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Uttarakhand: गांधी और शास्त्री जयंती पर उत्तराखंड सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग में श्रद्धांजलि कार्यक्रम

अधिकारियों और कर्मचारियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर लिया संकल्प, रामधुन के सामूहिक गायन से गूंजा परिसर

देहरादून, 2 अक्टूबर 2025। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर उत्तराखंड के सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग में आज श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी सहित वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने दोनों महापुरुषों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

कार्यक्रम का माहौल पूरी तरह श्रद्धा और राष्ट्रभक्ति से सराबोर रहा। उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों ने न केवल गांधी जी के सत्य, अहिंसा और शांति के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया, बल्कि शास्त्री जी के ऐतिहासिक नारे “जय जवान, जय किसान” को अपने जीवन और कार्य में उतारने का भी प्रण किया।

गांधी और शास्त्री: आदर्श और प्रेरणा

महात्मा गांधी का जीवन सत्य, त्याग और नैतिकता का जीता-जागता उदाहरण था। उनका मानना था कि यदि समाज को सही दिशा में ले जाना है तो अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग को अपनाना होगा। आजादी के आंदोलन के दौरान उन्होंने इन सिद्धांतों को हथियार बनाकर न केवल अंग्रेजों को चुनौती दी, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि शांति और अहिंसा भी किसी बड़े संघर्ष का आधार बन सकती है।

इसी प्रकार, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी सादगी, ईमानदारी और कर्मनिष्ठा से राजनीति को एक नई दिशा दी। उनका नारा “जय जवान, जय किसान” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की आत्मा बन गया। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने जिस साहस और दूरदर्शिता का परिचय दिया, वह आज भी देशवासियों के लिए गर्व का विषय है।

विभागीय अधिकारियों ने रखे विचार

इस मौके पर विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि गांधी जी और शास्त्री जी का जीवन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। गांधी जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। वहीं शास्त्री जी की सादगी और ईमानदारी सार्वजनिक जीवन के हर व्यक्ति के लिए अनुकरणीय है।

उन्होंने कहा कि आज के समय में जब समाज और राजनीति दोनों बड़े बदलावों के दौर से गुजर रहे हैं, तब गांधी और शास्त्री के विचार हमें सही दिशा दिखा सकते हैं। “हमें न केवल उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए, बल्कि अपने व्यवहार और कार्यों में भी उनके आदर्शों को अपनाना होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

रामधुन से गूंजा वातावरण

श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान रामधुन का सामूहिक गायन भी किया गया। “रघुपति राघव राजा राम…” की गूंज ने पूरे विभागीय परिसर को भक्ति और शांति के भाव से भर दिया। कर्मचारियों और अधिकारियों ने एक साथ रामधुन गाकर गांधी जी की उस परंपरा को याद किया जिसने आजादी के आंदोलन के दिनों में करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में पिरोया था।

अधिकारियों और कर्मचारियों की मौजूदगी

कार्यक्रम में महानिदेशक श्री बंशीधर तिवारी के साथ अपर निदेशक आशिष त्रिपाठी, उपनिदेशक मनोज श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधिकारी रवि बिजारनिया सहित विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने पुष्प अर्पित कर दोनों महापुरुषों के प्रति अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त की।

आज के समय में प्रासंगिकता

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि तेजी से बदलते समय में गांधी जी और शास्त्री जी के विचार और अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। वैश्विक स्तर पर जहां हिंसा, आतंकवाद और सामाजिक असमानता की चुनौतियाँ सामने हैं, वहीं गांधी जी का सत्य और अहिंसा का संदेश दुनिया को शांति की राह दिखा सकता है।

वहीं, कृषि और सैनिकों की भूमिका पर जोर देने वाला शास्त्री जी का नारा आज भी भारत जैसे विशाल देश के लिए मार्गदर्शक है। किसान देश की खाद्य सुरक्षा के प्रहरी हैं और जवान सीमाओं के। दोनों की मजबूती ही भारत को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बना सकती है।

गांधी और शास्त्री की जयंती पर आयोजित यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम न केवल औपचारिक आयोजन था, बल्कि यह सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आत्मचिंतन और संकल्प का अवसर भी बना। गांधी जी का सत्य और अहिंसा का संदेश तथा शास्त्री जी का सादगीपूर्ण और नैतिक जीवन हमेशा सभी को प्रेरित करता रहेगा।

जयंती के इस अवसर पर लिया गया संकल्प यह बताता है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, इन दोनों महापुरुषों की शिक्षाएं और आदर्श आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।

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