
नई दिल्ली, 9 दिसंबर। वंदे मातरम के सामूहिक पाठ के बाद आज लोकसभा में चुनाव सुधारों पर व्यापक चर्चा होने जा रही है, और इसके साथ ही सदन में सत्तापक्ष–विपक्ष के बीच तीखा राजनीतिक टकराव लगभग तय माना जा रहा है। विपक्ष खासकर कांग्रेस इस मुद्दे पर पूरी आक्रामकता के साथ मैदान में उतरने को तैयार है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चर्चा की शुरुआत करेंगे। राहुल लम्बे समय से वोट चोरी, वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में त्रुटियों को लेकर सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्यों में उन्होंने कई रैलियों और प्रेस वार्ताओं में इन मुद्दों को बार-बार उठाया, यह दावा करते हुए कि लोकतंत्र की जड़ें कमजोर की जा रही हैं।
विपक्ष की रणनीति: SIR, वोटर लिस्ट और ‘बीएलओ की मौतें’ बहस के केंद्र में
सदन के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष की मांग रही है कि वोटर लिस्ट और SIR प्रक्रिया पर समग्र चर्चा कराई जाए। विपक्ष का दावा है कि
- SIR की प्रक्रिया में अनुचित जल्दबाजी
- कई राज्यों में बीएलओ की कथित मौतों का मामला
- और “गरीबों–दलितों–पिछड़ों के वोट काटने” के आरोप
विस्तृत जांच और बहस की मांग करते हैं।
राहुल गांधी पहले ही “हाइड्रोजन बम” और “एटम बम” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके चुनावी गड़बड़ियों को गंभीर बताते रहे हैं। बिहार में उनकी वोटर अधिकार रैली ने भी इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर तेज राजनीतिक विमर्श का विषय बना दिया था।
सरकार का पक्ष: ‘चुनाव आयोग स्वतंत्र है’, पर सुधारों पर खुले विचार
केंद्र सरकार की ओर से तर्क दिया जाता रहा है कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, इसलिए SIR जैसे मामलों पर अलग से सदन में चर्चा संवैधानिक परंपरा के अनुरूप नहीं होगी।
लेकिन सरकार चुनावी ढांचे में सकारात्मक सुधारों की चर्चा के पक्ष में है।
सत्तापक्ष चर्चा के दौरान इन मुद्दों को प्रमुखता दे सकता है—
- एक देश–एक चुनाव पर आयोग की सिफारिशें
- मतदाता सूची का डिजिटाइजेशन, तकनीक के उपयोग
- मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास
- चुनाव आयोग पर विपक्ष के निशानों के खिलाफ सफाई
सरकार यह भी बता सकती है कि हाल के वर्षों में तकनीकी सुधारों से फर्जी मतदान और दोहरी प्रविष्टियों पर काबू पाने में मदद मिली है।
सदन में बीजेपी का मजबूत मोर्चा तैयार
चर्चा में भाजपा की ओर से कई प्रमुख सांसद हिस्सा लेंगे। इनमें—
- निशिकांत दुबे
- अभिजीत गंगोपाध्याय
- पी. पी. चौधरी
- संजय जायसवाल
जैसे अनुभवी सांसद शामिल होंगे, जो विपक्ष के आरोपों का जवाब देने और चुनाव सुधारों पर सरकार की दृष्टि स्पष्ट करने का काम करेंगे।
दो दिन चलने वाली इस बहस के समापन पर किसी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री द्वारा सरकार की ओर से उत्तर दिए जाने की संभावना है।
राजनीतिक महत्व: 2026 के चुनावों की पृष्ठभूमि में बड़ी बहस
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बहस केवल तकनीकी विषयों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आने वाले
- 2026 के कई महत्वपूर्ण राज्य चुनाव,
- और फिर उसके बाद के राष्ट्रीय चुनावों
की पृष्ठभूमि में राजनीतिक रूप से बेहद अहम है। वोटर लिस्ट की शुचिता, चुनाव आयोग की विश्वसनीयता, और चुनावों की पारदर्शिता — ये सभी आगामी राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने वाले मुद्दे हैं।



