
देहरादून, 9 अक्टूबर 2025: उत्तराखंड में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने देहरादून में “सेब महोत्सव 2.0” का शुभारंभ किया है। इस दो दिवसीय आयोजन का उद्घाटन प्रदेश के कृषि एवं ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी और नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक पंकज यादव ने आईटी पार्क, प्लॉट-42 स्थित नाबार्ड कार्यालय में किया।
यह आयोजन 9 से 10 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक राज्यभर के विभिन्न कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के स्टॉल लगाए गए हैं। यहां न केवल ‘ए-ग्रेड’ की रॉयल डिलीशियस, रेड डिलीशियस और गोल्डन डिलीशियस सेब बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, बल्कि कपकोट के किसानों द्वारा उगाई गई प्राकृतिक कीवी और अन्य पहाड़ी उत्पाद जैसे अखरोट, राजमा, जूस, अचार, जड़ी-बूटियां और हथकरघा उत्पाद भी प्रदर्शित किए गए हैं।
किसानों को बाजार से जोड़ने का मंच
नाबार्ड के इस प्रयास का उद्देश्य किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ना है, ताकि उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक पंकज यादव ने कहा कि यह आयोजन केवल सेब की बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों और उपभोक्ताओं के बीच प्रत्यक्ष संवाद का माध्यम बन रहा है।
उन्होंने कहा, “नाबार्ड कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने, रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास के लिए कार्य कर रहा है। सेब महोत्सव 2.0 जैसे आयोजन किसानों और महिलाओं को बाजार की मुख्यधारा में लाने का प्रभावी माध्यम हैं।”
गणेश जोशी ने की पहल की सराहना
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से किसानों को अपनी उपज के बेहतर दाम तो मिलते ही हैं, साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है। उन्होंने कहा, “नाबार्ड का यह प्रयास सराहनीय है, क्योंकि यह किसानों को सीधे ग्राहकों से जोड़ने का अवसर देता है। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होती है और किसानों की आय में वास्तविक वृद्धि होती है।”
गणेश जोशी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार कृषि आधारित उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड जैसे संस्थानों के साथ मिलकर और अधिक ऐसे आयोजन करेगी, ताकि उत्तराखंड के उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच सकें।
“पहाड़ के उत्पाद को पहचाना दिलाने की दिशा में कदम”
नाबार्ड उत्तराखंड के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में हर्षिल घाटी, कपकोट और बागेश्वर जैसे क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले फल और ऑर्गैनिक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें इस महोत्सव के जरिए बड़े बाजारों में पहचान दिलाई जा रही है। इन उत्पादों में से कई GI टैग्ड हैं — जैसे राजमा और अखरोट, जो अब उत्तराखंड की ब्रांडिंग को मजबूत कर रहे हैं।
प्रमुख वित्तीय संस्थानों की सहभागिता
कार्यक्रम में कई वित्तीय संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। इनमें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक अरविंद कुमार, पंजाब नेशनल बैंक के महाप्रबंधक अनुपम, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष हरिहर पट्टनायक, भारतीय स्टेट बैंक के उप महाप्रबंधक विनोद कुमार, और एसएलबीसी संयोजक राजीव पंत प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इन सभी ने नाबार्ड के इस प्रयास को राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में एक प्रेरणादायक मॉडल बताया।
डिजिटल भुगतान और मोबाइल मार्ट की सुविधा
इस बार सेब महोत्सव की एक बड़ी खासियत यह रही कि सभी लेन-देन डिजिटल माध्यम से किए जा रहे हैं। किसानों और खरीदारों दोनों के लिए ऑनलाइन भुगतान, UPI और QR कोड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
इसके साथ ही, नाबार्ड ने किसानों के उत्पादों को खेत से मेले तक पहुँचाने के लिए मोबाइल मार्ट वाहनों की व्यवस्था की है। इन वाहनों के माध्यम से किसानों की उपज को सीधा आयोजन स्थल तक पहुँचाया जा रहा है, जिससे परिवहन की लागत और समय दोनों की बचत हो रही है।
नाबार्ड–उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के बीच एमओयू
कृषक उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से इस अवसर पर नाबार्ड और उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस एमओयू के तहत दोनों संस्थाएं ग्रामीण स्तर पर कृषि ऋण, प्रशिक्षण और विपणन सहायता के क्षेत्र में मिलकर कार्य करेंगी।
किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश
नाबार्ड के अधिकारियों का कहना है कि “सेब महोत्सव 2.0” केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि किसानों के आत्मनिर्भरता अभियान की एक नई कड़ी है। इसका उद्देश्य गांवों के उत्पादों को शहरों के बाजारों तक पहुँचाना और किसानों को ‘उत्पादक से उद्यमी’ बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना है।
नाबार्ड ने स्पष्ट किया है कि इस आयोजन को हर वर्ष और भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक कृषक, महिलाएं और स्वयं सहायता समूह इससे लाभान्वित हो सकें।
देहरादून में आयोजित “सेब महोत्सव 2.0” यह साबित करता है कि सही योजना, प्रशिक्षण और विपणन समर्थन के साथ उत्तराखंड के पहाड़ी उत्पाद देशभर में अपनी पहचान बना सकते हैं। नाबार्ड और राज्य सरकार की यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम बनेगी, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।