नियंत्रण कक्षों को अलर्ट मोड पर रखा है।


6 और 7 अक्टूबर: भारी बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान

IMD के अनुसार, 6 अक्टूबर को बारिश की गतिविधि अपने चरम पर रहेगी, जब उत्तराखंड के ज्यादातर जिलों में मध्यम से भारी वर्षा की संभावना है। खासकर पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में भारी बारिश के साथ 4000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी भी देखी जा सकती है।

वहीं 7 अक्टूबर को भी प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विशेषज्ञों ने कहा है कि इस दौरान आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं भी हो सकती हैं।


चारधाम यात्रियों के लिए विशेष चेतावनी

चूंकि इस समय राज्य में चारधाम यात्रा का अंतिम चरण चल रहा है, इसलिए मौसम विभाग और प्रशासन ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।

  • बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों की ओर जाने वाले मार्गों पर भूस्खलन और पत्थर गिरने का खतरा बढ़ सकता है।
  • यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे मौसम विभाग के अपडेट्स पर ध्यान दें और भारी वर्षा के दौरान ऊंचाई वाले इलाकों में यात्रा से बचें।
  • पुलिस, SDRF और आपदा प्रबंधन टीमें हाई अलर्ट पर रखी गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके।

लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड का खतरा

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति के कारण लगातार बारिश से भूस्खलन और फ्लैश फ्लड की संभावना बनी रहती है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि पहाड़ी ढलानों, नदी-नालों और संवेदनशील जोनों के आसपास रहने वाले लोग सावधान रहें।
पिथौरागढ़, बागेश्वर, टिहरी और रुद्रप्रयाग जिलों में लैंडस्लाइड के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने संवेदनशील मार्गों पर निगरानी बढ़ा दी है।


इस बार मानसून ने तोड़ा रिकॉर्ड: 22% ज्यादा बारिश

इस वर्ष का मानसून उत्तराखंड के लिए काफी भारी रहा। 26 सितंबर को मानसून की औपचारिक विदाई के बावजूद कई इलाकों में देर तक वर्षा होती रही।

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में इस बार सामान्य से 22% अधिक बारिश दर्ज की गई।

  • बागेश्वर जिला सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहां 241% अधिक वर्षा दर्ज की गई।
  • वहीं पौड़ी गढ़वाल में मानसून सामान्य से 30% कम रहा।

अतिरिक्त वर्षा के चलते राज्य के कई हिस्सों में सड़कें, पुल और आवासीय इलाके क्षतिग्रस्त हुए, जबकि कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। अब एक बार फिर बारिश की संभावना ने आपदा प्रबंधन विभाग की चिंता बढ़ा दी है।


ठंड में बढ़ोतरी के आसार

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, आगामी दिनों में ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने से राज्य में ठंडक में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

  • निचले इलाकों में सुबह और रात के तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी।
  • मैदानी जिलों जैसे देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में दिन का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक घट सकता है।
  • वहीं पहाड़ी जिलों में रात का तापमान एकल अंकों में पहुंच सकता है।

स्थानीय प्रशासन तैयार

देहरादून स्थित राज्य आपात संचालन केंद्र ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे आपदा नियंत्रण व्यवस्थाओं को सक्रिय रखें।
सड़क, बिजली, जल संस्थान और स्वास्थ्य विभागों को भी आवश्यक तैयारियां पूरी रखने के आदेश दिए गए हैं।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और मौसम विभाग के आधिकारिक बुलेटिन को ही आधार मानें।


IMD ने क्या कहा

भारतीय मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया,

“उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ के असर से अगले तीन दिनों तक वर्षा और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात की संभावना है। यह एक सामान्य मौसमी चक्र है, लेकिन यात्रियों को एहतियात ज़रूर बरतनी चाहिए क्योंकि बारिश की तीव्रता कुछ इलाकों में अधिक हो सकती है।”

उत्तराखंड में मानसून की विदाई के बाद भी प्रकृति की परीक्षा जारी है। आगामी 5 से 7 अक्टूबर तक राज्य में एक बार फिर बारिश और बर्फबारी का दौर देखने को मिल सकता है। पहाड़ों की यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं, पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को इस दौरान सतर्क रहना होगा।

जहां बारिश जीवन में ठंडक और राहत लाएगी, वहीं यह फिर से आपदा की संभावना भी बढ़ा सकती है। ऐसे में सावधानी ही सुरक्षा है — और यही संदेश इस मौसम में उत्तराखंड के हर नागरिक के लिए सबसे अहम है।

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