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‘संस्थाओं पर BJP का कब्जा, एजेंसियों को बनाया हथियार’: बर्लिन में राहुल गांधी का तीखा प्रहार; चुनावी निष्पक्षता पर उठाए सवाल

बर्लिन | 23 दिसंबर, 2025 कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच से भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और चुनावी निष्पक्षता को लेकर केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित ‘हार्टी स्कूल’ (Hertie School) में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारत के संस्थागत ढांचे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का पूर्ण नियंत्रण हो गया है, जिससे विपक्ष के लिए मुकाबला करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

‘पॉलिटिक्स इज द आर्ट ऑफ लिसनिंग’: राहुल का यूट्यूब पर बड़ा खुलासा

राहुल गांधी ने सोमवार को अपने यूट्यूब चैनल पर बर्लिन संवाद का एक वीडियो ‘पॉलिटिक्स इज द आर्ट ऑफ लिसनिंग’ (राजनीति सुनने की कला है) शीर्षक से अपलोड किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने दावा किया कि भारत में लोकतांत्रिक ढांचे पर चौतरफा हमले हो रहे हैं और चुनावी मशीनरी में कुछ बुनियादी खामियां आ गई हैं।

मतदाता सूची में ‘ब्राजील की मॉडल’ का जिक्र

संवाद के दौरान राहुल गांधी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव का संदर्भ देते हुए सनसनीखेज आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “भारत में चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। हमने देखा कि हरियाणा की मतदाता सूची में एक ब्राजील की मॉडल का नाम 22 अलग-अलग जगहों पर दर्ज था। जब हम ऐसे गंभीर सवाल उठाते हैं, तो निर्वाचन आयोग (Election Commission) की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।”

केंद्रीय एजेंसियों पर ‘हथियार’ होने का आरोप

राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसियों की निष्पक्षता पर सीधा प्रहार किया। उन्होंने ED (प्रवर्तन निदेशालय), CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और खुफिया एजेंसियों का जिक्र करते हुए कहा कि इन्हें अब ‘हथियार’ में तब्दील कर दिया गया है।

राहुल गांधी के संबोधन के मुख्य बिंदु:

  • एजेंसियों का चयनात्मक उपयोग: “भाजपा के कितने नेताओं के खिलाफ ईडी या सीबीआई के मामले दर्ज हैं? जवाब शून्य है। लगभग सभी मामले केवल विपक्षी नेताओं के खिलाफ ही दर्ज किए जाते हैं।”

  • उद्योगपतियों को धमकी: राहुल ने आरोप लगाया कि अगर कोई बड़ा उद्योगपति कांग्रेस या विपक्ष का सहयोग करना चाहता है, तो उसे डराया-धमकाया जाता है और उसके पीछे जांच एजेंसियों को लगा दिया जाता है।

  • संस्थागत कब्जा: उन्होंने दावा किया कि न्यायपालिका से लेकर नौकरशाही तक, हर जगह स्वतंत्र सोच को दबाकर विचारधारा विशेष को थोपा जा रहा है।

“विपक्ष को निकालना होगा नया रास्ता”

राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि जब संस्थागत ढांचा निष्पक्ष न रहे, तो लड़ाई कठिन हो जाती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस स्थिति से निपटने के लिए नया रास्ता तलाशना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीति केवल बोलने का नहीं, बल्कि लोगों की समस्याओं को सुनने का नाम है, जो वर्तमान दौर में कम होता जा रहा है।

सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया का इंतजार

राहुल गांधी के विदेशी धरती से दिए गए इस बयान के बाद देश के भीतर राजनीतिक पारा चढ़ना तय माना जा रहा है। भाजपा पूर्व में भी राहुल गांधी के विदेशी दौरों पर दिए गए बयानों को ‘देश का अपमान’ और ‘विदेशी ताकतों से मदद मांगने’ जैसा करार देती रही है।

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