
नई दिल्ली, 04 दिसंबर। भारत और रूस के रणनीतिक संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत गुरुवार रात उस समय हुई, जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे। पुतिन का विशेष विमान तय समय पर दिल्ली के पालम एयरफोर्स स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में उतरा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से पहुंचकर उनका स्वागत किया। यह स्वागत न केवल दो नेताओं की मित्रता को दर्शाता है, बल्कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारत–रूस साझेदारी को और मज़बूत करने का संकेत भी देता है।
एयरपोर्ट पर ‘विशेष स्वागत’ — मोदी-पुतिन की बॉन्डिंग फिर हुई मजबूत
जैसे ही पुतिन का विमान रनवे पर उतरा, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और प्रोटोकॉल टीम ने उनका औपचारिक स्वागत किया। कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट पर पहुंचे। मोदी-पुतिन की यह मुलाकात बेहद गर्मजोशी भरी रही। दोनों नेताओं के बीच हाथ मिलाने, गले मिलने और साथ में मुस्कुराते हुए बातचीत करती कई तस्वीरें सामने आईं, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं।
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी एयरपोर्ट से एक ही कार में रवाना हुए, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि दोनों नेताओं के बीच गहरा विश्वास एवं व्यक्तिगत संबंध है।
राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में पीएम मोदी देंगे विशेष रात्रिभोज
राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रात विशेष रात्रिभोज का आयोजन कर रहे हैं। यह ‘डिप्लोमैटिक डिनर’ कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, परमाणु सहयोग, अंतरिक्ष एवं भू-राजनीतिक मुद्दों पर अनौपचारिक स्तर पर भी बातचीत होने की संभावना है।
अमेरिका द्वारा हाल ही में रूस से जुड़े कई व्यापारिक क्षेत्रों पर लगाए गए टैरिफ के बीच यह बैठक वैश्विक कूटनीति पर भी व्यापक प्रभाव डाल सकती है। भारत ने संकेत दिया है कि वह अपने रणनीतिक स्वायत्तता के सिद्धांत को जारी रखते हुए रूस के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखेगा।
कल हैदराबाद हाउस में होगी शीर्ष स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता
शुक्रवार का दिन इस दौरे का सबसे अहम पड़ाव होगा। दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में भारत और रूस के बीच वार्षिक शिखर वार्ता आयोजित होगी — जिसे दोनों देशों की साझेदारी का ‘दिल’ कहा जाता है।
इस वार्ता में निम्न मुद्दों पर बड़े फैसले लिए जाने की संभावना है:
1. रक्षा सहयोग
- नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों की सप्लाई
- ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित संस्करण पर सहयोग
- S-400 मिसाइल सिस्टम की अगली खेप पर चर्चा
- सामरिक निर्माण (Make in India) को बढ़ावा
2. ऊर्जा सेक्टर
- तेल और गैस क्षेत्र में संयुक्त निवेश
- रोसनेफ्ट और ओएनजीसी के नए प्रोजेक्ट
- परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर प्रगति
3. व्यापार और आर्थिक सहयोग
- आपसी व्यापार को 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य
- नए ‘पेमेंट मैकेनिज़म’ की संभावनाएं, ताकि वैश्विक प्रतिबंधों का प्रभाव कम हो
- लॉजिस्टिक कॉरिडोर को मजबूत करने पर चर्चा
4. भू-राजनीति और वैश्विक मुद्दे
- यूक्रेन संकट पर भारत की स्पष्ट ‘शांति-समर्थक नीति’
- इंडो-पैसिफिक में चीन की भूमिका
- ब्रिक्स और एससीओ में नई चुनौतियां
हैदराबाद हाउस की बैठक के बाद दोनों नेता संयुक्त प्रेस बयान भी जारी करेंगे।
भारत को पुतिन की यात्रा से बड़ी आर्थिक उम्मीदें
भारतीय व्यापारिक जगत राष्ट्रपति पुतिन के इस दौरे को ‘अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक अवसर’ मान रहा है। पुतिन के साथ रूस के शीर्ष कारोबारी और औद्योगिक समूहों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल भी भारत पहुंचा है, जो यह संकेत देता है कि व्यापारिक समझौतों का दायरा बड़ा हो सकता है।
भारत को रूस के साथ व्यापार घाटे में सुधार की उम्मीद है, जो ऊर्जा आयात के कारण बढ़ गया है। माना जा रहा है कि:
- रूस भारत में बंदरगाह, इंफ्रास्ट्रक्चर और कोल्ड स्टोरेज में निवेश को बढ़ावा देगा
- दोनों देश रुपये–रूबल ट्रेड को गति देने की दिशा में ठोस कदम उठा सकते हैं
- रूस भारत को कच्चे तेल की दीर्घकालिक सप्लाई सस्ती दरों पर देने की तैयारी में है
वैश्विक दबावों के बीच भारत–रूस साझेदारी का संतुलन
भारत और रूस दशकों से ‘टाइम-टेस्टेड पार्टनर्स’ रहे हैं, लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल में यह रिश्ता नई चुनौतियों और अवसरों से गुजर रहा है। अमेरिका और यूरोप की रूस के खिलाफ नीतियों के बीच भारत अपने रणनीतिक हितों को सर्वोपरि रखते हुए बैलेंस्ड डिप्लोमेसी चला रहा है।
राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब:
- यूक्रेन युद्ध जारी है
- वैश्विक ऊर्जा बाज़ार अस्थिर है
- अमेरिका इंडो-पैसिफिक में भारत की भूमिका को और मजबूत कर रहा है
ऐसे में मोदी–पुतिन मुलाकात विश्व कूटनीति के लिए अहम संकेत दे सकती है।
दोस्ती, विश्वास और साझेदारी—तीन स्तंभों पर खड़ी यह यात्रा
भारत और रूस का रिश्ता केवल कूटनीतिक समझौतों के आधार पर ही नहीं, बल्कि नेताओं के व्यक्तिगत विश्वास पर भी आधारित रहा है। मोदी और पुतिन की मित्रता की कई तस्वीरें पहले भी चर्चित रही हैं — चाहे वह सोची की अनौपचारिक बैठक हो या व्लादिवोस्तोक में मोदी का मेल-मिलाप।
इस बार भी एयरपोर्ट पर दोनों नेताओं की मुलाकात ने यह संदेश दिया कि वैश्विक परिस्थितियों में चाहे जितने परिवर्तन आएं, भारत–रूस संबंध स्थिर और मजबूत बने रहेंगे।
आगे क्या?
आज रात विशेष रात्रिभोज और शुक्रवार की शिखर वार्ता के बाद:
- रक्षा क्षेत्र में 3–5 बड़े समझौते
- ऊर्जा और व्यापार पर 5–7 MoU
- नई रणनीतिक पहल
- और संभवतः एक संयुक्त बयान — जो एशिया की बदलती शक्ति संरचना को प्रभावित कर सकता है



