
देहरादून, 25 अगस्त 2025। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य, जो अपनी हरियाली, घने जंगलों और जैव विविधता के लिए पहचाना जाता है, अब “कार्बन क्रेडिट” की दिशा में बड़े कदम बढ़ाने जा रहा है। सोमवार को सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि कार्बन क्रेडिट न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का साधन है, बल्कि यह राज्य के लिए आय का नया स्रोत और स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का बड़ा अवसर बन सकता है।
पर्यावरण विभाग बनेगा नोडल एजेंसी
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड में कार्बन क्रेडिट से जुड़े सभी कार्यों की जिम्मेदारी पर्यावरण विभाग को सौंपी जाएगी। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विभिन्न विभाग समन्वय बनाकर कार्बन क्रेडिट से अधिकतम लाभ उठाने की दिशा में ठोस योजना तैयार करें।
उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड का अधिकांश भूभाग वन क्षेत्र से आच्छादित है। इस प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करते हुए यदि इसे कार्बन क्रेडिट के रूप में वैज्ञानिक ढंग से उपयोग किया जाए तो राज्य को आर्थिक मजबूती के साथ ही वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।”
किसानों और स्थानीय समुदाय को होगा फायदा
मुख्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि कार्बन क्रेडिट स्कीम का सीधा फायदा किसानों और स्थानीय समुदायों तक पहुंचेगा।
- किसान और ग्रामवासी कार्बन क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं।
- इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
- इससे पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
वन, कृषि और सहकारिता विभाग की अहम भूमिका
बैठक में वन, कृषि, दुग्ध विकास और सहकारिता विभागों को विशेष जिम्मेदारी दी गई।
- वन विभाग को कार्बन और ग्रीन क्रेडिट की दिशा में तेज़ी से कदम उठाने के निर्देश दिए गए।
- कृषि विभाग को टिकाऊ खेती और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया।
- सहकारिता विभाग को कहा गया कि वह प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के माध्यम से इस पहल को जमीनी स्तर तक ले जाए।
- दुग्ध विकास विभाग को भी कार्बन क्रेडिट से जुड़े प्रोजेक्ट्स में शामिल करने की बात कही गई।
मुख्य सचिव ने जोर देकर कहा कि यह पहल तभी सफल होगी जब इसमें ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक विकास
कार्बन क्रेडिट से न केवल राज्य की हरित छवि मजबूत होगी, बल्कि यह सतत जीवनशैली और जलवायु परिवर्तन से निपटने का कारगर साधन भी बनेगा। इस पहल से—
- वनों की कटाई पर रोक लगेगी।
- जैव विविधता की रक्षा होगी।
- पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रीन इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा।
इससे एक तरफ जहां प्राकृतिक धरोहर सुरक्षित रहेगी, वहीं दूसरी ओर युवाओं को रोजगार और किसानों को आय का अतिरिक्त स्रोत मिलेगा।
बैठक में शामिल रहे वरिष्ठ अधिकारी
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, सचिव विनोद कुमार सुमन, सचिव सी. रविशंकर, सचिव श्रीधर बाबू अद्दांकी, अपर सचिव विनीत कुमार एवं हिमांशु खुराना मौजूद रहे। इसके अलावा नाबार्ड के प्रतिनिधि सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
उत्तराखंड में कार्बन क्रेडिट की पहल न केवल राज्य की आर्थिक संरचना को नई दिशा देगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने की लड़ाई में भी अहम योगदान साबित होगी। मुख्य सचिव की यह पहल राज्य के किसानों, युवाओं और स्थानीय समुदायों के लिए हरियाली से कमाई का नया रास्ता खोलने जा रही है।