
अल्मोड़ा/हल्द्वानी: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से एक बेहद दर्दनाक सड़क दुर्घटना की खबर सामने आई है। देर रात अल्मोड़ा से हल्द्वानी जा रही एक कार अनियंत्रित होकर शिप्रा नदी में गिर गई, जिसमें तीन शिक्षकों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल है। हादसे की सूचना मिलते ही खैरना थाना पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू अभियान शुरू किया। अंधेरा, दुर्गम स्थल और नदी के तेज बहाव के बावजूद बचाव दल ने कुछ ही घंटों में सभी को बाहर निकाला।
हादसा उन शिक्षकों के साथ हुआ जो अल्मोड़ा से हल्द्वानी एक पारिवारिक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए निकले थे, लेकिन बीच रास्ते उनका सफर हमेशा के लिए थम गया।
कैसे हुआ हादसा: बैक करते समय कार खाई में गिरी
पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच और घायल शिक्षक के बयान से पता चला है कि दुर्घटना कार बैक करते समय हुई। गरमपानी के पास स्थित एक मोड़ पर चालक ने वाहन को थोड़ी देर रिवर्स लिया। अंधेरा होने और सड़क की सीमित चौड़ाई के चलते कार अनियंत्रित होकर सीधे खाई में जा गिरी और तेज गति से नीचे बहती शिप्रा नदी में जा समाई।
स्थानीय लोगों ने तेज आवाज सुनकर राहत कार्य शुरू किया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। बताया गया कि जिस स्थान पर दुर्घटना हुई, वहाँ रोड किनारे गार्ड रेल भी नहीं था, जिससे हादसे की भयावहता और बढ़ गई।
मौके पर ही तीन की मौत, एक घायल को हल्द्वानी रेफर
कार में कुल चार लोग सवार थे, जो सभी पेशे से शिक्षक थे। इनमें से तीन की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। मृतकों की पहचान निम्नानुसार हुई है—
- पुष्कर सिंह भैसोड़ा (50 वर्ष)
- सुरेंद्र भंडारी (45 वर्ष)
- संजय बिष्ट (51 वर्ष)
जबकि मनोज कुमार (43 वर्ष) गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिले। उन्हें सबसे पहले स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए हल्द्वानी के अस्पताल में रेफर कर दिया गया। चिकित्सकों के अनुसार, उनकी हालत अभी भी नाज़ुक बनी हुई है।
अंधेरी रात में चला रेस्क्यू, SDRF ने निकाले शव
दुर्घटना देर रात हुई और आसपास का इलाका बेहद सुनसान था। सड़क से नदी की गहराई काफी है, जिसके कारण रेस्क्यू में चुनौतियाँ बढ़ गईं। एसडीआरएफ टीम को गहरी खाई में उतरकर तलाशी अभियान चलाना पड़ा।
रेस्क्यू टीम ने रस्सों और हेडलाइट्स की मदद से तेज धारा के बीच कार तक पहुंचकर अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला। मृतकों के शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे गए हैं।
स्थानीय स्तर पर लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में सड़क सुरक्षा इंतज़ाम बेहद कमजोर हैं और रात के समय वाहनों को चलाना हमेशा जोखिम भरा रहता है।
स्थानीय लोगों ने उठाए सवाल—‘सड़क पर न गार्ड रेल, न लाइटें’
घटना स्थल पर मौजूद ग्रामीणों और प्रत्यक्षदर्शियों ने सड़क की हालत को हादसे की बड़ी वजह बताया। स्थानीय लोगों का कहना है कि—
- कई स्थानों पर सड़क किनारे गार्ड रेल या बैरियर नहीं हैं,
- रात में स्ट्रीट लाइट नहीं,
- मोड़ बेहद खतरनाक और फिसलन भरे हैं,
- बारिश के बाद कई जगह सड़क धंस चुकी है।
लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस मार्ग पर ट्रैफिक सुरक्षा के इंतज़ाम मजबूत करने चाहिए, क्योंकि पहाड़ों में छोटी सी गलती भी बड़े हादसे में बदल जाती है।
पुलिस ने शुरू की जांच, वाहन के तकनीकी पहलुओं की भी पड़ताल
खैरना थाना पुलिस ने दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है।
जांच के मुख्य बिंदु निम्न हो सकते हैं—
- क्या कार में तकनीकी खराबी थी?
- क्या सड़क की स्थिति दुर्घटना का कारण बनी?
- क्या चालक ने पीछे करते समय दूरी का सही अनुमान नहीं लगाया?
- क्या इलाके में पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम थे?
पुलिस ने बताया कि घायल शिक्षक का बयान महत्वपूर्ण है और उसके स्थिर होने के बाद विस्तृत बयान लिया जाएगा।
शिक्षक समुदाय में शोक की लहर, स्कूलों में शोक संदेश
देर रात जैसे ही दुर्घटना की जानकारी अल्मोड़ा और हल्द्वानी में पहुंची, शिक्षकों व परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई। मृतक लंबे समय से शिक्षा विभाग में सेवाएं दे रहे थे और स्थानीय समुदाय में उनकी अच्छी छवि थी।
स्कूलों में आज सुबह मौन रखकर दिवंगत शिक्षकों को श्रद्धांजलि दी गई। कई स्थानों पर सोशल मीडिया पर भी शिक्षकों की याद में संदेश साझा किए जा रहे हैं।
इस मार्ग पर पहले भी हो चुके हैं कई हादसे
अल्मोड़ा–हल्द्वानी मार्ग पर गरमपानी के आसपास दुर्घटनाओं का इतिहास रहा है। पहाड़ी मोड़, संकरे रास्ते और कई जगहों पर टूटे किनारे इस पूरी स्टेच को जोखिमपूर्ण बनाते हैं। गत वर्षों में भी कई वाहन यहाँ खाई में गिर चुके हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई है।
स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि लंबे समय से सड़क चौड़ीकरण, गार्ड रेल लगाने और स्ट्रीट लाइट की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
मृतकों के परिजनों ने प्रशासन से इस हादसे की पूरी जांच और रोड सुरक्षा में सुधार की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सड़क किनारे सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होती तो यह दुर्घटना टल सकती थी।
कुछ लोगों ने स्थानीय प्रशासन पर भी सवाल उठाए कि इतनी दुर्घटनाओं के बाद भी यहाँ मजबूत बैरियर नहीं लगाए गए।
दर्दनाक हादसा और एक परिवार की उजड़ी खुशियाँ
शादी में शामिल होने के लिए निकले चार शिक्षक कभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सके। परिवारों के लिए यह हादसा किसी सदमे से कम नहीं।
जहाँ तीन परिवारों ने अपने घर के कमाऊ सदस्य को हमेशा के लिए खो दिया, वहीं एक शिक्षक जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहा है।
सड़क सुरक्षा पर बड़ी बहस की जरूरत
उत्तराखंड के पहाड़ी मार्गों पर हर साल सैकड़ों दुर्घटनाएँ होती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि—सड़क की चौड़ाई, सुरक्षा बैरियर, उचित संकेतक और सड़क किनारे लाइटिंग जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं की कमी इन हादसों को बढ़ावा देती है। यह दुर्घटना फिर से याद दिलाती है कि सड़क सुरक्षा केवल कागज़ों में नहीं, बल्कि जमीन पर लागू होनी चाहिए।



