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पश्चिम बंगाल में भारत बंद का सबसे ज्यादा असर, सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर उतरे प्रदर्शनकारी

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नई दिल्ली/कोलकाता: देशभर में 9 जुलाई को भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। सरकारी क्षेत्र के 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी नए श्रम कानूनों और निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रीय आम हड़ताल में शामिल हैं। इस बंद का सबसे गहरा असर पश्चिम बंगाल में देखा गया, जहां प्रदर्शनकारी सड़कों और रेलवे स्टेशनों पर उतर आए।

सिलीगुड़ी और कोलकाता में परिवहन पर असर

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में सरकारी बसों का संचालन काफी प्रभावित हुआ। वहीं, कोलकाता के जाधवपुर में वामपंथी दलों से जुड़े संगठनों ने पैदल मार्च निकाला और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।

एक बस चालक ने कहा,

“ये लोग सही बात कह रहे हैं, लेकिन हम मजदूर हैं, हमें अपना काम करना पड़ता है। हमने सुरक्षा के लिए हेलमेट पहन रखे हैं।”

रेलवे ट्रैक पर उतरे प्रदर्शनकारी

जाधवपुर में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशन में घुसकर ट्रैक जाम कर दिया। ये प्रदर्शन केंद्र सरकार की ‘कॉर्पोरेट समर्थक’ नीतियों के विरोध में किए गए। पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद यूनियन सदस्यों ने स्टेशन में प्रवेश कर प्रदर्शन किया। कुछ जगहों पर आगजनी की घटनाएं भी हुईं, हालांकि स्थिति नियंत्रण में है।

सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम

जाधवपुर में पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी गई है। निजी और सरकारी बस सेवाएं आंशिक रूप से जारी हैं, लेकिन कई चालक बंद के समर्थन में भी दिखे।

बिहार में भी दिखा असर

पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) के विरोध में सचिवालय हॉल्ट रेलवे स्टेशन पर ट्रैक जाम किया। यह प्रदर्शन भी भारत बंद के साथ जोड़कर किया गया।


मुख्य बिंदु:

  • भारत बंद में 25 करोड़ कर्मचारियों की भागीदारी
  • सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल और बिहार में
  • कोलकाता, सिलीगुड़ी और पटना में सार्वजनिक सेवाएं बाधित
  • रेलवे और सड़कों पर प्रदर्शन, कुछ स्थानों पर आगजनी
  • भारी पुलिस तैनाती, हालात नियंत्रण में

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