उत्तर प्रदेश में कफ सिरप माफिया पर ED की बड़ी कार्रवाई, धन शोधन का मामला दर्ज; अवैध दवा कारोबार का नेटवर्क हुआ बेनकाब
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अवैध कफ सिरप निर्माण और वितरण से जुड़े संगठित गिरोह की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तक पहुंच गई है। एजेंसी ने राज्य में तेजी से फैलते इस खतरनाक नेटवर्क के खिलाफ धन शोधन (Money Laundering) का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों के अनुसार, ईडी ने यह कदम उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर उठाया है, जिसमें व्यापक अवैध व्यापार, नकली ब्रांडिंग, अंतरराज्यीय सप्लाई चेन्स और करोड़ों के काले धन का प्रवाह उजागर हुआ था।
अवैध कफ सिरप का धंधा न केवल स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया है, बल्कि पुलिस और खुफिया एजेंसियों के अनुसार इसका उपयोग नशे के वैकल्पिक स्रोत के रूप में भी किया जाता है। गिरोह द्वारा बड़े पैमाने पर कफ सिरप म्यांमार, नेपाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में सप्लाई किए जाने की आशंका है, जिससे यह मामला और गंभीर हो जाता है।
कैसे शुरू हुई कार्रवाई? एसटीएफ ने खोला बड़ा रैकेट
यह पूरा मामला तब सामने आया जब उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने बीते कुछ महीनों में कई जिलों में छापेमारी करते हुए कफ सिरप निर्माण में उपयोग होने वाली प्रतिबंधित रसायनों, नकली पैकेजिंग और लाखों रुपये की दवाइयों को जब्त किया। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि यह गिरोह पिछले कई वर्षों से अवैध फैक्ट्रियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर कफ सिरप का अवैध उत्पादन कर रहा था।
एसटीएफ की दर्ज FIR में बताया गया कि—
- गिरोह नकली लेबल लगाकर दवाइयों को “प्रसिद्ध ब्रांड” की तरह बेचता था।
- निर्माण मानकों की कोई जांच या लाइसेंस नहीं था।
- सिरप में उपयोग होने वाले तत्व कई बार स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक साबित हुए।
- बड़ी मात्रा में ये सिरप नशे के वैकल्पिक साधन के रूप में तस्करी किए जा रहे थे।
इसी FIR का संज्ञान लेते हुए ईडी ने पीएमएलए की धाराओं के तहत एक ईसीआईआर (ECIR) दर्ज किया है, जो धन शोधन के मामलों की जांच शुरू करने का प्रथम चरण माना जाता है।
धन शोधन कैसे हुआ? ईडी की नज़र काले धन के नेटवर्क पर
ईडी अधिकारियों के अनुसार, गिरोह द्वारा बनाई गई नकली और अवैध दवाओं की बिक्री से जो नकदी प्राप्त होती थी, उसे—
- फर्जी कंपनियों के खातों में डाइवर्ट किया जाता था,
- फिर विभिन्न “शेल कंपनियों” के माध्यम से घुमाया जाता था,
- और अंततः अचल संपत्तियों, लग्जरी वाहनों व सोने में निवेश कर वैध दिखाया जाता था।
इस तरीके को लेयरिंग और इंटीग्रेशन की प्रक्रिया कहा जाता है, जिसे ईडी धन शोधन का स्पष्ट संकेत मानती है।
जांच अधिकारियों ने बताया कि गिरोह का नेटवर्क उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, हरियाणा, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है। इनके कनेक्शन दवा बाजारों में सक्रिय कुछ भ्रष्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स और परिवहन नेटवर्क से भी जुड़े मिले हैं।
ईडी की संभावित कार्रवाई—छापेमारी, बैंक खाते फ्रीज़ और संपत्तियों की कुर्की
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, ईडी अब निम्न कार्रवाई कर सकती है—
- गिरोह से जुड़े संदिग्ध व्यक्तियों के बैंक खातों की जांच और आवश्यक होने पर फ्रीज़ करना।
- अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों का “अटैचमेंट” यानी अस्थायी कुर्क।
- मनी ट्रेल (Money Trail) की तलाश करके यह पता लगाना कि अवैध कमाई कैसे और कहां खर्च या निवेश की गई।
- शामिल लोगों से पूछताछ, गिरफ्तारी और कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल करना।
अधिकारी मानते हैं कि इस केस में करोड़ों रुपये की अवैध कमाई का खुलासा हो सकता है।
अवैध कफ सिरप: स्वास्थ्य और समाज के लिए खतरा
भारत और विशेषकर उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में कफ सिरप के अवैध उपयोग की समस्या बढ़ी है। कफ सिरप में कोडीन और अन्य ओपिओइड तत्व होते हैं, जिसे बड़ी मात्रा में सेवन करने पर नशा होता है। यही कारण है कि इनका व्यापार सिर्फ दवा बाजार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि नशे के अवैध कारोबार का हिस्सा भी बन जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे नकली सिरप—
- लिवर और किडनी पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं,
- कई बार इनमें मिलाए गए रसायन शरीर में जहर साबित होते हैं,
- और युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकते हैं।
2023 और 2024 में दुनिया के कुछ देशों में भारतीय कंपनियों द्वारा गलती से बनी दवाइयों से बच्चों की मौत के मामलों ने पहले ही चिंता बढ़ा दी थी, जिसके बाद ड्रग कंट्रोल विभाग देशभर में अधिक सतर्क हुआ है।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल
ईडी के इस मामले को दर्ज करते ही उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल भी बढ़ गई है। विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि आखिर यह गिरोह इतने लंबे समय तक कैसे चलता रहा। वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार संगठित अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है और यह केस उसी का उदाहरण है।
केंद्रीय स्तर पर भी दवाओं की गुणवत्ता और फूड एंड ड्रग रेग्युलेटरी सिस्टम पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में यह मामला केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
आगे की राह—मामले की जड़ तक पहुंचेगी ईडी?
जांच एजेंसियों के अनुसार, यह मामला सिर्फ एक गिरोह तक सीमित नहीं लगता। प्रारंभिक जांच में कई आपस में जुड़े नेटवर्क के संकेत मिले हैं, जिनमें—
- नकली दवा फैक्ट्रियां
- भ्रष्ट लाइसेंस एजेंट
- ट्रांसपोर्ट माफिया
- और किराए के बैंक खाते संचालित करने वाले लोग
शामिल हो सकते हैं।
ईडी की जांच आगे बढ़ते ही कई नए खुलासे होने की संभावना है। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में कई ठिकानों पर छापेमारी की जा सकती है और बड़ी गिरफ्तारी भी संभव है।
निष्कर्ष
अवैध कफ सिरप निर्माण और तस्करी का यह मामला स्वास्थ्य सुरक्षा, अपराध नियंत्रण और आर्थिक पारदर्शिता—तीनों के लिए खतरे की घंटी है। ईडी की जांच से इस पूरे रैकेट की परतें उधड़ने की उम्मीद है। यदि जांच सही दिशा में आगे बढ़ती है, तो यह उन संगठित माफियाओं पर बड़ी चोट होगी जो नकली दवाइयों के जरिए लोगों की जान जोखिम में डालकर अवैध रूप से करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।



