
देहरादून | जुलाई 2025: उत्तराखंड की चिकित्सा व्यवस्था में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। प्रसिद्ध सर्जन डॉ. विपुल दत्त कंडवाल की राज्य आयुर्विज्ञान परिषद (UKMC) से सदस्यता समाप्त कर दी गई है और उन पर चार माह तक चिकित्सा प्रैक्टिस पर रोक लगा दी गई है। यह निर्णय मेडिकल एथिक्स उल्लंघन के आरोपों की जांच के बाद लिया गया।
राज्यपाल की सहमति से हुआ निर्णय, तत्काल प्रभाव से लागू
उत्तराखंड चिकित्सा परिषद की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि यह कार्रवाई आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम, 2002 के अंतर्गत की गई है और इसमें राज्यपाल की पूर्व सहमति प्राप्त है। आदेश पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के डिजिटल हस्ताक्षर हैं, और इसे तत्काल प्रभाव से लागू माना गया है।
क्या है मामला?
यह पूरा विवाद मृदुला सिंह नामक एक महिला मरीज की शिकायत पर आधारित है, जिन्होंने डॉ. कंडवाल पर गलत सर्जरी और चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया था। मामला उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल की एथिक्स कमेटी के पास पहुंचा, जहां सुनवाई के बाद डॉक्टर की प्रैक्टिस पर अस्थायी रोक और सदस्यता समाप्ति का निर्णय लिया गया।
- डॉक्टर को चार महीने बाद पुनः पंजीकरण कराना होगा।
- इस अवधि में वे किसी भी रूप में चिकित्सा प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।
डॉक्टर्स डे पर हुआ था सम्मान, अब उठे सवाल
गौरतलब है कि कुछ ही सप्ताह पहले डॉक्टर्स डे के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा डॉ. कंडवाल को राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया था। अब चिकित्सा परिषद द्वारा जारी निलंबन आदेश ने इस सम्मान और आरोपों के बीच विरोधाभास खड़ा कर दिया है।
विशेषज्ञों की राय:
मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला प्रशासनिक पारदर्शिता और चिकित्सा नैतिकता दोनों के लिए कसौटी बन सकता है। मेडिकल काउंसिल के इस निर्णय से यह संदेश भी गया है कि चिकित्सकीय प्रतिष्ठा के बावजूद कोई भी डॉक्टर जवाबदेही से ऊपर नहीं है।