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Uttarakhand: स्वदेशी अभियान को बढ़ावा : मुख्यमंत्री धामी ने खादी ग्रामोद्योग भवन से की खरीदारी

त्योहारों पर जनता से की अपील – “अधिक से अधिक अपनाएँ स्वदेशी उत्पाद”

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग और ‘वोकल फॉर लोकल’ की अपील के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को देहरादून के चकराता रोड स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन से खरीदारी कर स्वदेशी अभियान को नई गति दी। मुख्यमंत्री ने खुद खरीदारी कर आम जनता को यह संदेश दिया कि अगर देश को आत्मनिर्भर बनाना है, तो स्वदेशी उत्पादों को अपनाना ही होगा।

खादी: केवल कपड़ा नहीं, आत्मनिर्भर भारत की पहचान

खादी का इतिहास केवल वस्त्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की आज़ादी की लड़ाई और महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन से गहराई से जुड़ा हुआ है। ब्रिटिश शासन के समय जब विदेशी वस्त्र और उत्पाद भारतीय बाजार पर हावी थे, तब गांधी जी ने खादी और चरखा को प्रतीक बनाकर स्वदेशी आंदोलन को जनआंदोलन का रूप दिया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री धामी उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए खादी को आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ बताते हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने मौके पर कहा, “खादी केवल एक उत्पाद नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाया गया ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान अब देशव्यापी जनआंदोलन बन चुका है। हमें अपने त्योहारों, विशेष अवसरों और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।”

स्थानीय कारीगरों और लघु उद्योगों को मिलेगा बल

मुख्यमंत्री ने बताया कि खादी और स्वदेशी वस्तुओं की खरीद से स्थानीय कारीगरों, बुनकरों और लघु उद्योगों को सीधा लाभ मिलेगा। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में हस्तशिल्प, हथकरघा और छोटे उद्योग रोजगार के बड़े साधन हैं। अगर लोग खादी और स्वदेशी उत्पाद अपनाएँगे तो इससे न केवल ग्रामीण और दूरदराज़ के कारीगरों की आजीविका मजबूत होगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हम त्योहारों पर खासकर उपहार के रूप में खादी और हस्तशिल्प उत्पादों को प्राथमिकता दें। इससे एक तरफ पारंपरिक कला जीवित रहेगी और दूसरी तरफ आधुनिक उपभोक्ता संस्कृति के बीच स्थानीय उत्पादन को भी मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री की अपील से बनी नई ऊर्जा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर ‘मन की बात’ जैसे मंचों से देशवासियों को स्वदेशी अपनाने और ‘वोकल फॉर लोकल’ को जीवन का हिस्सा बनाने की अपील करते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने त्योहारों से पहले लोगों से आग्रह किया था कि वे अपने आस-पास के बाजारों से, छोटे दुकानदारों से और स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों से खरीदारी करें। मुख्यमंत्री धामी का यह कदम उसी अपील को आगे बढ़ाने का प्रयास माना जा रहा है।

उत्तराखंड में खादी उद्योग की स्थिति

उत्तराखंड में खादी और ग्रामोद्योग लंबे समय से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे हैं। राज्य के कई हिस्सों में महिलाएँ और स्वयं सहायता समूह (SHGs) खादी, ऊनी वस्त्र, शॉल, हैंडलूम, जड़ी-बूटियाँ और हस्तशिल्प तैयार करते हैं। कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्र में बने ऊनी उत्पाद, रिंगाल की टोकरियाँ, लकड़ी की नक्काशी और जड़ी-बूटियों से बने उत्पाद देशभर में लोकप्रिय हैं। लेकिन आधुनिक बाज़ार व्यवस्था और मशीन से बने उत्पादों की प्रतिस्पर्धा के बीच इनकी मांग घटती रही है।

ऐसे में मुख्यमंत्री धामी का खादी ग्रामोद्योग भवन से खरीदारी करना और लोगों से अपील करना, इन उद्योगों को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

आत्मनिर्भर भारत की ओर निर्णायक कदम

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत का सपना धीरे-धीरे साकार हो रहा है। वोकल फॉर लोकल केवल एक नारा नहीं, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम है। जब हम स्वदेशी उत्पाद खरीदते हैं, तो दरअसल हम अपने ही समाज के किसी कारीगर या उद्यमी को ताकत दे रहे होते हैं,” उन्होंने कहा।

त्योहारों पर बढ़े स्वदेशी उत्पादों की मांग

त्योहारों का मौसम खरीदारी का बड़ा समय होता है। इस दौरान बड़े-बड़े ब्रांड्स और विदेशी उत्पादों की बिक्री अधिक होती है। लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने जनता से अपील की कि वे इस बार त्योहारों पर खादी और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि अगर हर घर में एक-एक खादी या स्वदेशी उत्पाद पहुँचे, तो यह लाखों कारीगरों और छोटे उद्यमियों के जीवन में रोशनी ला सकता है।

उत्तराखंड को मिलेगा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान

धामी ने विश्वास जताया कि आने वाले समय में उत्तराखंड खादी और अन्य स्वदेशी उत्पादों का बड़ा केंद्र बनेगा। प्रदेश की प्राकृतिक विविधता और सांस्कृतिक धरोहर इसे विशेष पहचान देती है। अगर यहां के उत्पादों को सही विपणन और प्रोत्साहन मिले तो ये राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी बड़ी पहचान बना सकते हैं।

जनता की मौजूदगी और समर्थन

इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और व्यापारी मौजूद रहे। लोगों ने मुख्यमंत्री के इस कदम का स्वागत किया और भरोसा जताया कि इससे उत्तराखंड में खादी और ग्रामोद्योग को नई दिशा मिलेगी। कई स्थानीय व्यापारियों ने कहा कि यदि सरकार और जनता दोनों मिलकर स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देंगे तो रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और पलायन की समस्या भी कम होगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कदम केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी आंदोलन को गति देने का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के अनुरूप यह संदेश जनता तक सीधा पहुँच रहा है कि देश की आर्थिक मजबूती का रास्ता स्थानीय उत्पादों और कारीगरों को अपनाने से होकर गुजरता है। अगर जनता इस अपील को अपनाती है तो न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरा देश स्वदेशी उत्पादों के जरिए आर्थिक और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा सकेगा।

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