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‘बुके नहीं—बुक दीजिए’: मुख्यमंत्री धामी का संदेश, कहा—AI के दौर में भी किताबों का कोई विकल्प नहीं

देहरादून। तेज़ी से बदलते डिजिटल युग में जहां आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) मानव जीवन के अधिकांश क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किताबों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “तकनीक कितनी भी आगे बढ़ जाए, पुस्तकें विचारों की गहराई और ज्ञान की स्थायित्व का स्रोत बनी रहेंगी।” मुख्यमंत्री ने यह बात सोमवार को वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक जय सिंह रावत की नई पुस्तक ‘उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास’ के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कही।


राजनीतिक यात्रा का विस्तृत, तथ्यपरक और प्रामाणिक दस्तावेज़

मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक के विमोचन के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने लेखक जय सिंह रावत को बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक राज्य निर्माण के बाद की 25 वर्षों की राजनीतिक यात्रा, प्रशासनिक प्रक्रियाओं, सत्ता परिवर्तन, नीतिगत बदलावों और विकास गाथा का संतुलित और दस्तावेज़-आधारित विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के इतिहास और समाज पर कई पुस्तकें उपलब्ध हैं, लेकिन राज्य के गठन के बाद की ढाई दशक की राजनीतिक घटनाओं को तथ्यों, दस्तावेज़ों, अभिलेखों और प्रेस कतरनों के साथ एक क्रमिक ऐतिहासिक यात्रा के रूप में संकलित करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे रावत ने ईमानदारी और पत्रकारिता की निष्ठा के साथ किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पुस्तक न केवल शोधार्थियों, विद्यार्थियों, प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए उपयोगी है, बल्कि उत्तराखंड की राजनीतिक रूपरेखा को समझने के इच्छुक सामान्य पाठकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदर्भग्रंथ बनकर उभरती है।


“AI चाहे जितना आगे बढ़ जाए, किताबें कभी पुरानी नहीं पड़तीं”

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने आज की डिजिटल पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि इंटरनेट और AI ने निश्चित रूप से सूचना को आसान और त्वरित बनाया है, लेकिन किताबें व्यक्ति की विचार-शक्ति, विश्लेषण क्षमता और ज्ञान के क्षितिज को व्यापक बनाती हैं।

उन्होंने कहा—
“AI तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन यह पुस्तक की जगह नहीं ले सकता। किताबें केवल जानकारी नहीं देतीं, वे सोचने, समझने और सीखने का एक गहरा अनुभव प्रदान करती हैं।”

मुख्यमंत्री ने समाज में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने की अपील करते हुए कहा कि हर कार्यक्रम, समारोह और मंच पर लोग “बुके नहीं, बुक दीजिए” की परंपरा अपनाएँ। इससे लेखक सम्मानित होंगे, साहित्य को प्रोत्साहन मिलेगा और युवाओं में पठन-पाठन की आदत को ऊर्जा मिलेगी।


स्थानीय भाषाओं के संरक्षण पर सरकार की बड़ी प्राथमिकता

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी सहित सभी स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण और प्रसार को सरकार की उच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक पहचान, विरासत और आत्मा होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा—
“हमारी बोली-भाषाएँ हमारे अस्तित्व की जड़ें हैं। उन्हें सुरक्षित रखना हमारा सामूहिक कर्तव्य है।”

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार स्थानीय भाषाओं के डिजिटलाइजेशन के लिए बड़े कदम उठा रही है, ताकि इन भाषाओं का साहित्य, लोककथाएँ, गीत-संग्रह, परंपराएँ और सांस्कृतिक ज्ञान आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके।


डिजिटल माध्यमों से मातृभाषाओं को नया जीवन

सीएम धामी ने बताया कि सरकार विशेष रूप से युवाओं को मातृभाषा में कंटेंट क्रिएशन, फिल्म निर्माण, डिजिटल आर्काइव, लोकगीत-संग्रह और शोध कार्य के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
उन्होंने कहा कि—

  • स्थानीय भाषाओं में काम करने वाले विद्यार्थियों और युवा क्रिएटर्स के लिए प्रतियोगिताएँ और सम्मान योजनाएँ चलाई जा रही हैं
  • संस्कृति एवं शिक्षा विभाग मिलकर ग्रंथ-संग्रह, ई-लाइब्रेरी, ऑडियो-विज़ुअल आर्काइव पर काम कर रहा है
  • डिजिटल माध्यमों पर सामग्री उपलब्ध कराकर मातृभाषाओं को आधुनिक और अधिक सशक्त बनाया जा रहा है

सीएम ने कहा कि जब बच्चे अपनी मातृभाषा और संस्कृति से जुड़ते हैं, तो उनमें आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और सांस्कृतिक चेतना मजबूत होती है, जो समाज के लिए दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है।


“अपने घरों और विद्यालयों में बोलें अपनी बोली”

मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि परिवार और शैक्षणिक संस्थान बच्चों को उनकी मातृभाषा की समृद्ध परंपरा से परिचित कराएँ। उन्होंने कहा कि घर, स्कूल और समुदाय में अपनी बोली-भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि यह केवल सांस्कृतिक पहचान न रहकर जीवन का अभिन्न हिस्सा बने।

उन्होंने कहा— “हमारी संस्कृति, भाषा और परंपराएँ हमारे पूर्वजों की सबसे बड़ी धरोहर हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों, सीमित संसाधनों और संघर्षों के बावजूद उन्होंने इन्हें सुरक्षित रखा, यही संदेश हमें आगे बढ़ाना है।”


कार्यक्रम में कई वरिष्ठ हस्तियों की उपस्थिति

पुस्तक विमोचन समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक बृज भूषण गैरोला, अनेक वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
सभी ने लेखक जय सिंह रावत को उनके शोधपूर्ण और प्रामाणिक कार्य के लिए बधाई दी।


समापन

पुस्तक विमोचन के इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी का संदेश स्पष्ट था—तेजी से डिजिटलीकरण और AI के विस्तार के बीच किताबें, मातृभाषाएँ और सांस्कृतिक विरासत समाज को मजबूत बनाती हैं।
उत्तराखंड सरकार जहाँ एक ओर आधुनिक तकनीक और डिजिटलाइजेशन को अपनाने के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर अपनी जड़ों—भाषा, साहित्य और लोकसंस्कृति—को सुरक्षित रखने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए समर्पित है।

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