
देहरादून, 8 दिसंबर 2025: उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलावों और क्रांतिकारी पहलों के साथ नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में ऐसी अनेक योजनाएं शुरू हुई हैं, जिन्होंने न केवल विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाया है, बल्कि युवाओं, शोधकर्ताओं और छात्राओं के लिए प्रेरणा का नया अध्याय खोला है।
उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत के अनुसार, राज्य में पहली बार शुरू की गई कई पहलें विज्ञान के व्यापक प्रसार, शोध-संवर्धन और तकनीकी शिक्षा को ग्रामीण स्तर तक पहुँचाने में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में ‘पहली बार’ की श्रृंखला — उत्तराखण्ड का स्वर्णिम अध्याय
मुख्यमंत्री धामी ने पिछले दो वर्षों में विज्ञान एवं नवाचार को प्राथमिकता देते हुए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। राज्य में शुरू हुई ये पहलें विज्ञान की पहुँच को केवल संस्थानों तक सीमित नहीं रख रही हैं, बल्कि गांव, स्कूल और समुदायों तक उसका दायरा अत्यंत प्रभावी रूप से बढ़ा रही हैं।
पहली बार—विज्ञान रेडियो 88.8 MHz को स्वीकृति
उत्तराखण्ड में पहली बार विज्ञान रेडियो 88.8 MHz की स्वीकृति दी गई है।
यह रेडियो चैनल राज्य में विज्ञान-संचार को एक नई दिशा देगा। इसके माध्यम से—
- वैज्ञानिक जानकारी सरल भाषा में,
- रोचक कार्यक्रमों के जरिए,
- ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों तक
पहुँच सकेगी।
यह पहल भारत में किसी राज्य द्वारा विज्ञान लोकप्रियकरण के क्षेत्र में सबसे अनूठी और प्रभावशाली पहल मानी जा रही है।
महिलाओं के लिए ‘She for STEM’ कार्यक्रम – बेटियों को नई उड़ान
STEM में महिलाओं और छात्राओं की बढ़ती भूमिका को सशक्त करने के लिए उत्तराखण्ड में पहली बार “She for STEM” कार्यक्रम शुरू किया गया।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत—
- हजारों छात्राओं को STEM करियर के लिए मार्गदर्शन,
- विज्ञान, तकनीक और इनोवेशन पर विशेष प्रशिक्षण,
- महिला वैज्ञानिकों के साथ संवाद,
की व्यवस्था की गई है।
इस पहल ने उत्तराखण्ड को उन चुनिंदा राज्यों में शामिल कर दिया है, जो STEM क्षेत्रों में लैंगिक समावेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सभी 13 जनपदों में ‘Labs on Wheels’—विज्ञान अब हर द्वार पर
पहली बार राज्य के सभी 13 जिलों में एक-एक मोबाइल विज्ञान प्रयोगशाला (Lab on Wheels) की शुरुआत की गई है।
इन मोबाइल लैब्स के माध्यम से—
- दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों के बच्चों को प्रयोगात्मक शिक्षा,
- आधुनिक विज्ञान उपकरण,
- लाइव डेमो,
- डिजिटल शिक्षा सामग्री
उपलब्ध कराई जा रही है।
यह पहल फील्ड लेवल पर विज्ञान को पढ़ाने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है और हजारों ग्रामीण छात्रों को प्रयोगशाला आधारित सीखने का अवसर दे रही है।
60 पेटेंट सूचना केंद्र — नवाचार को मिली नई गति
राज्य के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और संस्थानों में पहली बार 60 पेटेंट सूचना केंद्र (PICs) स्थापित किए गए हैं।
इन केंद्रों का उद्देश्य—
- इनोवेशन को बढ़ावा देना,
- छात्रों और शोधार्थियों को पेटेंट प्रक्रिया समझाना,
- स्टार्टअप्स को बौद्धिक संपदा अधिकारों में सहायता देना
है।
इससे उत्तराखण्ड में नवाचार-पर्यावरण और स्टार्टअप इकोसिस्टम को गुणवत्ता के साथ मजबूती मिल रही है।
साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रीमियर लीग—राज्य में विज्ञान का महाकुंभ
इस वर्ष पहली बार पूरे राज्य में Science & Technology Premier League (STPL) का आयोजन किया गया।
यह प्रतियोगिता—
- राज्य के सभी जनपदों
- और 95 ब्लॉकों
में आयोजित की जा रही है।
हजारों छात्र इसमें भाग ले रहे हैं और विज्ञान विषयक मॉडल, शोध, नवाचार और प्रयोग के माध्यम से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
यह देश में विज्ञान-प्रचार के लिए किसी राज्य द्वारा आयोजित सबसे बड़ा प्रांतीय विज्ञान कार्यक्रम माना जा रहा है।
विज्ञान को जनआंदोलन बनाने का संकल्प—मुख्यमंत्री धामी का विज़न
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य में पहली बार शुरू की गई ये ऐतिहासिक पहलें विकसित उत्तराखण्ड @2027 और विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को सुदृढ़ करने में केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं।
मुख्यमंत्री धामी के शब्दों में—
“हम चाहते हैं कि विज्ञान की रोशनी हर गांव, हर स्कूल और हर घर तक पहुँचे। ये पहलें केवल कार्यक्रम नहीं हैं, बल्कि उत्तराखण्ड के भविष्य की नई दिशा हैं। हम युवा वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, स्टार्टअप्स और विशेष रूप से बेटियों को STEM क्षेत्रों में आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। आने वाले समय में उत्तराखण्ड विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में देश का प्रेरक राज्य होगा।”
राज्य के विज्ञान ढांचे में तेज सुधार
इन पहलों के अलावा UCOST ने वैज्ञानिक शोध को बढ़ाने के लिए—
- स्टेट साइंस सेंटरों का आधुनिकीकरण,
- युवा वैज्ञानिक सम्मेलन,
- नवाचार प्रतियोगिताएं,
- स्टार्टअप सहयोग कार्यक्रम
जैसी गतिविधियों को नए स्तर पर आगे बढ़ाया है।
राज्य में अब विज्ञान केवल पढ़ाई का विषय नहीं, बल्कि कौशल, रोजगार और शोध से जुड़ा एक व्यापक अवसर बनकर उभर रहा है।
उत्तराखण्ड—विज्ञान और नवाचार का उभरता हुआ हब
प्रदेश में इन पहलों के बाद—
- वैज्ञानिक सोच,
- नवोन्मेष,
- तकनीकी शिक्षा,
- और शोध
की गति अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखण्ड आने वाले पाँच वर्षों में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में देश के शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हो सकता है।



