देशफीचर्ड

सीमाओं पर रोशनी और देशभक्ति का संगम: जैसलमेर से एलओसी तक जवानों ने दीयों और जयघोषों से मनाई दिवाली

बीएसएफ और भारतीय सेना के वीरों ने देश की सुरक्षा के बीच मनाया रोशनी का पर्व, कमांडेंट बोले—“हम एक परिवार हैं, हमारी दिवाली मातृभूमि के नाम है”

जैसलमेर, 20 अक्टूबर: पूरा देश जब रोशनी और उत्साह से सराबोर होकर दिवाली मना रहा था, उसी वक्त देश की सीमाओं पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) और भारतीय सेना के जवानों ने भी मातृभूमि की रक्षा के बीच त्योहार की खुशियां अपने तरीके से मनाईं।

जैसलमेर से लेकर अमृतसर और अखनूर सेक्टर तक, सीमा चौकियों पर मिट्टी के दीये, पटाखों और रंगोलियों से सीमाएं भी जगमगा उठीं।

बीएसएफ की 122वीं बटालियन के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने हथियारों के साथ दीप जलाए और राष्ट्रभक्ति के गीतों के बीच “जय हिंद” के नारों से वातावरण गुंजा दिया।


जैसलमेर सीमा पर जवानों ने मनाई देशभक्ति की दिवाली

जैसलमेर में तैनात 122वीं बटालियन के कमांडेंट मुकेश पंवार ने एएनआई से बातचीत में कहा,

“हम अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर एक परिवार की तरह बड़े उत्साह के साथ दिवाली मना रहे हैं। यह त्योहार हमारे लिए केवल दीयों का नहीं, बल्कि देश के प्रति हमारे समर्पण का प्रतीक है।”

उन्होंने बताया कि जवानों ने सीमा चौकियों को दीयों से सजाया, रंगोली बनाई और अपने साथियों के साथ मिठाइयां बांटीं।
कमांडेंट पंवार ने कहा कि यह पर्व उन्हें न केवल देश के लोगों से जोड़ता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि सीमा पर तैनात हर सिपाही खुद में एक चलता-फिरता दीपक है, जो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए निरंतर जलता रहता है।


“ऑपरेशन सिंदूर” पर कमांडेंट का बयान

इस मौके पर जब उनसे चल रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया,

“ऑपरेशन सिंदूर 2 अभी दूर की बात है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर 1 जारी है। यह प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिए पर्याप्त है। हमारी कार्रवाई किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जो आतंकवाद की विचारधारा में विश्वास रखते हैं।”

कमांडेंट के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय सुरक्षा बलों की नीति “शांति के साथ सतर्कता” पर आधारित है — यानी भारत किसी पर हमला नहीं करता, लेकिन हर चुनौती का जवाब दृढ़ता से देता है।


“एक गोली, एक दुश्मन”—बीएसएफ जवानों का संकल्प

जवानों ने एएनआई से बात करते हुए बताया कि त्योहार की खुशी के बीच भी वे पूरी तरह चौकन्ने हैं।

“अगर हमें कोई दुश्मन दिखाई देता है, तो हमें ‘एक गोली, एक दुश्मन’ के लिए प्रशिक्षित किया गया है,”
जवानों ने मुस्कराते हुए कहा।

उन्होंने बताया कि कमांडर ने मुख्यालय से पटाखे और मिठाइयां भेजी थीं, जिससे सीमाओं पर भी त्योहार की रौनक फैल गई। दीये जलाने और रंगोली बनाने के बाद जवानों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और वतन की रक्षा के संकल्प को दोहराया।


अखनूर सेक्टर और अटारी सीमा पर भी गूंजी “जय हिंद” की आवाज़

सिर्फ राजस्थान ही नहीं, जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में भी भारतीय सेना के जवानों ने एलओसी पर दीये जलाए और आतिशबाजी की। इस मौके पर सेना अधिकारियों ने मंदिर में पूजा-अर्चना की और देश की अखंडता व शांति की कामना की।

वहीं, अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर बीएसएफ के अधिकारियों और जवानों ने भी मिट्टी के दीये जलाकर और आतिशबाजी कर दिवाली मनाई। दीयों की रोशनी से जब सीमा की बाड़ जगमगाई तो वहां मौजूद हर जवान की आंखों में गर्व और देशभक्ति की चमक साफ झलक रही थी।


“हम सीमा पर हैं ताकि देशवासी चैन से दीपावली मना सकें” — बीएसएफ अधिकारी रूबी

अटारी बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ अधिकारी रूबी ने इस अवसर पर कहा,

“हम सीमा पर दिवाली मना रहे हैं ताकि हमारे देशवासी अपने घरों में शांति और सुरक्षा के साथ त्योहार मना सकें। हम अपने परिवार से दूर हैं, लेकिन बीएसएफ ही हमारा परिवार है।”

उनका यह बयान न सिर्फ सीमाओं पर तैनात जवानों की भावनाओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि हर जवान का परिवार अब पूरा देश है।


सीमाओं पर दीपों की लौ, दिलों में कर्तव्य की ज्योति

सीमा सुरक्षा बल के इन दृश्यों ने यह सिद्ध कर दिया कि दिवाली केवल शहरों की गलियों और घरों तक सीमित नहीं है — यह सीमाओं के उस पार तक फैली रोशनी है जहां सच्चे दीपक वर्दी में जलते हैं।

इन दीयों की रोशनी में न केवल सीमा चौकियां जगमगाईं, बल्कि उन अनगिनत परिवारों के दिलों में भी गर्व का भाव जगा जिनके बेटे, भाई और पिता इस पर्व पर मातृभूमि की रक्षा में डटे रहे।


सीमा की दिवाली — त्याग, समर्पण और रोशनी का संगम

जब देश दीपों से सजा, तब जैसलमेर, अखनूर और अटारी की चौकियों पर भी दीपों ने राष्ट्रभक्ति की नई कहानी लिखी। हर दीया एक संदेश दे रहा था —“हम हैं तो आप हैं, और आप हैं तो यह देश जगमगा रहा है।”

दिवाली की इस रात सीमाओं पर जलते इन दीपों ने यह साबित कर दिया कि भारत की असली रोशनी सीमा के उन जवानों से आती है, जो हर त्योहार को मातृभूमि के चरणों में समर्पित कर देते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button