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कीर्ति सुरेश बनी यूनिसेफ इंडिया की नई ‘सेलिब्रिटी एडवोकेट’, बच्चों के अधिकारों के लिए बढ़ाएँगी आवाज़

नई दिल्ली, 16 नवंबर: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री कीर्ति सुरेश को यूनिसेफ इंडिया ने रविवार को अपना नया ‘सेलिब्रिटी एडवोकेट’ नियुक्त किया। तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्म उद्योग में अपनी सशक्त अभिनय क्षमता के लिए पहचानी जाने वाली कीर्ति अब भारत में बच्चों के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े अभियानों में यूनिसेफ के साथ मिलकर काम करेंगी।

यूनिसेफ द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कीर्ति सुरेश को उन चुनिंदा सार्वजनिक हस्तियों के समूह में शामिल किया गया है, जो कमजोर और वंचित बच्चों की आवाज़ को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाने के लिए संगठन के साथ साझेदारी करते हैं। इस समूह में पहले से ही कई प्रतिष्ठित भारतीय कलाकार और खिलाड़ी शामिल हैं, जो समाज के सबसे संवेदनशील वर्ग—बच्चों—के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।


दक्षिण भारतीय सिनेमा का प्रभाव और यूनिसेफ की रणनीति

यूनिसेफ ने बताया कि कीर्ति को यह भूमिका उनकी लोकप्रियता, सामाजिक प्रतिबद्धता और बच्चों के मुद्दों पर संवेदनशील दृष्टिकोण को देखते हुए दी गई है। दक्षिण भारत में उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग और देशभर में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि उनकी पहुंच से सामाजिक अभियानों को और ज़्यादा प्रभाव मिलेगा।

भारत में यूनिसेफ की विभिन्न परियोजनाएं विशेष रूप से बाल पोषण, किशोर स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, सुरक्षित वातावरण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर केंद्रित हैं। ऐसे में संगठन का मानना है कि कीर्ति सुरेश की भागीदारी इन अभियानों को गाँवों, कस्बों और शहरों की युवा आबादी तक अधिक प्रभावी रूप में पहुंचाएगी।


कीर्ति सुरेश की सामाजिक भागीदारी और उनकी नई जिम्मेदारियां

फिल्म ‘महनती’ में महान अभिनेत्री सावित्री की भूमिका निभाकर राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली कीर्ति सुरेश न केवल एक सफल कलाकार रही हैं, बल्कि कई सामाजिक पहलों में उनकी सक्रिय भागीदारी भी देखी गई है।

यूनिसेफ इंडिया के अनुसार, सेलिब्रिटी एडवोकेट की भूमिका के तहत कीर्ति—

  • बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण
  • ट्रैफिकिंग और शोषण से सुरक्षा
  • बच्चियों की शिक्षा और समान अवसर
  • किशोर मानसिक स्वास्थ्य
    जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता अभियान चलाएंगी।

कीर्ति जल्द ही यूनिसेफ के “हर बच्चा मायने रखता है” और “बेटी पढ़ाओ-बच्चों को बचाओ” जैसे प्रमुख अभियानों से भी जुड़ सकती हैं।


कीर्ति ने कहा—“बच्चों की भलाई सबसे बड़ी जिम्मेदारी”

नियुक्ति के बाद जारी अपने संदेश में कीर्ति सुरेश ने कहा कि बच्चों से जुड़े मुद्दों पर काम करना उनके लिए सम्मान के साथ-साथ एक बड़ी जिम्मेदारी भी है।
उन्होंने कहा—
“भारत की अगली पीढ़ी को सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त बनाना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। यूनिसेफ जैसे वैश्विक संगठन के साथ काम करते हुए मुझे यह अवसर मिला है कि मैं अपनी आवाज़ से लाखों बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश कर सकूं।”

उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की समस्याओं को समझना और उन्हें समाधान तक पहुँचाना आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में शामिल है।
“मैं चाहती हूँ कि हर बच्चा सुरक्षित भी रहे, स्वस्थ भी रहे और अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सके।”


यूनिसेफ इंडिया ने why कीर्ति को चुना?

यूनिसेफ इंडिया के अधिकारियों ने बताया कि कीर्ति सामाजिक अभियानों में प्रामाणिक रूप से जुड़ती हैं और बच्चों एवं महिलाओं के मुद्दों पर उनकी आवाज़ को लोग बेहद गंभीरता से लेते हैं।

यूनिसेफ के बयान के अनुसार—

  • कीर्ति सुरेश युवाओं में लोकप्रिय हैं और उनके संदेशों का सीधा असर व्यापक दर्शक समूह पर पड़ता है।
  • वह कई भाषाओं में काम करती हैं, जिससे यूनिसेफ के अभियानों की पहुँच बहुभाषी और बहु-क्षेत्रीय दर्शकों तक बढ़ेगी।
  • वह अपनी सार्वजनिक छवि और जिम्मेदार व्यवहार के कारण समाज में एक भरोसेमंद व्यक्तित्व के रूप में देखी जाती हैं।

भारत में बच्चों की चुनौतियाँ और यूनिसेफ की भूमिका

भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देशों में से एक है, लेकिन इस बड़ी आबादी के साथ गंभीर चुनौतियाँ भी मौजूद हैं:

  • बाल कुपोषण
  • स्कूल छोड़ने की बढ़ती दर
  • बाल विवाह
  • बाल श्रम और शोषण
  • लैंगिक असमानता
  • मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ

यूनिसेफ कई राज्यों में इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर कार्य करता है। स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार, पोषण अभियानों को सशक्त बनाना, डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना और किशोरियों के आत्मनिर्भरता कार्यक्रम चलाना यूनिसेफ की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं।

कीर्ति सुरेश का जुड़ना यूनिसेफ के लिए एक बड़ा सामरिक कदम माना जा रहा है, क्योंकि भारतीय फिल्म उद्योग के प्रभाव का उपयोग जागरूकता बढ़ाने के लिए बेहद प्रभावी साबित होता है।


फिल्म जगत ने भी दी बधाई

कीर्ति सुरेश की इस नई भूमिका को लेकर फिल्म उद्योग में भी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कई अभिनेताओं, निर्देशकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनकी नियुक्ति को ‘सही निर्णय’ बताया।

कुछ निर्देशकों ने कहा कि कीर्ति न केवल अपनी अभिनय क्षमता से प्रभावित करती हैं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी वह अनुशासित और संवेदनशील व्यक्तित्व रखती हैं, जो इस जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त है।


आगे की राह: जागरूकता से वास्तविक बदलाव तक

भारत में बच्चों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। सामाजिक हस्तियों का जुड़ाव, समुदाय की सहभागिता और लोगों की मानसिकता में बदलाव अनिवार्य है। ऐसे में कीर्ति सुरेश जैसी लोकप्रिय हस्ती का इस अभियान का हिस्सा बनना, बच्चों से संबंधित मुद्दों को मुख्यधारा की चर्चाओं में वापस लाने में बड़ा योगदान देगा।

यूनिसेफ की रणनीति है कि आने वाले महीनों में कीर्ति सुरेश देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर बच्चों से जुड़ी ज़मीनी चुनौतियों को समझें और उन अनुभवों को सार्वजनिक मंचों पर साझा करें, ताकि नीति निर्माण और सामाजिक जागरूकता दोनों स्तरों पर असर पड़े।

कीर्ति सुरेश की यूनिसेफ इंडिया की सेलिब्रिटी एडवोकेट के रूप में नियुक्ति न सिर्फ उनके करियर का महत्वपूर्ण अध्याय है, बल्कि भारत के लाखों बच्चों के लिए भी उम्मीद लेकर आई है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि उनकी सक्रिय भागीदारी से यूनिसेफ के अभियानों को कितना नया आयाम मिलता है।

यह नियुक्ति उन सभी बच्चों के लिए आशा का संदेश है, जिनकी आवाज़ अक्सर अनसुनी रह जाती है—और अब कीर्ति सुरेश उसी आवाज़ को मजबूती देने का काम करेंगी।

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