
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य कर दी है। हालांकि, यह व्यवस्था 1 मई से लागू होनी थी, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते इसे समय पर शुरू नहीं किया जा सका। अब शासन ने सख्त निर्देश जारी कर समयपालन न करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई का स्पष्ट पैमाना तय कर दिया है।
क्या हैं नए निर्देश?
शासन में सचिव विनोद कुमार सुमन द्वारा जारी आदेश के अनुसार:
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महीने में एक दिन देर से आने पर मौखिक चेतावनी।
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दो दिन देर से आने पर लिखित चेतावनी।
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तीन दिन देर से आने पर एक दिन का आकस्मिक अवकाश (सीएल) काटा जाएगा।
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चार दिन देर से आने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
इस आदेश के बाद सरकार के विभिन्न कार्यालयों में कर्मचारियों में हड़कंप की स्थिति बन गई है।
क्यों नहीं लागू हो सका था आदेश?
मुख्य सचिव ने 1 मई से बायोमेट्रिक हाजिरी की व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया था, लेकिन कई कार्यालयों में मशीनों का सॉफ़्टवेयर अपडेट नहीं हो सका। कुछ जगहों पर बायोमेट्रिक सिस्टम काम ही नहीं कर रहा था। इसके कारण कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज नहीं हो पा रही थी। अब मशीनों को अपडेट कर लिया गया है और शासन ने अनिवार्य रूप से पालन कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
अधिकारियों पर भी निगरानी
शासन की इस सख्ती का असर उच्चाधिकारियों पर भी पड़ेगा, जो अक्सर बैठक या फील्ड विज़िट के नाम पर समय पर कार्यालय नहीं पहुंचते। अब सभी अधिकारियों को समय पर कार्यालय में उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
क्यों उठाया गया ये कदम?
बीते महीनों में लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि अधिकारी और कर्मचारी तय समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं। इससे सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी। मुख्य सचिव ने समयपालन को लेकर अनुशासन लाने की आवश्यकता जताई और यह आदेश उसी का परिणाम है।
उत्तराखंड सरकार का यह कदम सरकारी कार्य संस्कृति में अनुशासन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस प्रणाली को जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी ढंग से लागू किया जा पाता है।