राजस्थान: मेवात के चोरगढ़ी गांव का जैसा नाम है, वैसी ही पहचान भी है. पहले इस गांव के लोग गाय, भैंस और बकरी चोरी करते थे, लेकिन बाद के समय में यहां के लोगों ने अपग्रेड किया और बाइक चोरी करने लगे. वहीं अब यह गांव देश में साइबर क्राइम का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है. झारखंड के जामताड़ा से भी बड़ा. खतरनाक ऐसा कि इस गांव में पुलिस भी गश्त करने नहीं जाती. राजस्थान में भरतपुर के गांव चोरगढ़ी की. वैसे तो राजस्व रिकार्ड में यह गांव आज भी कावानका वास के नाम से दर्ज है, लेकिन बीते 50 साल या इससे भी अधिक समय से बोलचाल में इस गांव को चोरगढ़ी नाम से पुकारा जाता है. इस गांव की एक और खासियत इस गांव में शिक्षा दर शून्य है.
सूत्रों के अनुसार गांव के बुजुर्ग हों या बच्चे, महिला हों या पुरुष कोई स्कूल नहीं जाता. गांव में एक सरकारी स्कूल तो हैं, लेकिन यहां छोटे बच्चे केवल मिड डे मिल खाने जाते हैं. वहीं जैसे ही इन बच्चों में थोड़ी समझ विकसित होती है, ये अपराध में शामिल हो जाते हैं. ये बच्चे भले ही पढ़ना लिखना नहीं जानते, लेकिन फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. कुछ बच्चे तो फ्रेंच, जैपनीज और अन्य विदेशी भाषा भी बोल लेते हैं. इसके अलावा ये जब चाहें, पुरुष की आवाज में बोलते हैं, और जब चाहें महिलाओं की आवाज में बोलने लग जाते हैं. जब भी ये किसी व्यक्ति को ठगी के लिए कॉल करते हैं, सामने वाले को संतुष्ठ करने के लिए खुद ही सीनियर से बात कराने का झांसा देते हैं और फिर आवाज बदल कर लोगों को झांसे में लेते हैं.
हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बार्डर पर स्थित राजस्थान के भरतपुर जिले में इस गांव के लोग 60 के दशक तक पशु चोरी करते थे. इसके बाद इन लोगों ने बाइक चोरी करनी शुरू कर दी. चोरी के बाद ये बाइक को रस्सी के सहारे कुएं में लटका देते थे और फिर बाइक मालिक से सौदा कर उसे ही बेचते थे. 80 के दशक में इन लोगों ने बाइक चोरी के साथ ही टटलू काटने का काम शुरू किया. 2010 तक इन लोगों का यही मुख्य धंधा था, लेकिन बीते एक दशक में इन्होंने खुद को अपग्रेड कर साइबर क्राइम को अंजाम देना शुरू कर दिया है. गांव के लोगों की हरकतों का ज्ञान पुलिस को भी है, लेकिन सामान्य तौर पर पुलिस की भी हिम्मत नहीं होती कि इस गांव में गश्त करे. दरअसल वर्दी पहने व्यक्ति को देखते ही गांव के लोग टूट पड़ते हैं.