देशफीचर्ड

अमायरा सुसाइड केस: CBSE ने नीरजा मोदी स्कूल को दोषी ठहराया, परिवार ने शिक्षा विभाग की जांच को बताया “दिशा से भटका”—अभिभावकों में गुस्सा उबाल पर

जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में 9 वर्षीय छात्रा अमायरा की आत्महत्या के मामले में नई जांच रिपोर्ट ने पूरे राज्य के शिक्षा तंत्र को कटघरे में ला खड़ा किया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की दो सदस्यीय जांच समिति ने स्कूल को गंभीर लापरवाही का दोषी ठहराया है और एफिलिएशन बायलॉज एवं बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कई नियमों के उल्लंघन का उल्लेख करते हुए नोटिस जारी किया है।

लेकिन अब इस मामले में एक नया मोड़ तब आया, जब अमायरा के परिवार—विशेषकर उसके मामा साहिल—ने शिक्षा विभाग की जांच पर ही सवाल उठा दिए और कहा कि विभागीय अधिकारी मामले को गलत दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी टिप्पणी से साफ है कि परिवार सरकारी जांच से असंतुष्ट है और सीबीएसई की रिपोर्ट को अधिक विश्वसनीय मान रहा है।


हैलोवीन एंगल पर परिवार की आपत्ति: “गलत दिशा में ले जाई जा रही जांच”

अमायरा के मामा साहिल ने दावा किया है कि शिक्षा विभाग के जांच अधिकारी रामनिवास शर्मा, बच्ची की मृत्यु को हैलोवीन फेस्टिवल से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो तथ्यात्मक रूप से भी गलत है और जांच के मूल बिंदुओं को भी भटकाता है।

साहिल ने कहा:

  • “अधिकारी हैलोवीन को एक डरावनी घटना की तरह पेश कर रहे हैं। यह एक सामान्य फेस्टिवल है, जैसे दूसरा कोई भी समारोह होता है। इसे आत्महत्या से जोड़ना अव्यवहारिक है।”
  • “अमायरा उस दिन सुबह खुश थी, पूरे समय एन्जॉय कर रही थी। हैलोवीन का उसपर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं था।”

उन्होंने यह भी कहा कि CBSE की रिपोर्ट में दर्ज गंभीर उल्लंघनों और शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में मिले “हल्के निष्कर्षों” का अंतर इस बात का संकेत है कि विभागीय जांच पर्याप्त गंभीरता या तकनीकी क्षमता से नहीं की गई।


CBSE रिपोर्ट में खुलासा: 45 मिनट तक बच्ची मदद की गुहार लगाती रही

CBSE की जांच रिपोर्ट इस मामले का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बनकर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार:

  • अमायरा लगातार क्लासमेट द्वारा की जा रही बुलिंग और गलत व्यवहार की शिकायत कर रही थी।
  • उसने लगातार 45 मिनट तक अपनी क्लास टीचर्स से मदद की मांग की, लेकिन उसकी बात को बार-बार अनसुना किया गया।
  • स्कूल ने इंसीडेंट स्थल को तुरंत बाद साफ करा दिया, जो किसी भी गंभीर घटना में साक्ष्यों के साथ समझौता माना जाता है।
  • स्कूल द्वारा CBSE एफिलिएशन बायलॉज (2018), चाइल्ड सेफ्टी गाइडलाइंस और पोशो-संबंधित प्रोटोकॉल का पालन भी ढंग से नहीं किया गया।

जांच समिति ने स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी को लेकर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि संस्थान में “सिस्टमेटिक सुपरविजन फेल्योर” था, जो सीधे-सीधे इस हादसे में योगदान करता है।


अभिभावकों का फूटा गुस्सा, विशाल विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च

मामले में लगातार नए खुलासों और प्रशासनिक निष्क्रियता से नाराज़ अभिभावकों ने 22 नवंबर को जयपुर के शहीद स्मारक पर कैंडल मार्च निकाला और विरोध प्रदर्शन किया।

संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि:

  • यह मामला सिर्फ एक बच्ची की मौत नहीं, बल्कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के पूरे ढांचे पर सवाल है।
  • जयपुर के प्रमुख निजी स्कूलों में बुलिंग के मामलों की शिकायतें बढ़ रही हैं, लेकिन स्कूल प्रबंधन उन्हें छिपाने या दबाने में अधिक रुचि दिखाते हैं।
  • प्रशासन समय पर कार्रवाई नहीं कर रहा और आरोपी संस्थान के खिलाफ कोई कठोर कदम अभी तक नहीं उठाया गया है।

अभिभावक संघ ने मांग की है कि इस मामले की जांच हाई-लेवल कमिटी से कराई जाए और बच्चों की सुरक्षा से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर तुरंत कार्रवाई की जाए।


परिवार का दर्द: “मेरी बच्ची वापस नहीं आएगी, लेकिन किसी और के साथ ऐसा न हो”

अमायरा के पिता विजय ने कहा कि CBSE की रिपोर्ट में आए स्पष्ट तथ्यों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार जांच को रिव्यू कराने की बात कर रही है।

उन्होंने कहा:

  • “जब CBSE ने इतने स्पष्ट उल्लंघन चिन्हित कर दिए हैं, तब शिक्षा मंत्री ‘रिव्यू’ की बात क्यों कर रहे हैं? यह बताता है कि जांच में गंभीरता की कमी है।”

अमायरा की मां शिवानी emotionally टूटे हुए स्वर में बोलीं:

  • “ऐसा लगता है जैसे कोई बार-बार सीने में खंजर चला रहा है। हमारी बच्ची तो वापस नहीं आएगी, लेकिन किसी और की बच्ची शिक्षक की अनदेखी की वजह से जान न गंवाए।”

परिवार का यह भी कहना है कि स्कूल के पास उनकी बच्ची की repeated complaints के बावजूद सुरक्षित learning environment सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी, जिसे निभाने में संस्थान पूरी तरह विफल रहा।


1 नवंबर की घटना: चौथी मंजिल से छलांग लगाकर दी जान

1 नवंबर 2024 की दोपहर, अमायरा ने नीरजा मोदी स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
परिवार का दावा है कि:

  • वह लंबे समय से क्लासमेट द्वारा बुलिंग, असहज व्यवहार और डर की शिकायत करती थी
  • लेकिन स्कूल प्रबंधन ने शिकायतों पर कोई कदम नहीं उठाया
  • टीचर्स ने उसे बार-बार “ओवरसेंसिटिव” कहकर टाल दिया

स्कूल की ओर से अभी तक किसी अधिकारी का ठोस बयान सार्वजनिक नहीं आया है, और जारी किए गए स्पष्टीकरणों में भी घटना को “व्यक्तिगत कारणों” से जोड़ने की कोशिश दिखाई देती है।


बच्चों की सुरक्षा विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया: “यह केवल स्कूल की गलती नहीं, सिस्टम की खामी है”

बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना सिर्फ एक संस्थान की लापरवाही नहीं है।
उनके अनुसार:

  • भारत के ज्यादातर निजी स्कूलों में एंटी-बुलिंग सेल्स कागजों में मौजूद होते हैं
  • शिक्षकों को भावनात्मक संकट पहचानने की ट्रेनिंग नहीं दी जाती
  • घटना के बाद तुरंत साक्ष्यों को नष्ट करना, स्कूलों में accountability culture की कमी दर्शाता है

सरकारी प्रतिक्रिया: शिक्षा मंत्री ने “रिव्यू” की बात कही

CBSE रिपोर्ट आने के बाद राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार रिपोर्ट का पुनर्विलोकन करेगी
लेकिन इस बयान ने परिवार और अभिभावकों के गुस्से को और बढ़ा दिया, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि सरकार “एकेडमिक पावरफुल” स्कूल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने से बच रही है।

अमायरा सुसाइड केस अब एक हाई-प्रोफाइल और बहुस्तरीय जांच का मामला बन चुका है।
CBSE की कठोर टिप्पणियों, परिवार की आपत्तियों, अभिभावकों के बढ़ते रोष और शिक्षा विभाग की ढीली कार्रवाई ने इस केस को केवल एक स्कूल की घटना नहीं, बल्कि देशभर के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर एक गंभीर चेतावनी बना दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button