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हिमाचल में शहीद जवान की बहन की शादी में फौजी साथियों ने निभाया भाई का फर्ज, भावुक हुआ पूरा गांव

शहीद हुए भाई के साथियों और पूर्व सैनिकों ने दुल्हन को मंडप तक पहुंचाया, विदाई के वक्त सभी की आंखें हुईं नम

सिरमौर (हिमाचल प्रदेश): देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवान की बहन की शादी में ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के आंजभोज के भरली गांव में शहीद आशीष कुमार की बहन आराधना (पूजा) की शादी गुरुवार को हुई। इस शादी को खास बनाने के लिए शहीद आशीष की रेजिमेंट के सैनिक और पांवटा-शिलाई के पूर्व सैनिक संगठन के सदस्य पहुंचे। उन्होंने न केवल समारोह में शामिल होकर बहन का मान बढ़ाया, बल्कि भाई का फर्ज निभाते हुए उसे मंडप तक ले गए और विदाई तक उसके साथ रहे।


शादी में उमड़ा भावुक नजारा

आराधना की शादी के मौके पर परिवार और रिश्तेदार मौजूद थे, लेकिन भाई की कमी हर किसी को खल रही थी। तभी सेना के वर्दीधारी साथी और पूर्व सैनिक संगठन के लोग आगे आए। उन्होंने आराधना का हाथ थामा और उसे दुल्हन बनकर मंडप तक पहुंचाया। यह पल इतना भावुक था कि दुल्हन की आंखों से आंसू छलक पड़े। पूरे पंडाल में मौजूद लोग भी इस दृश्य को देख भावुक हो गए।


फौजियों ने निभाई भाई की जिम्मेदारी

सैनिकों ने न केवल बहन को मंडप तक ले जाने का फर्ज निभाया, बल्कि पारंपरिक तौर पर उसे शगुन भी दिया। खास बात यह रही कि उन्होंने दुल्हन के नाम पर बैंक में एफडी जमा करवाई, ताकि उसे भविष्य में किसी तरह की आर्थिक दिक्कत न आए। शादी संपन्न होने के बाद विदाई के समय भी सैनिक दुल्हन के साथ खड़े रहे और उसे ससुराल तक छोड़ने गए। यह पूरा दृश्य हर किसी के दिल को छू गया।


गांव और समाज का गर्व

भरली गांव के लोगों के लिए यह शादी सिर्फ एक पारिवारिक आयोजन नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक अवसर थी। शहीद आशीष कुमार के बलिदान पर गर्व करने वाला पूरा गांव अपनी बेटी की विदाई में भावुक हो उठा। गांव के बुजुर्गों ने कहा कि यह परंपरा समाज को यह संदेश देती है कि सैनिक कभी अकेला नहीं होता। उसका परिवार, उसकी बहनें और उसके माता-पिता हमेशा देश के हर नागरिक के अपने होते हैं।


कौन थे शहीद आशीष कुमार?

जवान आशीष कुमार भारतीय सेना में सेवा दे रहे थे और 27 फरवरी 2024 को अरुणाचल प्रदेश में ऑपरेशन अलर्ट के दौरान शहीद हो गए थे। जवान आशीष अपनी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए साथियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बेहद सम्मानित थे। उनकी शहादत के बाद पूरा गांव शोक में डूब गया था, लेकिन साथ ही उनके परिवार पर गर्व भी करता है कि उनका बेटा देश के लिए बलिदान हुआ।


भावनात्मक विदाई – नम आंखों से मिला आशीर्वाद

जब दुल्हन आराधना विदाई के समय अपने घर से निकल रही थी, उस वक्त सैनिकों ने भाई की तरह उसके चारों ओर सुरक्षा घेरा बना लिया। जैसे हर भाई अपनी बहन को ससुराल विदा करता है, वैसे ही जवानों ने उसे सम्मान और स्नेह के साथ विदा किया। विदाई के समय दुल्हन ने नम आंखों से सभी सैनिकों का आशीर्वाद लिया और कहा कि उसके लिए यह पल जीवनभर यादगार रहेगा।


समाज और सेना का संदेश

यह दृश्य केवल एक परिवार या गांव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए संदेश बन गया। यह बताता है कि शहीद केवल किसी एक घर का बेटा नहीं होता, बल्कि पूरे समाज का बेटा होता है। उसकी बहनें केवल खून से जुड़ी नहीं होतीं, बल्कि हर सैनिक उसकी बहन का भाई बन जाता है।

पूर्व सैनिक संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि देश के लिए शहीद हुए जवानों के परिवार कभी अकेले नहीं छोड़े जाएंगे। वे हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहेंगे।


लोगों की प्रतिक्रिया – आंखें नम, दिल गर्व से भरा

शादी में मौजूद लोगों ने कहा कि यह नजारा उन्होंने पहली बार देखा। जहां आमतौर पर भाई अपनी बहन को मंडप तक ले जाता है, वहीं इस बार पूरे गांव और सेना ने मिलकर यह जिम्मेदारी निभाई। एक महिला ने कहा –

“आज हमारे गांव की बेटी ने अपने भाई को खोने के बावजूद इतने सारे भाइयों का प्यार पाया है। यह दृश्य कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।”


देशभक्ति और परंपरा का अनोखा संगम

भरली गांव की इस शादी ने यह साबित कर दिया कि परंपराएं केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं हैं। जब बात शहीद परिवारों की आती है तो पूरा देश उनका परिवार बन जाता है। यहां सेना की वर्दी और बहन की विदाई ने मिलकर ऐसा भावनात्मक संगम रचा, जिसे देखने वालों की आंखें नम हो गईं और दिल गर्व से भर उठा।

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