
हल्द्वानी, 25 अक्टूबर 2025 | मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार के चार वर्ष पूरे होने के अवसर पर शनिवार को हल्द्वानी में “धामी सरकार के चार वर्ष : उपलब्धियाँ और विकास की दिशा” विषय पर एक विचार-विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया।
राज्य के शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, जनप्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने इसमें हिस्सा लिया और बीते चार वर्षों में सरकार की नीतियों, सुधारों तथा विकास कार्यों पर विस्तृत चर्चा की।
सुशासन और संवेदनशील प्रशासन का नया मॉडल
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) प्रदीप जोशी, अध्यक्ष, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) एवं पूर्व अध्यक्ष, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने सुशासन, पारदर्शिता और संवेदनशील प्रशासन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री धामी ऐसे नेता हैं जो आंदोलनरत युवाओं तक स्वयं पहुँचकर उनकी बात सुनते हैं। यह संवादात्मक नेतृत्व की मिसाल है।”
डॉ. जोशी ने नकल विरोधी कानून और समान नागरिक संहिता (UCC) को देश के लिए उदाहरण बताते हुए कहा कि इन कानूनों ने उत्तराखण्ड को नीति निर्माण में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने स्मार्ट क्लास, डिजिटल शिक्षा, और नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन को सरकार की दूरदर्शी सोच का परिणाम बताया।
शिक्षा और कौशल विकास में नवाचार
प्रो. (डॉ.) नवीन चन्द्र लोहनी, कुलपति, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, ने राज्य में नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन की सराहना करते हुए कहा कि धामी सरकार ने हर जनपद में स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित कर युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खोले हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की स्थापना स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण का ऐतिहासिक कदम है।
वहीं प्रो. (डॉ.) धनंजय जोशी, पूर्व कुलपति, दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय, ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में युवाओं में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ है। “यह सरकार परंपराओं को निभाने के साथ-साथ नई दिशा में आगे बढ़ने का साहस भी रखती है,” उन्होंने कहा।
कृषि, जैविक खेती और आत्मनिर्भर गाँवों की दिशा में कदम
प्रो. (डॉ.) सतपाल सिंह बिष्ट, कुलपति, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, ने कहा कि उत्तराखण्ड अब सिक्किम और मेघालय के बाद देश का तीसरा अग्रणी ऑर्गेनिक स्टेट बन चुका है।
उन्होंने बताया कि जैविक खेती, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, कंपोजिट एग्रीकल्चर और नवाचार आधारित कृषि मॉडल राज्य के किसानों को दीर्घकालिक लाभ और रोजगार का साधन बना रहे हैं।
डॉ. बिष्ट ने कहा कि सरकार ने पर्वतीय किसानों के लिए बाजार संपर्क, प्रशिक्षण और सहकारी ढाँचे को सुदृढ़ किया है, जिससे गाँवों में आत्मनिर्भरता की नई चेतना आई है।
बुनियादी ढाँचा और तीर्थाटन में बड़ा बदलाव
कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत ने कहा कि धामी सरकार के कार्यकाल में चारधाम यात्रा मार्गों का चौड़ीकरण, ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट, और मंदिरमाला परियोजना जैसे कार्यों से उत्तराखण्ड का स्वरूप बदला है।
उन्होंने कहा कि धर्मांतरण निवारण, अवैध अतिक्रमण हटाने और कानून-व्यवस्था मजबूत करने की दिशा में राज्य ने निर्णायक कदम उठाए हैं।
हल्द्वानी के मेयर गजराज बिष्ट ने कहा कि धामी सरकार को तीन ऐतिहासिक निर्णयों— समान नागरिक संहिता (UCC), नकल विरोधी कानून, और गैरकानूनी मदरसों के विरुद्ध कार्रवाई—के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “इन निर्णयों ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की भावना को सशक्त किया है।”
विज्ञान, अनुसंधान और तकनीक से जुड़ा शासन
प्रो. (डॉ.) दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूकॉस्ट, एवं प्रो. (डॉ.) दीवान सिंह रावत, कुलपति, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, ने वर्चुअल माध्यम से कहा कि राज्य सरकार के नेतृत्व में अनुसंधान और नवाचार को नई दिशा मिली है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड अब विज्ञान एवं तकनीक आधारित शासन का मॉडल बन रहा है, जहां नीति निर्धारण में डेटा और शोध को प्राथमिकता दी जा रही है।
फिल्म नीति और पर्यटन : ‘फिल्म डेस्टिनेशन ऑफ इंडिया’ की पहचान
प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह बिष्ट, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड मीडिया सलाहकार समिति, ने कहा कि सरकार ने फिल्म नीति 2024 लागू कर स्थानीय कलाकारों, तकनीशियनों और फिल्म निर्माताओं के लिए नए अवसर पैदा किए हैं।
उन्होंने कहा, “नई फिल्म नीति ने उत्तराखण्ड को फिल्म डेस्टिनेशन ऑफ इंडिया के रूप में पहचान दी है, जिससे पर्यटन स्थलों को भी वैश्विक पहचान मिल रही है।”
बिष्ट ने बताया कि फिल्म नीति के साथ-साथ तीर्थाटन और इको-टूरिज्म प्रोजेक्ट्स पर भी तेज़ी से काम हो रहा है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
कानून व्यवस्था और आपदा प्रबंधन में सक्रिय नेतृत्व
दिनेश मानसेरा, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड जनसंख्या विश्लेषण समिति, ने बताया कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में अब तक 9000 एकड़ भूमि से अवैध कब्जा हटाया गया है।
उन्होंने कहा कि यह सरकार की “ज़ीरो टॉलरेंस नीति” का परिणाम है।
उन्होंने “सैन्य धाम” के निर्माण और आपदा प्रबंधन में मुख्यमंत्री की सक्रियता का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तरकाशी की शिलक्यारा टनल में 41 श्रमिकों के बचाव के दौरान मुख्यमंत्री का लगातार स्थल पर रहना उनकी संवेदनशीलता का प्रमाण था।
जनभागीदारी और निर्णायक नेतृत्व का प्रतीक
प्रो. (डॉ.) एन. एस. बिष्ट, कुलपति, आम्रपाली विश्वविद्यालय, ने कहा कि धामी सरकार की नीति और नियत स्पष्ट है।
“राज्य हर क्षेत्र में नए विकास आयाम स्थापित कर रहा है, यह निर्णायक नेतृत्व का परिणाम है,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि उत्तराखण्ड आज नीति, पारदर्शिता और सुशासन का उदाहरण बन चुका है।
तीर्थाटन से लेकर टेक्नोलॉजी तक और शिक्षा से लेकर युवाओं के सशक्तिकरण तक, धामी सरकार के चार वर्ष “जन-आस्था से जन-विश्वास तक” की यात्रा के प्रतीक हैं।
सम्मेलन में रही बड़ी उपस्थिति
सम्मेलन का आयोजन मदन मोहन सती, मीडिया समन्वयक, मा० मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।
इस अवसर पर बंशीधर भगत, विधायक, कालाढूंगी क्षेत्र, दीपा दरमवाल, अध्यक्ष, जिला पंचायत नैनीताल, गजराज सिंह बिष्ट, मेयर, हल्द्वानी नगर निगम, अनिल कपूर (डब्बू), अध्यक्ष, मंडी समिति हल्द्वानी, प्रताप सिंह बिष्ट, जिलाध्यक्ष, शंकर कोरंगा और दिनेश आर्य, दर्जा राज्य मंत्री सहित अनेक जनप्रतिनिधि, शिक्षाविद् एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
 
				


