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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तराखंड पुलिस ने लगाए 996 CCTV कैमरे, RTI से हुआ खुलासा

हर थाने की गतिविधि पर अब रहेगी डिजिटल निगरानी

काशीपुर: सुप्रीम कोर्ट के परमवीर सिंह सैनी बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए निर्देशों के अनुपालन में उत्तराखंड पुलिस ने राज्यभर के पुलिस थानों में 996 सीसीटीवी कैमरे स्थापित कर दिए हैं।

यह जानकारी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को सूचना का अधिकार (RTI) के तहत पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई है।

इस पहल का उद्देश्य पुलिस कार्यवाही में पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण को सुनिश्चित करना है। राज्य पुलिस ने इन कैमरों के संचालन, रखरखाव और निरीक्षण के लिए राज्य तथा जनपद स्तर पर समितियाँ गठित की हैं।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई निगरानी व्यवस्था

पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिनांक 2 दिसंबर 2020 के अनुपालन में राज्यभर के 166 पुलिस थानों में कुल 996 कैमरे लगाए गए हैं।
प्रत्येक थाने में 6 कैमरे लगाए गए हैं जिनमें ऑडियो-वीडियो फीचर, एक वर्ष की रिकॉर्डिंग क्षमता और केंद्रीय निगरानी नियंत्रण कक्ष (Monitoring Control Room) की सुविधा उपलब्ध है।

इन कैमरों की निगरानी के लिए थानों को जिला स्तरीय नियंत्रण केंद्रों से जोड़ा गया है ताकि हर गतिविधि की रीयल-टाइम निगरानी की जा सके।


जिलेवार कैमरों की स्थापना

RTI के तहत मिले आँकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में CCTV कैमरों की स्थापना इस प्रकार की गई है:

जिला थानों की संख्या कैमरों की संख्या
अल्मोड़ा 12 72
बागेश्वर 6 36
चमोली 10 60
चंपावत 8 48
देहरादून 23 138
हरिद्वार 19 114
नैनीताल 16 96
पौड़ी गढ़वाल 14 84
पिथौरागढ़ 16 96
रुद्रप्रयाग 5 30
टिहरी गढ़वाल 12 72
उधम सिंह नगर 18 108
उत्तरकाशी 7 42
कुल योग 166 थाने 996 कैमरे

इन कैमरों को पुलिस थानों के प्रवेश द्वार, लॉक-अप, पूछताछ कक्ष, हिरासत क्षेत्र, और सार्वजनिक हॉल में लगाया गया है, ताकि पुलिस कार्रवाई के हर चरण का रिकॉर्ड सुरक्षित रहे।


निरीक्षण और रखरखाव की प्रणाली

सीसीटीवी प्रणाली की कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की गई है।

जनपद स्तर पर जिम्मेदारियाँ इस प्रकार तय की गई हैं:

  • थाना प्रभारी (SHO) कैमरों की कार्यशीलता की प्रतिदिन जांच करेंगे।
  • हेड कांस्टेबल या उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो रोजाना सुबह 8 बजे तक रिपोर्ट दर्ज करेगा।
  • किसी कैमरे में तकनीकी खराबी या छेड़छाड़ की सूचना तत्काल जनपद पुलिस दूरसंचार निरीक्षक को दी जाएगी।

राज्य स्तरीय निरीक्षण समिति में

  • सचिव, गृह विभाग (अध्यक्ष)
  • सचिव, वित्त विभाग
  • पुलिस महानिदेशक (DGP)
  • राज्य महिला आयोग के सदस्य शामिल किए गए हैं।

वहीं जनपद स्तरीय समिति में

  • मंडलायुक्त (अध्यक्ष),
  • जिलाधिकारी,
  • एसएसपी/एसपी,
  • नगर क्षेत्र में महापौर,
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत अध्यक्ष सदस्य के रूप में शामिल हैं।

इन समितियों का दायित्व है कि वे समय-समय पर निगरानी रिपोर्ट की समीक्षा करें और खराब उपकरणों के प्रतिस्थापन या मरम्मत की प्रक्रिया को गति दें।


हर दो घंटे में होगी कैमरों की स्थिति की जांच

SOP के तहत प्रत्येक थाने में तैनात कर्मचारी अपनी ड्यूटी शुरू करने से पहले कैमरों की स्थिति की जांच करेगा और पिछली रात की रिकॉर्डिंग की रिपोर्ट थाना प्रभारी को सौंपेगा। इसके अलावा, जनपद नियंत्रण कक्ष (DCR) से हर दो घंटे में कैमरों की लाइव स्थिति की निगरानी की जाएगी ताकि कोई कैमरा निष्क्रिय न रहे।

पुलिस मुख्यालय ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि किसी कैमरे की वार्षिक रखरखाव अनुबंध (AMC) अवधि समाप्ति के करीब हो, तो तीन महीने पूर्व ही उसका नवीनीकरण कर लिया जाए ताकि निगरानी में कोई बाधा न आए।


RTI कार्यकर्ता ने कहा — ‘यह पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम’

इस जानकारी को सार्वजनिक करने वाले RTI कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने कहा कि यह पहल पुलिसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
उन्होंने कहा,

“सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद उत्तराखंड पुलिस ने जो कदम उठाए हैं, वे कानून-व्यवस्था में पारदर्शिता और जनसुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम साबित होंगे। अब पूछताछ कक्षों, शिकायत केंद्रों और सार्वजनिक क्षेत्रों में होने वाली घटनाएँ रिकॉर्ड में रहेंगी, जिससे मानवाधिकार उल्लंघन की संभावनाएँ कम होंगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि इससे न केवल नागरिकों का पुलिस पर भरोसा बढ़ेगा, बल्कि गलत आरोपों या दुरुपयोग की स्थितियों में प्रमाण उपलब्ध होंगे।


कानून-व्यवस्था और जनसुरक्षा को मिलेगा लाभ

विशेषज्ञों का मानना है कि थानों में CCTV कवरेज से

  • अभियुक्तों के साथ होने वाले व्यवहार पर निगरानी,
  • शिकायतों के निस्तारण में पारदर्शिता,
  • महिला सुरक्षा,
    और मानवाधिकार संरक्षण सुनिश्चित होगा।

साथ ही यह पहल पुलिस कर्मियों की जवाबदेही तय करने में भी मदद करेगी। पूर्व डीजीपी स्तर के अधिकारियों के अनुसार, “अगर इन कैमरों की निगरानी प्रणाली लगातार सक्रिय रखी जाए तो पुलिस कार्यप्रणाली में जनता का विश्वास कई गुना बढ़ेगा।”


तकनीक से जवाबदेही की नई परंपरा

उत्तराखंड पुलिस की यह पहल दर्शाती है कि राज्य कानून-व्यवस्था और तकनीकी सुधारों को लेकर गंभीर है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में CCTV नेटवर्क का विस्तार आने वाले समय में ‘स्मार्ट पुलिसिंग’ मॉडल का हिस्सा बनेगा।

नदीम उद्दीन जैसे सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं के प्रयासों से मिली पारदर्शिता यह साबित करती है कि “जानकारी का अधिकार केवल सूचना नहीं, बल्कि जनसुरक्षा और जवाबदेही का माध्यम भी है।”

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