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कोलंबिया में राहुल गांधी ने भारत में लोकतंत्र पर हमले की जताई चिंता, बीजेपी ने पलटवार कर कहा- ‘प्रोपेगेंडा नेता बन गए हैं’

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेश मंच से भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। कोलंबिया के EIA विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों से संवाद के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि “भारत के सामने सबसे बड़ा खतरा लोकतंत्र पर हमला है।” उनके इस बयान के बाद बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे “भारत विरोधी एजेंडा” बताया और कहा कि राहुल गांधी विपक्षी नेता के बजाय “प्रोपेगेंडा नेता” की तरह व्यवहार कर रहे हैं।


राहुल गांधी बोले- लोकतंत्र पर हमला सबसे बड़ा खतरा

राहुल गांधी ने अपने संबोधन में भारत की खूबियों और चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी विविधता और विकेंद्रित व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि भारत में अनेक भाषाएं, संस्कृतियां और परंपराएं हैं और लोकतांत्रिक व्यवस्था ही वह तरीका है, जो सबको साथ लेकर चल सकती है।

उन्होंने कहा, “भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा लोकतंत्र पर हमला है। लोकतंत्र ही वह आधार है, जहां अलग-अलग विचारधाराएं, धर्म और समुदाय एक साथ रहते हैं। अगर इस पर हमला होता है, तो भारत का ढांचा कमजोर हो सकता है।”

राहुल गांधी ने चीन और भारत की तुलना करते हुए कहा कि चीन केंद्रीकृत व्यवस्था वाला देश है, जबकि भारत का ढांचा जटिल और बहुविधताओं से भरा है। उन्होंने कहा कि भारत, चीन की तरह अपने नागरिकों को दबाकर नहीं चला सकता।


“भारत दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है, लेकिन खतरे भी हैं”

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत दुनिया को बहुत कुछ देने की क्षमता रखता है। इसकी आध्यात्मिक और वैचारिक परंपरा आज की दुनिया के लिए काफी उपयोगी है। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत के सामने कई खतरे भी हैं। सबसे बड़ा खतरा लोकतंत्र पर हो रहा हमला है।

राहुल गांधी ने कहा, “भारत की संरचना में अपार संभावनाएं हैं। लेकिन रोजगार संकट, असमान विकास और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमले जैसे खतरे भी हैं। अगर हम इन्हें पार नहीं कर पाए, तो हमारी ताकतें कमजोर पड़ जाएंगी।”


वैश्विक भूमिका पर छात्रों से संवाद

भारत की वैश्विक भूमिका को लेकर पूछे गए एक सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि भारत की स्थिति बहुत संवेदनशील है क्योंकि वह चीन का पड़ोसी है और अमेरिका का करीबी साझेदार भी। उन्होंने कहा, “भारत उस जगह पर बैठा है, जहां बड़ी ताकतें आपस में टकरा रही हैं। भारत अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाए रखता है, तो वह विश्व को दिशा दे सकता है।”

उन्होंने साथ ही अमेरिका के राजनीतिक हालात का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ध्रुवीकरण अभियान मुख्यतः बेरोजगारों पर केंद्रित है। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर बढ़ते राजनीतिक ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति से जोड़ा।


“रोजगार नहीं पैदा कर पा रही भारतीय अर्थव्यवस्था”

राहुल गांधी ने भारत की आर्थिक चुनौतियों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के बावजूद भारत रोजगार पैदा करने में असफल हो रहा है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यतः सेवा-आधारित है और उत्पादन क्षमता सीमित है। उन्होंने छात्रों से कहा कि भारत को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने होंगे।


बीजेपी का पलटवार- “विदेश जाकर लोकतंत्र को बदनाम करना बंद करें”

राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “एक बार फिर, राहुल गांधी विपक्ष के नेता नहीं, बल्कि प्रोपेगेंडा नेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं। वह विदेश जाकर भारतीय लोकतंत्र पर हमला करते हैं। पहले अमेरिका और ब्रिटेन से हमारे आंतरिक मामलों में दखल की मांग करते हैं, और अब फिर वही कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी का यह रवैया कांग्रेस पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है। पूनावाला ने कहा कि भारत की जनता अपने लोकतांत्रिक ढांचे पर विश्वास करती है और बार-बार चुनावों में इसका प्रमाण देती रही है।


“भारत को कमजोर दिखाने की कोशिश”

बीजेपी प्रवक्ताओं का कहना है कि राहुल गांधी लगातार विदेश में जाकर भारत को कमजोर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका यह बयान न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान है, बल्कि देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाता है।

बीजेपी नेताओं ने यह भी कहा कि अगर राहुल गांधी को लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई समस्या दिखती है, तो उन्हें देश के भीतर लोकतांत्रिक तरीके से ही अपनी बात रखनी चाहिए, न कि विदेश में जाकर भारत पर सवाल उठाने चाहिए।

राहुल गांधी के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दिए गए इस बयान ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में बहस छेड़ दी है। जहां कांग्रेस नेता ने लोकतंत्र पर हमले को भारत का सबसे बड़ा खतरा बताया, वहीं बीजेपी ने इसे भारत विरोधी एजेंडा करार दिया। ऐसे बयानों के बीच यह सवाल एक बार फिर उभर कर सामने आया है कि क्या विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी की विदेश यात्राओं से भारतीय लोकतांत्रिक विमर्श को मजबूती मिल रही है या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।

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