
देहरादून, 7 अक्टूबर 2025: जिला प्रशासन देहरादून ने एक बार फिर अपनी त्वरित कार्यशैली और संवेदनशीलता का परिचय दिया है। बरसात थमते ही महज 7 दिन के भीतर आपदाग्रस्त क्षेत्र बटोली गांव को सड़क मार्ग से जोड़ दिया गया है। अब गांव तक वाहन पहुंचने लगे हैं और जनजीवन पटरी पर लौट रहा है।
सहसपुर ब्लॉक की मिसराज पट्टी के सुदूरवर्ती क्षेत्र बटोली का सड़क संपर्क हाल की अतिवृष्टि में पूरी तरह टूट गया था। गांव तक पहुंचने वाले मार्ग पर शेरू खाला के पास बनी गहरी खाई और भूस्खलन ने रास्ता लगभग समाप्त कर दिया था। लेकिन जिला प्रशासन ने रातों-रात वैकल्पिक मार्ग तैयार कर राहत पहुंचाई और अब, बरसात थमते ही, स्थायी सड़क संपर्क भी बहाल कर दिया गया है।
डीएम सविन बंसल ने निभाया वादा
जिलाधिकारी सविन बंसल ने 11 जुलाई को बटोली का स्थलीय निरीक्षण किया था। उस दौरान उन्होंने प्रभावित ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं और मौके पर ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। डीएम ने ग्रामीणों से वादा किया था कि बरसात समाप्त होते ही गांव को पुनः सड़क संपर्क से जोड़ा जाएगा।
आज, केवल सात दिन के भीतर इस वादे को पूरा कर डीएम ने न सिर्फ अपना कमिटमेंट निभाया, बल्कि आपदा प्रबंधन की मिसाल पेश की।
बिजली और पानी की स्थायी समस्या भी हुई दूर
निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने वर्षों से लंबित विद्युत और पेयजल समस्याओं की शिकायत भी डीएम के सामने रखी थी। क्षेत्र में जंगल के बीच से गुजरने वाली विद्युत लाइन बार-बार बाधित हो जाती थी, जिससे महीनों तक अंधेरा छा जाता था।
डीएम बंसल ने तत्काल 2.19 लाख रुपये की धनराशि विद्युत लाइन सुधार कार्य के लिए और 3.79 लाख रुपये पेयजल आपूर्ति सुधार हेतु स्वीकृत किए थे।
इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए थे कि पेयजल लाइन को स्थायी रूप से बदला जाए ताकि ग्रामीणों को गर्मियों में जल संकट का सामना न करना पड़े।
अब क्षेत्र में नई पाइपलाइन बिछाकर नियमित पेयजल आपूर्ति शुरू कर दी गई है।
आपदा राहत में प्रशासन बना प्रथम रिस्पांडर
जिला प्रशासन ने इस पूरी कार्रवाई में “फर्स्ट रिस्पांडर” की भूमिका निभाई है।
आपदा के दौरान प्रशासन ने न केवल तत्काल राहत पहुंचाई, बल्कि दीर्घकालिक पुनर्वास की दिशा में भी काम किया।
बरसात के दौरान पूरे तीन महीनों तक मार्ग को सुचारू रखने के लिए 24×7 मैनपावर और मशीनरी की तैनाती की गई थी।
डीएम ने प्रत्येक प्रभावित परिवार को चार हजार रुपये प्रतिमाह की दर से तीन महीने की अग्रिम सहायता राशि भी तत्काल उपलब्ध कराई थी, ताकि लोग राहत सामग्री और आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था कर सकें।
स्वास्थ्य विभाग की भी सक्रिय भूमिका
डीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने बटोली गांव में शिविर लगाकर ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच और उपचार सुनिश्चित किया।
गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के टीकाकरण के लिए एएनएम को नियमित भ्रमण पर लगाया गया।
इसके अलावा ग्रामीणों के बीच स्वास्थ्य परीक्षण और दवाओं का वितरण भी किया गया।
इससे क्षेत्र में न केवल आपदा के बाद बीमारियों की रोकथाम संभव हुई, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों का भरोसा भी बढ़ा।
मुख्यमंत्री के निर्देशों से प्रेरित प्रशासनिक तंत्र
जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस पूरी प्रक्रिया में मुख्यमंत्री के निर्देशों को आधार बनाते हुए कार्य किया।
मुख्यमंत्री ने पहले ही सभी जिलाधिकारियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित रिस्पांस और संवेदनशील प्रशासनिक दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश दिए थे।
इसी के तहत देहरादून प्रशासन ने राहत, पुनर्वास और मूलभूत सेवाओं की बहाली को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
डीएम ने स्वयं कई बार आपदाग्रस्त क्षेत्रों का मैदानी निरीक्षण किया और हर चरण की मॉनिटरिंग की।
उनकी इस सक्रियता से बटोली गांव न केवल पुनः सड़क संपर्क में आया, बल्कि अब वहां विद्युत, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाओं का स्थायी समाधान भी सुनिश्चित हो गया है।
जनमन में भरोसा, संवेदनशील प्रशासन की मिसाल
बटोली गांव के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन की इस त्वरित कार्रवाई पर संतोष जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार प्रशासन ने जिस तत्परता और मानवीय संवेदना से कार्य किया, वह पहले कभी देखने को नहीं मिली।
ग्रामीणों ने डीएम सविन बंसल और उनकी टीम का आभार व्यक्त किया।
यह पूरा अभियान बताता है कि जब संवेदनशील नेतृत्व, सक्रिय प्रशासन और प्रतिबद्ध टीम वर्क एक साथ काम करें, तो पहाड़ जैसे कठिन इलाकों में भी राहत और विकास कार्य रिकॉर्ड समय में पूरे किए जा सकते हैं।
देहरादून जिला प्रशासन ने यह साबित किया है कि आपदा प्रबंधन केवल राहत तक सीमित नहीं, बल्कि पुनर्वास और स्थायी समाधान तक पहुंचने का नाम है।
मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता से प्रेरित होकर जिलाधिकारी सविन बंसल की अगुवाई में बटोली गांव का यह उदाहरण एक बार फिर प्रशासनिक दक्षता और जनहित की प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया है।