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उत्तराखंड में रोप-वे विकास को मिली तेजी: मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक, 50 प्रस्तावों में से 6 प्रोजेक्ट्स को मिली प्राथमिकता

देहरादून, 12 दिसंबर 2025: उत्तराखंड में पर्यटन ढांचे को मजबूत करने और कठिन पहाड़ी मार्गों को सुगम बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने रोप-वे नेटवर्क को तेजी से विस्तार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेशभर में प्रस्तावित रोप-वे परियोजनाओं की समीक्षा की गई और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।


सभी रोप-वे परियोजनाओं को मिलेगी एकीकृत स्वीकृति

मुख्य सचिव ने बैठक में स्पष्ट निर्देश दिया कि भविष्य में प्रदेश में बनने वाले सभी रोप-वे प्रस्तावों की स्वीकृति केवल रोप-वे विकास समिति से ही ली जाएगी।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग एजेंसियों द्वारा अलग-अलग प्रोजेक्ट तैयार करने से डुप्लीकेसी और संसाधनों के अपव्यय की आशंका रहती है, इसलिए सभी परियोजनाओं को एक ही मंच से अनुमोदन मिलना अनिवार्य होगा।

मुख्य सचिव ने समिति की प्रथम बोर्ड बैठक दिसंबर माह के अंत तक आयोजित करने के निर्देश देते हुए कहा कि सचिव पर्यटन समिति के सदस्य सचिव होंगे। साथ ही एनएचएलएमएल को आदेश दिया गया कि एसपीवी का सीईओ एक सप्ताह के भीतर नियुक्त किया जाए ताकि बोर्ड बैठक समय पर आयोजित हो सके।


काठगोदाम–हनुमानगढ़ी रोप-वे में कैंचीधाम भी जोड़ा जाएगा

एक बड़ा निर्णय लेते हुए मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि काठगोदाम से हनुमानगढ़ी मंदिर तक प्रस्तावित रोप-वे परियोजना में लोकप्रिय आध्यात्मिक स्थल कैंचीधाम को भी शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कैंचीधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे वहां की यातायात और व्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ रहा है।
रोप-वे के जरिए यहां पहुंच आसान होगी और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।


प्रदेशभर में 50 रोप-वे प्रस्तावित, 6 को मिली प्राथमिकता

बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न जिलों से प्राप्त 50 रोप-वे प्रस्तावों को सूचीबद्ध किया है। इनमें से 6 परियोजनाओं को प्राथमिकता सूची में शामिल किया गया है।

प्राथमिकता वाले प्रमुख प्रोजेक्ट्स

  1. सोनप्रयाग – केदारनाथ रोप-वे (कार्य आबंटन पूर्ण)
  2. गोविंदघाट – हेमकुंट साहिब रोप-वे (कार्य आबंटन पूर्ण)
  3. काठगोदाम – हनुमानगढ़ी रोप-वे (अनुमोदन के चरण में)
  4. कनकचौरी – कार्तिक स्वामी रोप-वे (डीपीआर निर्माणाधीन)
  5. रैथल बारसू – बरनाला रोप-वे (उत्तरकाशी) (डीपीआर हेतु निविदा जारी)
  6. जोशीमठ – औली – गौरसों रोप-वे (निविदा प्रक्रिया प्रगति पर)

मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि शुरुआती चरण में इन्हीं 6 प्रोजेक्ट्स पर विशेष ध्यान दिया जाए, और प्रत्येक प्रोजेक्ट की टाइमलाइन और PERT चार्ट तैयार किए जाएं।


वन एवं वन्यजीव स्वीकृतियों में तेजी लाने पर जोर

मुख्य सचिव ने कहा कि अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों में रोप-वे निर्माण के लिए वनभूमि और वन्यजीव अनुमति आवश्यक होती है, जो प्रक्रिया को लंबा बना देती है।
उन्होंने संबंधित विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए कि इन स्वीकृतियों को “टाइम-बाउंड मोड” में तेजी से पूरा किया जाए ताकि परियोजनाओं में अनावश्यक देरी न हो।

मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि केदारनाथ और हेमकुंट साहिब जैसे अत्यंत संवेदनशील और कठिन क्षेत्रों में रोप-वे निर्माण चुनौतिपूर्ण होगा।
ऐसे में निर्माण स्थल तक बड़े उपकरण पहुंचाने के लिए —

  • सड़कों का टर्निंग रेडियस बढ़ाना,
  • पुलों का मजबूतीकरण,
  • और रास्तों का चौड़ीकरण

पहले से ही योजना में शामिल होना चाहिए।


कठिन पहाड़ी मार्गों में रोप-वे—पर्यटन और यात्राओं में क्रांतिकारी बदलाव

इन रोप-वे परियोजनाओं से उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों और पर्यटन केंद्रों तक पहुंचना बेहद आसान होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि—

  • केदारनाथ और हेमकुंट जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में
  • बारिश और बर्फबारी के दौरान
  • पैदल मार्गों में होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने में

रोप-वे एक सुरक्षित विकल्प साबित होंगे।

इसके अलावा, रोप-वे के विस्तार से स्थानीय स्तर पर नए पर्यटक स्थल, मार्ग विस्तारीकरण, और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का विकास भी तेजी से होगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

मुख्य सचिव ने कहा कि आने वाले 5–10 वर्षों में रोप-वे आधारित पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देगा और इसलिए अभी से व्यापक रोडमैप तैयार करना आवश्यक है।


बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति

बैठक में सचिव:

  • दिलीप जावलकर
  • डॉ. पंकज कुमार पांडेय
  • धीराज सिंह गर्ब्याल
  • अपर सचिव अभिषेक रूहेला
  • और एनएचएलएमएल के प्रशांत जैन

सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सभी अधिकारियों ने अपने-अपने विभागों की ओर से प्रोजेक्ट प्रगति, बाधाएँ और आगामी कार्ययोजना प्रस्तुत की।


निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार द्वारा रोप-वे विकास को प्राथमिकता देने का यह निर्णय पर्वतीय राज्य के पर्यटन, तीर्थाटन और कनेक्टिविटी में नए युग की शुरुआत है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में लिए गए निर्णय बताते हैं कि राज्य आने वाले वर्षों में रोप-वे नेटवर्क को सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि रणनीतिक इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में देख रहा है।

50 परियोजनाओं में से 6 प्रमुख प्रोजेक्ट्स पर फोकस करने का फैसला इस दिशा में ठोस कदम है।
यदि सभी विभाग निर्धारित समयसीमा में कार्य पूरा करते हैं, तो उत्तराखंड आने वाले वर्षों में भारत का सबसे मजबूत रोप-वे नेटवर्क बन सकता है।

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