
Pune Divorce Case: पुणे में एक नवविवाहित डॉक्टर दंपती ने शादी के महज 24 घंटे के भीतर अलग होने का फैसला कर सबको चौंका दिया है। मर्चेंट नेवी की नौकरी और ‘छिपाए गए सच’ ने सात जन्मों के वादे को एक दिन में ही खत्म कर दिया।
पुणे | भारत में शादियां ‘जन्म-जन्मांतर’ का अटूट बंधन मानी जाती हैं, लेकिन महाराष्ट्र के पुणे से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने आधुनिक रिश्तों की नाजुकता और पारदर्शिता की अहमियत पर नई बहस छेड़ दी है। यहां एक डॉक्टर दंपती (Doctor Couple) की शादी महज 24 घंटे भी नहीं टिक सकी। लव मैरिज के बाद शुरू हुआ विवाद कोर्ट की दहलीज तक पहुंचा और अब 18 महीने की कानूनी प्रक्रिया के बाद दोनों आधिकारिक रूप से अलग हो गए हैं।
लव मैरिज से ‘इंस्टेंट तलाक’ तक का सफर
यह कहानी शुरू हुई थी एक प्रेम संबंध से। दोनों पेशेवर रूप से शिक्षित थे और एक-दूसरे को जानते थे। बड़ी उम्मीदों के साथ शादी की रस्में पूरी हुईं, लेकिन जैसे ही शादी का जश्न खत्म हुआ, कड़वा सच सामने आने लगा। महिला के वकील के अनुसार, विवाह संपन्न होने के कुछ ही घंटों बाद पति ने अपने काम के वास्तविक स्वरूप का खुलासा किया।
पति ने बताया कि वह मर्चेंट नेवी (Merchant Navy) में कार्यरत है और उसकी ड्यूटी का स्वरूप ऐसा है कि उसे साल में 6 से 8 महीने तक समुद्र में जहाज पर रहना पड़ सकता है। यह बात पत्नी के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी, क्योंकि उसे लगा कि उसके पति ने इतनी बड़ी जानकारी शादी से पहले उससे छिपाई थी।
विवाद की मुख्य जड़: ‘6 महीने की जुदाई’ और पारदर्शिता का अभाव
शादी के तुरंत बाद जब पति ने अपनी ड्यूटी और लंबी अनुपस्थिति के बारे में बताया, तो नवविवाहित डॉक्टर पत्नी ने इसे विश्वासघात माना। पत्नी का तर्क था कि:
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पारदर्शिता की कमी: करियर से जुड़ी इतनी महत्वपूर्ण जानकारी शादी से पहले साझा की जानी चाहिए थी।
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पारिवारिक समय: एक डॉक्टर होने के नाते वह चाहती थी कि उसका जीवनसाथी उसके साथ समय बिताए, न कि साल के आधे से ज्यादा वक्त घर से दूर रहे।
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वैचारिक मतभेद: इसी बात को लेकर बहस इतनी बढ़ी कि शादी के पहले 24 घंटों में ही दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई और वे अलग रहने लगे।
कानूनी प्रक्रिया और 18 महीने का इंतजार
हालांकि दोनों ने शादी के अगले दिन ही अलग होने का मन बना लिया था, लेकिन भारतीय कानून के अनुसार तलाक (Divorce) की प्रक्रिया में समय लगता है। आपसी सहमति (Mutual Consent) से तलाक के लिए भी एक निर्धारित अवधि तक अलग रहना अनिवार्य होता है।
अदालत में पेश किए गए दस्तावेजों के अनुसार, दोनों के बीच वैचारिक मतभेद इतने गहरे थे कि सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बची थी। आखिरकार, 18 महीने तक अलग रहने और कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद, पुणे की अदालत ने उन्हें आधिकारिक तौर पर तलाक दे दिया।
बिना किसी हिंसा के ‘मैच्योर’ फैसला
इस मामले की सबसे खास बात यह रही कि जहां अक्सर तलाक के मामलों में दहेज उत्पीड़न या घरेलू हिंसा जैसे गंभीर आरोप लगते हैं, वहीं इस डॉक्टर दंपती ने पूरी गरिमा बनाए रखी।
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शांतिपूर्ण अलगाव: दोनों के बीच किसी भी प्रकार की हिंसा या आपराधिक घटना नहीं हुई।
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आपसी सहमति: उन्होंने महसूस किया कि वे एक-दूसरे के लिए नहीं बने हैं और शांतिपूर्ण तरीके से कानूनी रास्ता चुना।
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सोशल मीडिया पर चर्चा: जैसे ही यह खबर सार्वजनिक हुई, सोशल मीडिया पर ‘आजकल की शादियों’ और ‘कम्युनिकेशन गैप’ को लेकर लंबी बहस छिड़ गई है।
विशेषज्ञों की राय: क्यों टूट रहे हैं शिक्षित जोड़ों के रिश्ते?
मनोवैज्ञानिकों और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि पुणे का यह मामला आधुनिक समाज में बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाता है। आज के युवा:
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करियर और पर्सनल लाइफ के बीच संतुलन को प्राथमिकता देते हैं।
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रिश्तों में 100% पारदर्शिता की मांग करते हैं।
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‘एडजस्टमेंट’ के बजाय ‘कंपैटिबिलिटी’ (संगतता) को अधिक महत्व देते हैं।
वकीलों का कहना है कि अब ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है जहां उच्च शिक्षित जोड़े छोटी-छोटी बातों या करियर की प्राथमिकताओं के कारण बहुत जल्दी अलग होने का फैसला ले लेते हैं।
निष्कर्ष: पारदर्शिता ही है सुखी विवाह की नींव
पुणे का यह ’24 घंटे वाला तलाक’ एक सबक है कि चाहे प्रेम विवाह हो या अरेंज्ड, शादी की बुनियाद ‘सच’ और ‘स्पष्ट संवाद’ पर टिकी होनी चाहिए। मर्चेंट नेवी की नौकरी बुराई नहीं है, लेकिन उसे छिपाना या सही समय पर न बताना एक हंसते-खेलते रिश्ते को तबाह कर सकता है।



