
शिलॉन्ग/देहरादून | 22 दिसंबर 2025 पूर्वोत्तर भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली अकाल मौतों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उत्तर-पूर्वी इंदिरा गांधी स्वास्थ्य और सहयोगी विज्ञान संस्थान (NEIGRIHMS), शिलॉन्ग में एक उच्च स्तरीय रोड सेफ्टी सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में चिकित्सा विशेषज्ञों और नीति निर्धारकों ने एक स्वर में सड़क सुरक्षा को केवल एक प्रशासनिक मुद्दा न मानकर इसे ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता’ (Public Health Priority) घोषित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
पद्मश्री प्रो. डॉ. बी. के. एस. संजय: “90 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय भूल का परिणाम”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और एम्स (AIIMS) गुवाहाटी के अध्यक्ष, पद्मश्री प्रो. डॉ. बी. के. एस. संजय ने अपने संबोधन में आंकड़ों के माध्यम से एक डरावनी तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा, “भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक महामारी का रूप ले चुकी हैं। विशेष रूप से मेघालय जैसे पहाड़ी राज्यों में सड़क दुर्घटना मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है, जो अत्यंत चिंताजनक है।”
प्रो. संजय ने रेखांकित किया कि देश में होने वाली लगभग 90 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही, जैसे कि तेज गति (Overspeeding), शराब पीकर गाड़ी चलाना और यातायात नियमों की अनदेखी के कारण होती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये ‘दुर्घटनाएं’ नहीं बल्कि ‘निवारणीय घटनाएं’ (Preventable incidents) हैं, जिन्हें केवल थोड़े से अनुशासन और जागरूकता से रोका जा सकता है।
मेघालय में बढ़ती दुर्घटनाएं: एक आपातकालीन स्थिति
मेघालय की भौगोलिक परिस्थितियों का जिक्र करते हुए प्रो. संजय ने कहा कि यहाँ की घुमावदार सड़कें और मौसम की चुनौतियां ड्राइविंग को कठिन बनाती हैं, लेकिन हाल के वर्षों में अनुशासनहीन ड्राइविंग ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। उन्होंने हालिया हताहतों का हवाला देते हुए राज्य सरकार और नागरिक समाज से तत्काल निवारक कदम उठाने का आग्रह किया। उनके अनुसार, सड़क सुरक्षा अब केवल पुलिस का काम नहीं, बल्कि हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है।
डॉ. गौरव संजय: हेलमेट और सीट बेल्ट – जीवन सुरक्षा के दो मजबूत स्तंभ
प्रसिद्ध ऑर्थोपीडिक सर्जन और रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट डॉ. गौरव संजय ने सेमिनार में तकनीकी और चिकित्सा दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना के दौरान लगने वाली चोटों की गंभीरता को कम करने में सुरक्षा उपकरणों की भूमिका निर्णायक होती है।
डॉ. गौरव ने कहा, “एक सर्जन के रूप में हम देखते हैं कि कैसे हेलमेट न पहनने के कारण सिर की गंभीर चोटें (Head Injuries) और सीट बेल्ट न लगाने के कारण होने वाले मल्टीपल फ्रैक्चर जीवन भर के लिए अपंगता का कारण बन जाते हैं। हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग करने से मृत्यु की संभावना को 40% से 60% तक कम किया जा सकता है।” उन्होंने युवाओं से विशेष रूप से अपील की कि वे ‘कूल’ दिखने के चक्कर में अपनी सुरक्षा से समझौता न करें।
सड़क सुरक्षा के ‘3-E’ मॉडल पर चर्चा
सेमिनार के दौरान विशेषज्ञों ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए तीन प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया:
-
Education (शिक्षा): स्कूली स्तर से ही यातायात नियमों की शिक्षा देना ताकि भविष्य की पीढ़ी जिम्मेदार बने।
-
Enforcement (प्रवर्तन): नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई और तकनीक (CCTV/Speed Sensors) का उपयोग।
-
Engineering (इंजीनियरिंग): सड़कों के ‘ब्लैक स्पॉट्स’ (जहाँ बार-बार दुर्घटनाएं होती हैं) की पहचान करना और उन्हें ठीक करना।
NEIGRIHMS का सराहनीय प्रयास
प्रो. संजय ने इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा आयोजित करने के लिए NEIGRIHMS प्रशासन और विशेष रूप से ऑर्थोपीडिक्स विभाग के प्रमुख प्रो. भास्कर बोरगोहैन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा संस्थानों द्वारा इस तरह के सेमिनार आयोजित करने से जनता के बीच यह संदेश स्पष्ट रूप से जाता है कि सड़क दुर्घटनाएं केवल ट्रैफिक पुलिस का मामला नहीं, बल्कि डॉक्टरों और पूरे समाज की चिंता का विषय हैं।
सेमिनार का मुख्य निष्कर्ष: “सुरक्षित ड्राइव, सुरक्षित जीवन”
सेमिनार के अंत में एक संकल्प लिया गया कि सड़क सुरक्षा को एक जन आंदोलन बनाया जाएगा। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यदि अभी प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के साथ सड़क दुर्घटनाओं का बोझ हमारे स्वास्थ्य ढांचे पर असहनीय हो जाएगा।
मुख्य संदेश:
-
गति सीमा का पालन करें।
-
नशे की हालत में गाड़ी न चलाएं।
-
हमेशा हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग करें।
-
सड़क सुरक्षा को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।



