रुद्रपुर (उधम सिंह नगर), 13 नवम्बर। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा उधम सिंह नगर जिला कांग्रेस कमेटी और रुद्रपुर महानगर कांग्रेस इकाई में किए गए ताज़ा फेरबदल ने स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है।
केंद्रीय आदेश के तहत जहां एक बार फिर हिमांशु गाबा को उधम सिंह नगर जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहीं सी.पी. शर्मा को हटाकर ममता रानी को रुद्रपुर महानगर प्रभारी बनाया गया है।
इन नियुक्तियों के बाद पार्टी के भीतर असंतोष के स्वर मुखर हो उठे हैं। कई स्थानीय पार्षदों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने इस बदलाव को “एकतरफा निर्णय” बताते हुए विरोध दर्ज कराया है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो वे पार्टी कार्यक्रमों से दूरी बना लेंगे।
संगठनिक असंतोष खुलकर आया सामने
रुद्रपुर नगर निगम के कई कांग्रेस पार्षदों ने मंगलवार को सिटी क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने “जमीनी हकीकत” को दरकिनार कर निर्णय लिया है।
उनका आरोप था कि जिला नेतृत्व में वही चेहरा दोबारा लाकर पार्टी ने संगठनात्मक ऊर्जा को कमजोर किया है, जबकि स्थानीय स्तर पर नए, सक्रिय चेहरों को मौका देने की ज़रूरत थी।
एक पार्षद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा —
“जिला अध्यक्ष पद पर एक ही व्यक्ति को बार-बार लाना नेतृत्व की नई सोच पर सवाल खड़ा करता है। हमें ऐसे चेहरे चाहिए जो जनता के बीच हों और बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं में उत्साह भर सकें।”
दूसरी ओर, रुद्रपुर महानगर में भी महिला कार्यकर्ता ममता रानी की नियुक्ति को लेकर विरोध तेज़ हो गया है। कुछ पार्षदों ने कहा कि ममता रानी की राजनीतिक सक्रियता सीमित रही है और उन्हें अचानक प्रभारी बनाना “संगठन की जमीनी सच्चाई से कटाव” दर्शाता है।
“यह निर्णय मतभेद बढ़ाएगा, न कि एकता” – असंतुष्ट पार्षद
प्रेस वार्ता में पार्षदों ने कहा कि फिलहाल पार्टी पहले से ही चुनावी मोर्चे पर कमजोर स्थिति में है और ऐसे समय पर शीर्ष स्तर से किया गया यह फेरबदल “मतभेद और विखंडन” को और गहराएगा।
कई नेताओं का कहना था कि रुद्रपुर, बाजपुर और काशीपुर जैसे क्षेत्रों में पार्टी को पहले से संगठनात्मक तालमेल की चुनौती झेलनी पड़ रही है।
एक पार्षद ने कहा —
“अगर सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो हम सामूहिक रूप से इस्तीफा देने पर विवश होंगे। हमने कई बार प्रदेश नेतृत्व को स्थानीय स्तर के असंतोष की जानकारी दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”
जानकारों के अनुसार, इन विरोधी सुरों ने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की भी चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि उधम सिंह नगर वह ज़िला है जो राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है।
समर्थक गुट का तर्क: “निर्णय रणनीतिक, महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की पहल”
हालांकि, पार्टी के एक अन्य धड़े ने केंद्रीय नेतृत्व के इस कदम का समर्थन किया है।
उनका मानना है कि यह फेरबदल कांग्रेस में महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने और अनुभवी नेतृत्व की वापसी की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास है।
प्रदेश कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा —
“कांग्रेस हमेशा संगठन में विविधता और अनुभव के संतुलन पर विश्वास करती है। ममता रानी ने लंबे समय से पार्टी के लिए कार्य किया है और उनकी नियुक्ति नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का संकेत है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि हिमांशु गाबा के पास संगठनात्मक अनुभव और कार्यकर्ताओं के साथ पुराने संबंध हैं, जिससे जिला इकाई को स्थिरता मिलेगी।
उनके मुताबिक, “स्थानीय असंतोष अस्थायी है और संवाद से सुलझ जाएगा।”
स्थानीय समीकरण और आगामी रणनीति पर असर
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि उधम सिंह नगर में इस समय कांग्रेस को जमीनी स्तर पर कई चुनौतियों का सामना है —
- पार्टी के पारंपरिक वोट बैंक में दरार,
- युवा कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता,
- और भाजपा की आक्रामक संगठनात्मक पकड़।
ऐसे में नेतृत्व परिवर्तन या असंतोष किसी भी रूप में पार्टी की चुनावी तैयारियों पर असर डाल सकता है।
रुद्रपुर नगर निगम के हालिया चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन पहले ही औसत रहा था, और अब इस तरह के संगठनिक विवादों से कांग्रेस के सामने एकता की चुनौती और गहरी हो सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अजय जोशी कहते हैं —
“उत्तराखंड में कांग्रेस की पुनर्स्थापना के लिए स्थानीय नेतृत्व का एकजुट होना बेहद ज़रूरी है। अगर असंतोष खुलकर सामने आता रहा, तो 2027 के विधानसभा चुनावों में इसका असर सीधा दिखेगा।”
केंद्रीय नेतृत्व की निगाह अब राज्य पर
सूत्रों के मुताबिक, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने उधम सिंह नगर और रुद्रपुर से मिली रिपोर्ट का संज्ञान लिया है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस हाईकमान इस विवाद को “अनुशासनात्मक कार्रवाई की बजाय संवाद से सुलझाने” की दिशा में बढ़ सकता है।
दिल्ली स्थित पार्टी सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व जल्द ही दोनों पक्षों से बातचीत कर “संगठनात्मक समीक्षा बैठक” बुला सकता है। इसमें जिला और महानगर इकाइयों के सभी प्रमुख कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि पार्टी में एकता और तालमेल बनाए रखा जा सके।
अगले दिनों में बढ़ेगी राजनीतिक हलचल
फिलहाल, रुद्रपुर और आसपास के इलाकों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। जहां असंतुष्ट गुट लगातार बैठकें कर रहा है, वहीं हिमांशु गाबा और ममता रानी के समर्थक भी जनसंपर्क और सदस्यता अभियान को गति देने में जुटे हैं।
स्थानीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में यह विवाद पार्टी के प्रदेश स्तरीय समीकरणों पर भी असर डाल सकता है। क्योंकि उधम सिंह नगर पारंपरिक रूप से कांग्रेस के लिए एक अहम राजनीतिक ज़िला रहा है और यहां से पार्टी की दिशा व स्थिति का संकेत अक्सर पूरे राज्य में जाता है।
फेरबदल के बहाने पार्टी की आंतरिक कसौटी
कुल मिलाकर, यह फेरबदल केवल पद परिवर्तन नहीं, बल्कि कांग्रेस की आंतरिक स्थिति की कसौटी भी बन गया है। जहां एक ओर केंद्रीय नेतृत्व इसे संगठन को पुनर्गठित करने की दिशा में कदम बता रहा है, वहीं स्थानीय इकाइयों के असंतोष से स्पष्ट है कि संवाद और भरोसे की डोर को मज़बूत करना अब पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस असंतोष को समेटकर एकजुट अभियान में कैसे बदलती है — या फिर यह विवाद उधम सिंह नगर से आगे बढ़कर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ लेता है।



