
नई दिल्ली: देशभर में मंगलवार को केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनके सहयोगियों की ओर से नए श्रम कानूनों और निजीकरण के खिलाफ व्यापक हड़ताल की गई। करीब 25 करोड़ कर्मचारियों ने इस हड़ताल में भाग लिया, जिससे बैंकिंग, डाक, बीमा, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में कामकाज बाधित हुआ।
हड़ताल का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा किया गया था। इन संगठनों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- न्यूनतम मासिक वेतन ₹26,000 करने की मांग
- पुरानी पेंशन योजना की बहाली
- निजीकरण पर रोक लगाना
बिहार में व्यापक असर
भारत बंद का सबसे अधिक प्रभाव बिहार में देखने को मिला। यहां न केवल ट्रेड यूनियन से जुड़े कर्मचारी हड़ताल पर रहे, बल्कि वोटर लिस्ट से जुड़ी मांगों को लेकर भी प्रदर्शन हुआ। कई स्थानों पर चक्का जाम और रैलियों के कारण यातायात बाधित रहा।
क्या-क्या सेवाएं रहीं प्रभावित
- बैंकिंग सेक्टर: कई सार्वजनिक बैंकों में कामकाज ठप रहा, ग्राहक परेशान रहे।
- डाक सेवाएं: डाकघरों में डिलीवरी और अन्य सेवाएं प्रभावित हुईं।
- खनन और निर्माण: कोयला खनन क्षेत्रों में कामकाज धीमा पड़ा, निर्माण परियोजनाओं पर असर।
- बीमा और परिवहन: बीमा क्षेत्र के कर्मचारियों ने भी विरोध जताया, कुछ जगहों पर परिवहन सेवाओं में भी व्यवधान देखा गया।
सरकार की प्रतिक्रिया
अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस हड़ताल पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार मंत्रालय स्थिति की निगरानी कर रहा है। श्रमिक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।