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महाराष्ट्र और अरुणाचल निकाय चुनाव: भाजपा की ऐतिहासिक जीत, नगर निकायों में महायुति और कमल का दबदबा

महाराष्ट्र में महायुति ने नगर परिषदों–नगर पंचायतों में रिकॉर्ड प्रदर्शन, भाजपा अकेले 3,325 सीटों पर विजयी; अरुणाचल में भी ज्यादातर निकायों पर भाजपा का कब्जा

नई दिल्ली।
महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में हुए निकाय चुनावों के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ी राजनीतिक बढ़त और जश्न का मौका दिया है। महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने नगर परिषदों और नगर पंचायतों में रिकॉर्ड जीत दर्ज की, जबकि अरुणाचल प्रदेश में भी जिला व स्थानीय निकायों पर पार्टी ने अपना दबदबा कायम रखा।

महाराष्ट्र: महायुति की बड़ी बढ़त

महाराष्ट्र में 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों की सीटों पर हुए चुनाव में महायुति ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और भाजपा सबसे बड़ी विजेता पार्टी बनकर उभरी। भाजपा ने कुल 3,325 सीटों पर जीत दर्ज की, जो कुल पार्षदों का लगभग 48 फीसदी हिस्सा है, इसे पार्टी के लिए ऐतिहासिक नतीजे माना जा रहा है।

नगर परिषद अध्यक्षों (मेयर/अध्यक्ष) की बात करें तो करीब 75 फीसदी पद महायुति के खेमे में गए, जिनमें भाजपा के 129 अध्यक्ष शामिल हैं। इससे भाजपा ने स्थानीय निकायों के नेतृत्व स्तर पर भी अपना मजबूत प्रभाव स्थापित किया है, जो आने वाले बड़े चुनावों के लिए संगठनात्मक ताकत बढ़ाने वाला माना जा रहा है।

पिछली बार से दोगुनी से ज़्यादा सीटें

2017 के निकाय चुनावों में भाजपा ने 1,602 सीटें जीती थीं, जबकि इस बार पार्टी ने 3,325 सीटें जीतकर अपनी पिछली ताकत को दोगुने से भी अधिक बढ़ा लिया। यह उछाल संकेत देता है कि नगर निकाय स्तर पर पार्टी का संगठन, उम्मीदवार चयन और प्रचार रणनीति और अधिक सुदृढ़ हुई है।

ग्रामीण इलाकों में भी इस बार भाजपा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। नेतृत्व ने कम आबादी वाले गांवों तक पहुंच बनाकर प्रचार किया और स्थानीय मुद्दों के साथ विकास की भाषा में संवाद साधने की कोशिश की, जिससे ग्रामीण मतदाताओं के बीच समर्थन आधार मजबूत हुआ।

‘विकास बनाम व्यक्तिगत हमले’ की लाइन

चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेतृत्व ने सार्वजनिक तौर पर दावा किया कि अभियान में किसी व्यक्ति विशेष, नेता या पार्टी पर व्यक्तिगत हमले करने के बजाय केवल विकास के मुद्दों पर वोट मांगे गए। प्रचार में पिछली उपलब्धियों की सूची और भविष्य के लक्ष्यों का खाका सामने रखकर मतदाताओं को साधने की रणनीति अपनाने की बात कही गई।

नेतृत्व ने इसे भारतीय राजनीति में एक ‘दुर्लभ मिसाल’ के तौर पर पेश किया कि बिना तीखे आरोप-प्रत्यारोप और व्यक्तिगत आलोचना के भी चुनावी मैदान में शानदार जीत दर्ज की जा सकती है। पार्टी का मानना है कि मतदाताओं ने विकास आधारित नैरेटिव को स्वीकार कर स्थानीय निकाय चुनावों में उसे भरपूर समर्थन दिया है।

अरुणाचल प्रदेश: निकायों पर कमल का दबदबा

अरुणाचल प्रदेश के निकाय चुनावों में भी भाजपा ने अधिकांश सीटों पर कब्जा जमाकर अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी। जिला और नगर निकायों में भाजपा के प्रदर्शन ने यह संकेत दिया है कि पूर्वोत्तर में पार्टी का संगठनात्मक नेटवर्क स्थिर और प्रभावशाली हो चुका है।

इन नतीजों ने न सिर्फ स्थानीय स्तर पर शासन की बागडोर भाजपा के हाथों में सौंपी है, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति के लिए भी यह संदेश दिया है कि पार्टी की पकड़ शहरी और ग्रामीण, दोनों इलाकों में मजबूत बनी हुई है।

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