सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनावी घोषणापत्र के वादों को चुनाव के नियमों के अनुसार भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं शामिल किया जा सकता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कर्नाटक के चमराजपेट लोकसभा क्षेत्र के एक मतदाता की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा “याचिकाकर्ता का कहना है कि किसी राजनीतिक दल के उम्मीदवार का अपने घोषणापत्र में जनता को बड़े स्तर पर आर्थिक लाभ पहुंचाने की बात करना भ्रष्ट आचरण का हिस्सा है। यह मामले को बहुत खींचने वाली बात है और स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में हमें विस्तार से जाकर चर्चा करनी होती है। इस वजह से याचिका खारिज की जाती है।”
आपको बताते चलें कि शशांक श्रीधर नाम के एक मतदाता ने कांग्रेस विधायक जमीर अहमद खान के खिलाफ याचिका लगाई थी। इसमें उसने कहा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र की पांच बातें भ्रष्ट आचरण का हिस्सा हैं। अदालत ने कहा कि लोकप्रतिनिधि नियम की धारा 123 के तहत अगर कोई पार्टी यह बताती है कि सत्ता में आने पर वह क्या योजनाएं चलाएगी और लोगों को इससे कैसे फायदा होगा तो यह भ्रष्ट आचरण नहीं है। कांग्रेस के सभी पांच वादे समाजिक हित की योजनाएं थीं। वह आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाएं या नहीं।