
देहरादून। उत्तरकाशी जिले के आपदा प्रभावित बागवानों के लिए बड़ी राहत की खबर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को घोषणा की है कि धराली गांव सहित इसके आसपास के क्षेत्रों में सेब की फसल को सरकार खुद खरीदेगी। इससे प्राकृतिक आपदा के कारण पहले से परेशान सेब उत्पादकों को बाजार की अनिश्चितताओं से निजात मिलेगी।
मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार, उद्यान विभाग के माध्यम से बागवानों का रॉयल डिलीशियस सेब 51 रुपये प्रति किलोग्राम तथा रेड डिलीशियस और अन्य किस्मों का सेब 45 रुपये प्रति किलोग्राम (ग्रेड-सी को छोड़कर) खरीदा जाएगा। इस खरीद के लिए आवश्यक धनराशि मुख्यमंत्री घोषणा मद से उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रशासन को त्वरित कार्रवाई के निर्देश
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी परिपत्र में सचिव, कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग को तत्काल प्रभाव से आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही वित्तीय एवं प्रशासकीय स्वीकृति का शासनादेश शीघ्र जारी करने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई हो, ताकि प्रभावित बागवानों को जल्द राहत मिल सके। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि घोषणा के अनुपालन की वस्तुस्थिति की जानकारी सीधे मुख्यमंत्री को अविलंब उपलब्ध कराई जाए।
आपदा और बागवानों की चुनौतियां
हाल ही में उत्तरकाशी जिले के कई हिस्सों, खासकर धराली गांव और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा से भारी नुकसान हुआ था। बागवानों के बगीचे प्रभावित हुए और सेब की फसल की बिक्री को लेकर संशय की स्थिति बन गई थी। ऐसे समय में मुख्यमंत्री धामी की यह घोषणा बागवानों को बड़ी राहत देती है।
स्थानीय स्तर पर व्यापारी और मंडियों में उचित दाम न मिलने की आशंका से बागवान खासे चिंतित थे। सरकार की यह पहल उनके लिए सहारा साबित हो सकती है।
बागवानी को बढ़ावा और किसानों का मनोबल
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड की हॉर्टिकल्चर इकॉनमी में सेब उत्पादन का बड़ा योगदान है। उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और नैनीताल जैसे पहाड़ी जिलों में हजारों परिवारों की आजीविका सीधे-सीधे बागवानी पर निर्भर है।
सरकार द्वारा उचित दर पर खरीद किए जाने से न केवल आपदा प्रभावित बागवानों को सहारा मिलेगा, बल्कि बागवानी को भी बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री की इस घोषणा को राज्य में कृषि और बागवानी क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।