
देहरादून/नैनीताल। नैनीताल जिले के भवाली क्षेत्र में भूमियाधार रोड स्थित एक मस्जिद को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में आरोप लगाया गया कि मस्जिद परिसर ने सरकारी जंगल की बड़ी भूमि पर कब्जा कर लिया है। वीडियो सामने आते ही मामला तेजी से तूल पकड़ गया और जिला प्रशासन हरकत में आ गया। प्रथम दृष्टया जांच में आरोपों में दम पाया गया, जिसके बाद पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच तेज कर दी गई है।
सोशल मीडिया वीडियो से भड़का विवाद, प्रशासन ने लिया संज्ञान
कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि भूमियाधार रोड पर स्थित मस्जिद ने अपनी सीमा का अवैध रूप से विस्तार किया है। वीडियो में दिखाया गया कि मस्जिद परिसर के चारों ओर बनी चारदीवारी सरकारी जंगल की बड़ी जमीन को घेर रही है। वीडियो तेजी से फैला और स्थानीय लोगों से लेकर राजनीतिक हलकों में इसकी चर्चा शुरू हो गई।
वीडियो के वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने तुरंत संज्ञान लेते हुए राजस्व विभाग और वन विभाग की संयुक्त टीम को मौके की जांच के लिए भेजा। अधिकारियों ने मौके पर जाकर जमीन की पैमाइश और दस्तावेजों का मिलान किया।
जांच में 45 नाली भूमि घेरने की बात आई सामने
संयुक्त टीम की प्रारंभिक रिपोर्ट अत्यंत चौंकाने वाली रही। जांच के दौरान पाया गया कि मस्जिद परिसर के चारों ओर एक चारदीवारी बनाई गई है, जो लगभग 45 नाली भूमि को घेरे हुए है। यह भूमि सरकारी वन क्षेत्र की है।
वन विभाग के रिकॉर्ड और राजस्व दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 1924 में मस्जिद के निर्माण हेतु मात्र 5016 वर्गफुट (लगभग दो नाली पाँच मुट्ठी) भूमि लीज पर दी गई थी। यह लीज ब्रिटिश शासनकाल में दी गई थी और इसका स्पष्ट उल्लेख पुराने नक्शों तथा पट्टा दस्तावेजों में मौजूद है।
ऐसे में लगभग 43 नाली अतिरिक्त भूमि पर अवैध कब्जे की स्थिति सामने आ रही है। यह उत्तराखंड के रिजॉर्ट हिल्स में अवैध अतिक्रमण से जुड़े मामलों में अब तक का एक बड़ा खुलासा माना जा रहा है।
प्रशासन की नजर में अवैध विस्तार, विस्तृत जांच शुरू
अपर जिलाधिकारी (एडीएम) विवेक राय ने बताया कि मामले की गहन जांच जारी है। उन्होंने कहा—
“मस्जिद परिसर का विस्तार कब और कैसे हुआ, इसकी पूरी टाइमलाइन बनाई जा रही है। पुराने रिकॉर्ड, मानचित्र, हवाई तस्वीरें और राजस्व दस्तावेजों की मदद से विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अगर अवैध कब्जा पाया गया, तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।”
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने तक मस्जिद परिसर में किसी प्रकार के निर्माण या विस्तार कार्य पर रोक रहेगी।
पहले भी उठ चुके हैं धार्मिक स्थलों पर कब्जे के सवाल
नैनीताल जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, इससे पहले भी वीरभट्टी क्षेत्र और नैनीताल की मुख्य मस्जिद की भूमि को लेकर विवाद खड़े हो चुके हैं। इन मामलों में भी भूमि के विस्तार और रिकॉर्डेड सीमाओं में गड़बड़ियों की जांच चल रही है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वर्षों से धार्मिक स्थलों के नाम पर सरकारी भूमि पर धीर-धीरे अतिक्रमण बढ़ता गया, जिसका किसी ने विरोध नहीं किया। प्रशासन अब इन सभी मामलों को एक साथ जोड़कर व्यापक जांच कर रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने दिया स्पष्ट संदेश — “देवभूमि का स्वरूप बदलने नहीं देंगे”
यह मुद्दा तूल पकड़ने के बाद राज्य सरकार भी सक्रिय हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी में पूर्व अर्धसैनिकों के सम्मेलन में बिना नाम लिए इस विवाद पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा—
“सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई धार्मिक संरचनाओं को लगातार हटाया जा रहा है। उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और देवभूमि का स्वरूप किसी भी कीमत पर बदलने नहीं देंगे।”
धामी सरकार पहले भी गैरकानूनी अतिक्रमण हटाने के कई अभियान चला चुकी है, जिनमें सरकारी भूमि, वन क्षेत्र और सार्वजनिक उपयोग वाली जमीनों को मुक्त कराया गया है।
कानूनी कार्रवाई की तैयारी, जल्द आएगी आधिकारिक रिपोर्ट
नैनीताल जिला प्रशासन की जांच टीम अब रिकॉर्डेड सीमाओं, निर्माण की तारीखों और विस्तारित भूमि के उपयोग से जुड़े सबूत एकत्र कर रही है। अधिकारियों ने इस मामले में ड्रोन सर्वे, पुराने राजस्व नक्शों का सुपर-इम्पोज़ विश्लेषण, और जियो-मैपिंग जैसी तकनीकें इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि 43 नाली भूमि पर अतिक्रमण की पुष्टि होती है, तो प्रशासन दो कदम उठा सकता है—
- अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई,
- जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा दर्ज करना।
अपर जिलाधिकारी ने बताया कि विस्तृत रिपोर्ट जल्द ही जिलाधिकारी को सौंप दी जाएगी, जिसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू होगी।
स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस विवाद के बाद स्थानीय समुदायों में हलचल है। क्षेत्र के कई निवासी प्रशासन की सक्रियता का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे साम्प्रदायिक रंग देने का आरोप लगाकर विरोध कर रहे हैं। फिलहाल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि—
“मामला धार्मिक नहीं, बल्कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का है। कार्रवाई केवल कानून के आधार पर होगी।”
निष्कर्ष
भूमियाधार मस्जिद का मामला अब नैनीताल जिले में एक प्रमुख प्रशासनिक मुद्दा बन गया है। शुरुआती जांच में 45 नाली तक के विस्तारित परिसर की पुष्टि ने सरकार और प्रशासन की चुनौतियाँ बढ़ा दी हैं। इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि पिछले 100 वर्षों में जमीन का इतना बड़ा विस्तार बिना रिकॉर्ड में आए कैसे हो गया।
इस प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद यह तय होगा कि राज्य सरकार आगे क्या कार्रवाई करती है। फिलहाल, पूरा क्षेत्र मामले के अंतिम निष्कर्ष का इंतजार कर रहा है।



