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महाराष्ट्र के रत्नागिरि में ‘गुरुकुल’ से आई शर्मनाक खबर: कोकरे महाराज और शिक्षक पर नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न का आरोप

POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज, स्थानीय लोगों में आक्रोश; MLA भास्कर जाधव बोले—‘यह सिर्फ एक छात्रा नहीं, कई पीड़ित हो सकती हैं’

रत्नागिरि (महाराष्ट्र):महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के खेड तालुका में एक तथाकथित “आध्यात्मिक वारकरी गुरुकुल” से मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां गुरुकुल के प्रमुख भगवान कोकरे महाराज और एक शिक्षक प्रीतेश प्रभाकर कदम पर नाबालिग छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगे हैं। पुलिस ने दोनों के खिलाफ POCSO अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की सख्त धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है।

यह गुरुकुल खेड तालुका के लोटे क्षेत्र में स्थित है, जहां राज्य के कई हिस्सों से छात्र-छात्राएँ आध्यात्मिक शिक्षा लेने आते हैं। आरोपी कोकरे महाराज वारकरी परंपरा से जुड़े एक प्रभावशाली व्यक्ति बताए जाते हैं, जिनकी सामाजिक और राजनीतिक पहचान भी बताई जा रही है।


पीड़िता की चुप्पी तोड़ने की हिम्मत बनी सबूत

खेड़ पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता कुछ महीनों से इस गुरुकुल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। शिकायत में दर्ज बयान के मुताबिक, कोकरे महाराज अक्सर छात्रा के साथ अनुचित व्यवहार करते थे — कभी छूने की कोशिश करते, तो कभी निजी सवाल पूछते।
कई बार छात्रा ने डर के मारे विरोध नहीं किया, लेकिन जब घटनाएँ बार-बार दोहराई जाने लगीं, तो उसने गुरुकुल के एक सदस्य को इस बारे में बताया।

लेकिन हैरानी की बात यह रही कि उस सदस्य ने मदद करने के बजाय लड़की को चुप रहने की धमकी दी। उसने कहा कि महाराज की समाज में ऊँची हैसियत है, उनके खिलाफ कुछ भी बोलने पर लड़की और उसके परिवार की बदनामी होगी।

लड़की के मुताबिक, उसे बार-बार डराया गया कि “अगर तुमने किसी को बताया, तो तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का नाम मिट्टी में मिल जाएगा।”
आखिरकार, डर और शर्मिंदगी से जूझ रही पीड़िता ने अपने परिवार को सारी बात बता दी, जिसके बाद परिवार ने खेड़ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।


POCSO की धाराओं में मामला दर्ज, आरोपियों की गिरफ्तारी

शिकायत के आधार पर खेड़ पुलिस ने POCSO एक्ट की धारा 12 और 17 (छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न की साजिश) के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
पुलिस ने देर रात दोनों आरोपियों — भगवान कोकरे महाराज और प्रीतेश प्रभाकर कदम — को गिरफ्तार कर लिया।

मंगलवार को दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहाँ से कोर्ट ने उन्हें दो दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है।
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह अपराध एक ही छात्रा तक सीमित था या अन्य छात्राएँ भी शिकार बनीं।


MLA भास्कर जाधव का आरोप — “सिर्फ एक छात्रा नहीं, कई पीड़ित हो सकती हैं”

इस पूरे मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है।
शिवसेना (उद्धव गुट) के वरिष्ठ नेता और विधायक भास्कर जाधव ने आरोप लगाया कि यह घटना संगठित यौन उत्पीड़न का मामला हो सकता है। उन्होंने कहा —

“मेरे पास जो सूचना है, उसके अनुसार यह मामला सिर्फ एक लड़की का नहीं है।
गुरुकुल में पढ़ने वाली कई छात्राएँ ऐसी हरकतों की शिकार हुई हैं।
यह बेहद शर्मनाक है कि एक व्यक्ति जो खुद को संत और आध्यात्मिक गुरु कहता है, वह मासूम बच्चियों का शोषण कर रहा है।”

भास्कर जाधव ने आगे कहा —

“कोकरे महाराज बीजेपी के पदाधिकारी हैं, और हम देख रहे हैं कि बीजेपी ऐसे लोगों को संरक्षण दे रही है। क्या यही है उनकी संस्कारों की परिभाषा?”

उनके इस बयान के बाद मामला राजनीतिक बहस में भी गर्मा गया है।


स्थानीय लोगों में आक्रोश, गुरुकुल के बाहर प्रदर्शन

घटना सामने आने के बाद लोटे और खेड इलाके में भारी आक्रोश देखा गया।
स्थानीय लोगों ने गुरुकुल के बाहर प्रदर्शन करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की।
पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए परिसर के आसपास अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया है।

कई अभिभावकों ने भी इस घटना के बाद सवाल उठाया है कि ऐसे तथाकथित आध्यात्मिक संस्थान कैसे संचालित हो रहे हैं और इनकी निगरानी कौन करता है।
वारकरी समुदाय के कुछ वरिष्ठ संतों ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि “ऐसे लोगों को संत या महाराज कहना धर्म का अपमान है।”


‘आध्यात्मिक शिक्षा’ की आड़ में शोषण का सिलसिला

यह कोई पहला मौका नहीं है जब गुरुकुल या आश्रमों में नाबालिग छात्राओं के साथ शोषण के आरोप लगे हों।
देश के अलग-अलग राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में आध्यात्मिक गुरुओं के नाम पर चल रहे कई संस्थानों से इस तरह की शिकायतें आई हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन संस्थानों में अक्सर धार्मिक आस्था और सामाजिक भय का गलत इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पीड़ित और उनके परिवार शिकायत दर्ज कराने से हिचकते हैं।
बाल अधिकार कार्यकर्ता स्मिता देशमुख कहती हैं —

“यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के विश्वास से खिलवाड़ है।
धार्मिक संस्थानों को ‘आस्था’ की ढाल बनाकर कानून से ऊपर समझने की मानसिकता पर अब लगाम लगानी होगी।”


पुलिस जांच जारी, समाज में सवाल — ‘धर्म की आड़ में अधर्म कब तक?’

खेड़ पुलिस ने कहा है कि जांच पूरी निष्पक्षता से की जा रही है और आवश्यक होने पर गुरुकुल की अन्य छात्राओं के बयान भी दर्ज किए जाएंगे।
जांच अधिकारी के मुताबिक, “हमारे पास कुछ अतिरिक्त गवाहियाँ आई हैं, जिनकी पुष्टि की जा रही है।

घटना ने न सिर्फ रत्नागिरि जिले, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में धार्मिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।लोग पूछ रहे हैं —
जब धर्म के ठेकेदार ही पवित्रता की सीमा लांघ रहे हैं, तो भक्त किस पर भरोसा करें?


रत्नागिरि का यह मामला सिर्फ एक गुरुकुल या एक महाराज की कहानी नहीं है। यह उस संवेदनशील सामाजिक सच को उजागर करता है जिसमें धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों के भीतर पनप रहे अपराधों पर खामोशी और भय की चादर फैली हुई है।

अब यह देखना बाकी है कि क्या महाराष्ट्र पुलिस इस केस को एक उदाहरण बना पाएगी —या यह भी बाकी मामलों की तरह “गुरुओं के प्रभाव” के नीचे दब जाएगा।

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