नई दिल्ली | 22 दिसंबर 2025 : भारतमाला परियोजना के तहत निर्मित दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे नए साल में आम जनता के लिए खुलने को तैयार है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) दिल्ली बॉर्डर पर कोहरे से निपटने के लिए फॉग इंडिकेटर लगाने, स्ट्रीट लाइट बदलने और सुरक्षा संकेतकों को दुरुस्त करने का काम युद्धस्तर पर कर रहा है। लगभग 13,000 करोड़ रुपये की लागत से बना यह 210 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच कनेक्टिविटी की नई परिभाषा लिखेगा।
1. अक्षरधाम से देहरादून: समय की होगी बड़ी बचत
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर (NH-9) से शुरू होकर गाजियाबाद (लोनी), बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर होते हुए देहरादून तक जाएगा। वर्तमान में दिल्ली से देहरादून जाने में 5 से 6 घंटे का समय लगता है, जो इस कॉरिडोर के शुरू होने के बाद घटकर मात्र 2.5 से 3 घंटे रह जाएगा।
2. एशिया का सबसे लंबा एलिवेटेड वाइल्डलाइफ कॉरिडोर
इस एक्सप्रेसवे की सबसे बड़ी विशेषता इसका 12 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड सेक्शन है, जो राजाजी नेशनल पार्क के संवेदनशील क्षेत्र से गुजरता है।
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वन्यजीव सुरक्षा: जानवरों की सुरक्षा के लिए कॉरिडोर के नीचे 6 अंडरपास बनाए गए हैं।
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पर्यावरण संतुलन: यह एशिया का सबसे लंबा एलिवेटेड रास्ता है जो वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को बाधित किए बिना बनाया गया है। इसमें गणेशपुर के पास 2 किलोमीटर लंबी सुरंग भी शामिल है।
3. स्पीड लिमिट और सेफ्टी गाइडलाइंस
NHAI ने सुरक्षित यात्रा के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं:
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अधिकतम गति: एक्सप्रेसवे के मुख्य हिस्सों पर वाहनों की अधिकतम गति 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई है।
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जोखिम वाले क्षेत्र: घुमावदार मोड़ों और लैंडस्लाइड संभावित क्षेत्रों में गति सीमा 85 किमी प्रति घंटा रहेगी।
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स्मार्ट संकेत: कोहरे और रात के समय दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हाई-टेक रिफ्लेक्टिव बोर्ड और मॉडर्न स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं।
4. कनेक्टिविटी का ‘महाजाल’: कई एक्सप्रेसवे से जुड़ाव
यह कॉरिडोर केवल दो शहरों को नहीं जोड़ता, बल्कि पूरे क्षेत्र के ट्रैफिक सिस्टम को बदल देगा:
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EPE से जुड़ाव: दिल्ली से बागपत तक का 31 किमी का हिस्सा 1 दिसंबर 2025 को खोला जा चुका है।
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इंटर-कनेक्टिविटी: यह अंबाला-शामली एक्सप्रेसवे, सहारनपुर-हरिद्वार एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे से भी जुड़ा है, जिससे मेरठ, रुड़की, हरिद्वार और हापुड़ जाने वाले यात्रियों को भी बड़ा लाभ होगा।
[Infographic showing the 4 phases of Delhi-Dehradun Expressway from Akshardham to Ganeshpur]
5. पर्यटकों और स्थानीय व्यापार के लिए वरदान
मसूरी और देहरादून जाने वाले पर्यटकों के लिए यह एक्सप्रेसवे किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि उद्घाटन के बाद मसूरी में पर्यटकों की संख्या 20,000 से 25,000 वाहन प्रतिदिन तक पहुँच सकती है। इसके लिए देहरादून ISBT से शिमला बाईपास होते हुए नयागांव और किमादी के रास्ते मसूरी जाने का एक विशेष रूट भी तैयार किया गया है।
एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स (महत्वपूर्ण जानकारी):
यात्री अक्षरधाम, गीता कॉलोनी, सोनिया विहार और मंडोला जैसे स्थानों से एंट्री ले सकेंगे। वहीं बागपत और उत्तर-पश्चिम दिल्ली के लोग गामदी पंचम पुश्ता से एग्जिट ले सकते हैं।
निष्कर्ष: उत्तराखंड के विकास को मिलेगी ‘रफ्तार’
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे केवल एक सड़क नहीं, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन और आर्थिक विकास का इंजन है। नए साल में इसके पूर्ण संचालन के साथ ही उत्तर भारत के यातायात में एक नए युग की शुरुआत होगी।



