पुरानी गाड़ियों पर कार्रवाई फिलहाल स्थगित: दिल्ली सरकार ने CAQM को लिखा पत्र

नई दिल्ली, 3 जुलाई 2025:दिल्ली सरकार ने पुरानी गाड़ियों को सीज करने और ईंधन देने से रोकने के अभियान को फिलहाल स्थगित कर दिया है। 1 जुलाई से प्रस्तावित इस सख्त कार्रवाई के खिलाफ उठती जन आवाज़ के बीच अब सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को पत्र लिखकर कहा है कि इस अभियान को लागू करने की तकनीकी और तर्कसंगत चुनौतियाँ हैं।
यह फैसला राजधानी के लाखों वाहन मालिकों के लिए राहत की खबर लेकर आया है।
तकनीकी खामियों के कारण स्थगन, कैमरे नहीं हैं सक्षम
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुवार को कहा कि पेट्रोल पंपों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे पुराने वाहनों की पहचान करने में सक्षम नहीं हैं। इसके चलते वाहनों को सीज करना या उन्हें ईंधन न देना अभी व्यावहारिक नहीं है।
मंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार ने CAQM को पत्र लिखकर 1 नवंबर तक का समय मांगा है, ताकि यह नीति एनसीआर के अन्य राज्यों के साथ समन्वय में लागू की जा सके।
84 लाख की मर्सिडीज ढाई लाख में बिकी: स्क्रैप नीति पर विवाद
इस अभियान की शुरुआत होते ही कई पुरानी लग्जरी गाड़ियाँ स्क्रैपिंग की भेंट चढ़ने लगीं। एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें 84 लाख रुपये की मर्सिडीज को महज़ 2.5 लाख रुपये में बेचना पड़ा। इससे लोगों में नाराजगी और भय का माहौल बना।
इस बीच कार स्क्रैपिंग पॉलिसी को लेकर सियासत भी तेज हो गई है।
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पूरी नीति वाहन डीलरों और शोरूम मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार की गई थी।
सरकार का यूटर्न या यथार्थवादी कदम?
दिल्ली सरकार द्वारा नीति को तर्कसंगत न बताना और अंतर-राज्यीय समन्वय की आवश्यकता पर ज़ोर देना, इसे नीतिगत यथार्थवाद का संकेत भी माना जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि जब तक NCR के पड़ोसी राज्य भी यही नीति नहीं अपनाते, तब तक दिल्ली में इस नियम को लागू करना एकतरफा और अनुचित होगा।
अब आगे क्या?
- नई कार्यवाही की तिथि 1 नवंबर 2025 प्रस्तावित की गई है।
- दिल्ली सरकार चाहती है कि पड़ोसी राज्यों के साथ संयुक्त रूप से नियम लागू हों।
- CAQM की प्रतिक्रिया और समन्वय नीति पर अब सबकी नजरें टिक गई हैं।
दिल्ली में वाहन स्वामियों के लिए यह फिलहाल बड़ी राहत जरूर है, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट करता है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए तकनीकी और प्रशासनिक तैयारी बेहद आवश्यक है। इस पूरे प्रकरण ने पर्यावरण नीति और जनसरोकारों के बीच संतुलन तलाशने की आवश्यकता को उजागर कर दिया है।