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प्रोजेक्ट ‘उत्कर्ष’ : देहरादून में सरकारी स्कूलों को मिला नया स्वरूप, डीएम सविन बंसल की पहल से शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव

देहरादून, 11 नवंबर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से शुरू हुआ देहरादून जिला प्रशासन का महत्वाकांक्षी “प्रोजेक्ट उत्कर्ष” अब सरकारी शिक्षा व्यवस्था के कायाकल्प की दिशा में ठोस परिणाम दे रहा है।

जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में चल रहे इस प्रोजेक्ट के तहत सरकारी विद्यालयों को न केवल आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है, बल्कि छात्रों में आत्मविश्वास और विद्यालयों के प्रति गर्व की भावना भी जागृत हुई है।

सरकारी विद्यालय बने आधुनिक और आत्मनिर्भर

जिलाधिकारी बंसल ने बताया कि प्रोजेक्ट का उद्देश्य सरकारी स्कूलों को निजी संस्थानों के समकक्ष लाना है, ताकि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, आधुनिक अधोसंरचना और खेल-कूद की सुविधाएँ समान रूप से उपलब्ध हों।
उनके अनुसार, “मा. मुख्यमंत्री की प्रेरणा और मार्गदर्शन में हमने यह तय किया कि सरकारी विद्यालय अब अभाव के प्रतीक नहीं, बल्कि अवसर और गुणवत्ता के केन्द्र बनें।”

प्रोजेक्ट के तहत देहरादून जिले के लगभग सभी सरकारी विद्यालयों में फर्नीचर, व्हाइट बोर्ड, लाइट, विद्युत संयोजन, आउटडोर स्पोर्ट्स और वाटर टैंकों की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही विद्यालयों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय और डिजिटल शिक्षा की ओर कदम

प्रोजेक्ट ‘उत्कर्ष’ के तहत जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, एलईडी बल्ब, और व्हाइट बोर्ड लगाए जा चुके हैं।
शुद्ध पेयजल के लिए 379 टंकी, स्कूल परिसर की सुरक्षा के लिए 820 मंकी नेट, और बच्चों के मनोरंजन के लिए 428 बेबी स्लाइड और 321 झूले लगाए गए हैं।
खेल सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए 77 वॉलीबॉल कोर्ट, 129 बैडमिंटन कोर्ट, और 474 विद्यालयों में ज्ञानवर्धक पेंटिंग्स भी बनाई गई हैं।

कॉर्पोरेट और संस्थागत सहयोग से साकार हुआ मॉडल

डीएम बंसल ने बताया कि यह प्रोजेक्ट केवल सरकारी बजट तक सीमित नहीं रहा। ओएनजीसी ने 34 विद्यालयों में 1,974 फर्नीचर सेट, हुडको ने 629 प्राथमिक विद्यालयों में 567 फर्नीचर सेट उपलब्ध कराए हैं।
इसी तरह, जिला खनिज न्यास निधि से 39 प्राथमिक और 80 माध्यमिक विद्यालयों को कुल 4,260 फर्नीचर सेट प्रदान किए गए हैं।

168 विद्यालयों में डिजिटल लर्निंग के लिए स्मार्ट टीवी लगाने की प्रक्रिया जारी है, जिससे छात्रों को इंटरएक्टिव शिक्षा का अनुभव मिल सकेगा।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में सुविधाओं का विस्तार

देहरादून जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय (KGBV) — त्यूनी, कोरबा और कालसी — को विशेष रूप से उन्नत किया जा रहा है।
इन विद्यालयों में डिजिटल स्मार्ट बोर्ड, प्रिंटर, इंटरनेट कनेक्शन, इन्वर्टर, सीसीटीवी कैमरे, फर्नीचर, डाइनिंग टेबल, वॉशिंग मशीन, वाटर प्यूरिफायर, गीजर, रेफ्रिजरेटर, ट्रैकसूट और स्पोर्ट्स शूज जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।

विशेष रूप से केजीबीवी कोरवा में 100 कुर्सी-टेबल, 16 सीसीटीवी कैमरे, 30 रूम हीटर, 4 वाटर प्यूरिफायर, वाई-फाई इंटरनेट, 19 डाइनिंग टेबल, और 150 कुर्सियों की सुविधा दी गई है।
विद्यालयों में सफाई और कंप्यूटर संचालन के लिए समर्पित कार्मिक रखे गए हैं, जिनके लिए सालाना ₹4 लाख का मानदेय निर्धारित किया गया है। डीएम बंसल ने बताया कि केजीबीवी को संसाधन विस्तार हेतु ₹34.24 लाख की अतिरिक्त धनराशि आवंटित की गई है।

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए व्यापक बजटीय प्रावधान

प्रोजेक्ट उत्कर्ष के अंतर्गत जिलाधिकारी ने ₹1 करोड़ की राशि मुख्य शिक्षा अधिकारी के नियंत्रण में रखी है।
विकासखंडवार दो चरणों में यह राशि जारी की गई — पहले चरण में ₹94 लाख और दूसरे चरण में ₹97.80 लाख।

अब तक जिले के विद्यालयों में 18.41 लाख रुपये से व्हाइटबोर्ड, 27 लाख से पानी की टंकी, 47.26 लाख से मंकी नेट, और 23.26 लाख से झूले लगाए जा चुके हैं। इसी प्रकार, 29.75 लाख से बेबी स्लाइड, 11.39 लाख से वॉलीबॉल और हैंडबॉल कोर्ट, तथा 39.35 लाख से बैडमिंटन कोर्ट बनाए गए हैं।

93 विद्यालयों में 12.60 लाख से पेंटिंग और सौंदर्यीकरण कार्य पूरे किए गए हैं, जिससे शिक्षण वातावरण अधिक आकर्षक और प्रेरणादायक बन गया है।

ज्ञान संस्कृति को सुदृढ़ करने की दिशा में कदम

जिलाधिकारी की पहल पर प्रत्येक विद्यालय में अब समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, शब्दकोश, महापुरुषों की जीवनी, और ज्ञानवर्धक कॉमिक्स रखे जा रहे हैं।
इससे छात्रों में पठन संस्कृति का विकास हो रहा है और कक्षा के बाहर भी सीखने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिल रहा है।

डीएम बंसल ने कहा कि,

“हमारा लक्ष्य है कि सरकारी विद्यालयों के बच्चे न केवल परीक्षा में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें। शिक्षा में गुणवत्ता और समान अवसर देना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

सरकार की ‘मॉडल एजुकेशन डिस्ट्रिक्ट’ योजना में अग्रणी देहरादून

राज्य सरकार ने देहरादून जिले को ‘मॉडल एजुकेशन डिस्ट्रिक्ट’ के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है।
प्रोजेक्ट उत्कर्ष को इस दिशा में एक पायलट मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है, जिसे आने वाले समय में अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।

मुख्यमंत्री धामी ने हाल ही में कहा था कि “शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार, उत्तराखंड के भविष्य की नींव हैं।”
उन्होंने देहरादून प्रशासन के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि “प्रोजेक्ट उत्कर्ष ने दिखा दिया है कि यदि नीयत और नियोजन सही हो, तो सरकारी संस्थान भी उत्कृष्टता के प्रतीक बन सकते हैं।”

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