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UP: मां ने बेटे का अपहरण कर अपने पिता से मांगी फिरौती, यूपी के इस जगह का है ये हैरान कर देने वाला मामला

कौशांबी, 17 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के मोहब्बतपुर पइंसा थाना क्षेत्र से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें एक मां पर अपने ही 10 साल के बेटे को घर में बंद करके नाना से एक लाख रुपये की फिरौती मांगने का आरोप लगा है। पुलिस की त्वरित और सूझबूझ भरी कार्रवाई के चलते घटना का असल सच उजागर हो गया और महिला को गिरफ्तार कर लिया गया।

मामला मोहब्बतपुर पइंसा थाना क्षेत्र के एक गांव का है। पुलिस के अनुसार, शाहीन नामक महिला ने अपने पुत्र अर्शलाल (10) को घर के भीतर बंद कर दिया और मायके में एक धमकीभरा पत्र फेंक दिया। पत्र में लिखा गया था कि यदि एक लाख रुपये नहीं दिए गए तो बच्चे की हत्या कर दी जाएगी। पत्र मिलने के बाद परिवार में हड़कंप मच गया और बच्चे के अपहरण का दावा लेकर परिजन पुलिस के पास पहुंचे।

पुलिस ने मामले की त्वरित जांच शुरू की। प्राथमिक पूछताछ, घर-परिसर की तलाशी और पड़ोसियों से संकलित जानकारी के आधार पर पुलिस को घटनास्थल और पत्र के पीछे की साजिश पर शक हुआ। मामले की तहकीकात में सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल कॉल रेकॉर्ड और अन्य सबूतों की मदद से पुलिस ने धीरे-धीरे कहानी के झूठी होने का पता लगा लिया। अंततः जब बच्चे को घर के अंदर सुरक्षित पाया गया और परिवार के बयान में विरोधाभास उभरे, तो पुलिस ने शाहीन को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार महिला ने आर्थिक तंगी और व्यक्तिगत विवादों के चलते यह कदम उठाया। हालांकि, आधिकारिक प्राथमिकी (FIR) में आरोपों का तथ्यात्मक उल्लेख किया गया है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है। थाना प्रभारी ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कहा कि परिवारिक मतभेदों को सुलझाने के लिए कानूनी और सामाजिक संसाधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए, बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है और ऐसे मामलों पर शून्य सहिष्णुता नीति अपनाई जाएगी।

इस घटना ने स्थानीय समाज में भी चिंता पैदा कर दी है। गांव के कई लोगों ने कहा कि परिवार के आंतरिक विवाद अक्सर छिपे रहते हैं, पर जब वह बच्चों की सुरक्षा पर असर डालते हैं तो पूरे इलाके की नींद उड़ जाती है। कुछ ग्रामीणों ने पुलिस की जांच और कार्रवाई की सराहना की, जबकि कई लोग बच्चों के हित में पारिवारिक हस्तक्षेप व सामाजिक सहायता की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।

कानूनी पहलू — बच्चों की सुरक्षा और मां के खिलाफ आपराधिक धाराएँ
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसी अभिभावक द्वारा किसी नाबालिग के साथ जबरन रखकर उसे हानी की आशंका में रखा गया या फिरौती जैसी मांग की गई, तो यह कई आपराधिक धाराओं के दायरे में आता है। इनमें अपहरण, बाल संरक्षण कानूनों का उल्लंघन, एवं आरोपी के व्यक्त किए गए खतरे के आधार पर धारा 387 (डरों-धमकाने द्वारा मांग) जैसी धाराएँ लागू की जा सकती हैं। साथ ही, नाबालिग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बाल कल्याण समितियों व संबंधित विभागों को भी मामले में शामिल किया जा सकता है।

विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील
बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऐसी घटनाओं के जड़ में अक्सर आर्थिक समस्याएँ, मानसिक तनाव या पारिवारिक विवाद होते हैं। उनका सुझाव है कि स्थानीय स्तर पर परिवार परामर्श, मनोवैज्ञानिक सहायता और सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रम सक्रिय किए जाएँ ताकि परिवार आलोचनात्मक स्थिति में मदद पा सकें और बच्चे सुरक्षित रहें। साथ ही, समाज में जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय तेज किए जाने की जरूरत है।

पुलिस की आगे की कार्रवाई और परिवार के लिए अपेक्षित कदम
पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जेल प्रक्रिया शुरू कर दी है और मामले की गहन जांच कर रही है। बच्चे की स्थिति फिलहाल सुरक्षित बताई जा रही है और आवश्यकतानुसार बाल संरक्षण संस्थाओं को सूचित किया जाएगा। स्थानीय प्रशासन को भी परिवार से जुड़े कारणों की पड़ताल कर सामाजिक सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जा सकते हैं। परिवार के सदस्यों से भी कहा जा रहा है कि वे कानूनी प्रक्रिया में सहयोग दें और आगे से इसी तरह की घटनाओं से बचने के लिए सामुदायिक व सामाजिक मंचों से जुड़ें।

यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि पारिवारिक कलह या आर्थिक दबाव कभी भी बच्चों की सुरक्षा पर सन्देह नहीं पैदा होने देना चाहिए। समाज और प्रशासन—दोनों की भूमिका अहम है: प्रशासन त्वरित कार्रवाई और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करे, जबकि समाज संवेदनशीलता के साथ परिवारों को मदद और परामर्श उपलब्ध करवाए।

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