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बीजेपी की ‘विभाजनकारी राजनीति’ का मुकाबला करने के लिए, पहले से अधिक वामपंथी हुई है कांग्रेस…शशि थरूर

हैदराबाद, 14 नवंबर। कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति” का मुकाबला करने के प्रयास में कांग्रेस पार्टी हाल के वर्षों में पहले से अधिक वामपंथी रुख अपनाने लगी है। थरूर ने यह टिप्पणी ‘रेडिकल सेंट्रिज्म’ विषय पर अपने व्याख्यान के बाद आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में की।


“कांग्रेस अब पहले से ज्यादा वामपंथी” — थरूर

कार्यक्रम में पूछे गए एक सवाल — क्या भाजपा की राजनीति के खिलाफ कांग्रेस व वामपंथी दलों का साथ आना ‘रेडिकल सेंट्रिज्म’ का उदाहरण है? — के जवाब में थरूर ने कहा कि यह सवाल व्यावहारिक राजनीति की बारीकियों से जुड़ा है, लेकिन उनके विचार सिद्धांतों और विचारधारा की दिशा पर केंद्रित हैं।

थरूर ने कहा:
“रणनीतिक समायोजन लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कुछ मायनों में इसका नतीजा यह हुआ है कि मेरी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा वामपंथी बन गई है। अगर आप डॉ. मनमोहन सिंह की पार्टी को देखें तो वह अधिक सचेत मध्यमार्गी थी, जिसने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की कुछ नीतियों को भी अपनाया था।”

उनका संकेत था कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में भाजपा के खिलाफ वैचारिक संघर्ष ने कांग्रेस को अपने रूढ़िगत आर्थिक और सामाजिक रुझानों में बदलाव करने पर मजबूर किया है।


“मुद्दा रणनीति से ज्यादा सिद्धांतों का है”

थरूर ने आगे कहा कि उनका विश्लेषण गठबंधन राजनीति, सीट बंटवारे या चुनावी रणनीति पर आधारित नहीं है, बल्कि व्यापक वैचारिक धाराओं पर आधारित है, जिनमें आज की राजनीति में कई दूरी और विभाजन पैदा हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की ध्रुवीकरण आधारित राजनीति ने विपक्षी दलों को एक-दूसरे के करीब लाने की स्वाभाविक प्रक्रिया तेज कर दी है।


‘रेडिकल सेंट्रिज्म’ पर उनका दृष्टिकोण

कार्यक्रम से पहले थरूर ने रेडिकल सेंट्रिज्म पर अपना व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि—

  • राजनीति को दोनों अतिवादी ध्रुवों से हटाकर
  • एक साहसी, प्रगतिशील और संतुलित केंद्र की ओर ले जाना
  • आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है।

उन्होंने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में ऐसी नीति ही टिकाऊ और समावेशी शासन सुनिश्चित कर सकती है।


थरूर के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक आगामी चुनावी रणनीतियों और कांग्रेस की वैचारिक दिशा के संदर्भ में महत्वपूर्ण मान रहे हैं। इसे भाजपा और कांग्रेस के बीच बढ़ती वैचारिक ध्रुवीकरण का संकेत भी माना जा रहा है।

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