
देहरादून, 2 अक्टूबर 2025। देहरादून शहर को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में जिला प्रशासन की एक अभिनव पहल धरातल पर उतर आई है। परेड ग्राउंड और कोरोनेशन अस्पताल परिसर में स्मार्ट ऑटोमेटेड पार्किंग का संचालन शुरू हो गया है, जबकि तिब्बती मार्केट में तैयार हो रही ऑटोमेटेड पार्किंग भी जल्द जनता को समर्पित की जाएगी। खास बात यह है कि यह राज्य की पहली ऐसी पार्किंग परियोजना है जिसे महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) संचालित करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के “आधुनिक राज्य और आत्मनिर्भर दीदी-भूली” के संकल्प पर आधारित इस पहल को जिला प्रशासन ने साकार किया है। देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में यह परियोजना न केवल यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करेगी, बल्कि महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए आत्मनिर्भरता और रोजगार का एक नया मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
महिला सशक्तिकरण और रोजगार का नया मॉडल
जिला प्रशासन ने महिला स्वयं सहायता समूहों को इस पार्किंग के संचालन का जिम्मा सौंपकर यह संदेश दिया है कि महिलाएँ केवल घरेलू कार्यों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आधुनिक तकनीक आधारित शहरी सेवाओं को भी सफलतापूर्वक चला सकती हैं। प्रशासन इस परियोजना के लिए महिला समूहों को अनुदान भी देगा, जिससे वे न सिर्फ वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होंगी, बल्कि अन्य समूहों के लिए रोल मॉडल बनेंगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह मॉडल सफल रहता है तो उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी महिला समूहों को इस तरह की आधुनिक सेवाओं से जोड़ा जा सकता है। इससे महिला उद्यमिता और आत्मनिर्भरता को और मजबूती मिलेगी।
तीन स्थानों पर तैयार हुई स्मार्ट पार्किंग
देहरादून शहर के तीन प्रमुख स्थलों पर ऑटोमेटेड पार्किंग तैयार की गई है –
- परेड ग्राउंड: 96 वाहनों की क्षमता
- तिब्बती मार्केट: 132 वाहनों की क्षमता
- कोरोनेशन अस्पताल परिसर: 18 वाहनों की क्षमता
इनमें से परेड ग्राउंड और कोरोनेशन अस्पताल की पार्किंग का संचालन शुरू हो चुका है। तिब्बती मार्केट की पार्किंग भी शीघ्र ही आमजन को समर्पित कर दी जाएगी।
ट्रैफिक प्रबंधन में मील का पत्थर साबित होगी परियोजना
देहरादून शहर लंबे समय से यातायात दबाव और पार्किंग की कमी की समस्या से जूझ रहा है। अक्सर शहरवासी और पर्यटक नो-पार्किंग ज़ोन में वाहन खड़ा करने को मजबूर हो जाते थे, जिससे ट्रैफिक पुलिस और आमजन दोनों परेशान रहते थे।
डीएम सविन बंसल ने कहा कि यह परियोजना देहरादून की ट्रैफिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने बताया कि ऑटोमेटेड पार्किंग सिस्टम कम जगह में ज्यादा वाहनों को खड़ा करने की सुविधा देता है और इसे आवश्यकता पड़ने पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट भी किया जा सकता है।
यह सुविधा विशेष रूप से व्यस्त क्षेत्रों जैसे बाज़ार, अस्पताल और पर्यटक स्थलों के लिए उपयोगी साबित होगी।
कोरोनेशन अस्पताल परिसर में स्मार्ट सुविधा
कोरोनेशन अस्पताल परिसर में 18 वाहनों की क्षमता वाली ऑटोमेटेड पार्किंग से अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी। पहले अस्पताल क्षेत्र में वाहन खड़ा करने की पर्याप्त व्यवस्था न होने से लोग परेशान रहते थे, लेकिन अब आधुनिक तकनीक से लैस यह सुविधा उन्हें सहज पार्किंग उपलब्ध कराएगी।
डीएम ने कहा कि जैसे-जैसे शहर बढ़ रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं का दबाव बढ़ रहा है, उसी तरह स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत भी बढ़ रही है। यह पार्किंग इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
आधुनिकता और परंपरा का संगम
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर आधारित इस पहल को आधुनिक तकनीक और सामाजिक सशक्तिकरण के संगम के रूप में देखा जा रहा है। एक ओर यह शहर को स्मार्ट सुविधाओं से लैस कर रहा है, वहीं दूसरी ओर महिला समूहों को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल उत्तराखंड सरकार की “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” की सोच को भी मजबूती देती है। क्योंकि इसमें स्थानीय महिलाओं को ही अवसर दिए जा रहे हैं, जो अपने दम पर शहर की सेवा करेंगी और रोजगार पैदा करेंगी।
भविष्य में और जगह बनेगी स्मार्ट पार्किंग
जिला प्रशासन ने संकेत दिया है कि यदि यह मॉडल सफल होता है तो शहर के अन्य भीड़भाड़ वाले इलाकों में ऐसी और पार्किंग तैयार की जाएगी। इससे न सिर्फ यातायात का दबाव कम होगा बल्कि महिलाओं को और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
ऑटोमेटेड पार्किंग सिस्टम को लेकर आम नागरिकों में भी उत्साह है। स्थानीय व्यापारी संगठनों ने इसे शहर की जरूरत बताया है। उनका कहना है कि अक्सर पार्किंग की कमी के कारण ग्राहक बाजार में आने से कतराते थे, लेकिन अब स्मार्ट पार्किंग से इस समस्या का समाधान होगा।
मुख्यमंत्री के सपनों का प्रोजेक्ट
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने विज़न में बार-बार यह कहा है कि उत्तराखंड की “दीदी-भूली” आत्मनिर्भर बने और राज्य आधुनिक तकनीक के साथ आगे बढ़े। जिला प्रशासन की यह परियोजना उसी संकल्प को धरातल पर उतारने का प्रयास है।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि यह केवल एक पार्किंग परियोजना नहीं है, बल्कि “महिला सशक्तिकरण और आधुनिक शहरी प्रबंधन का अनूठा मॉडल” है।
देहरादून की यह स्मार्ट ऑटोमेटेड पार्किंग परियोजना महिला सशक्तिकरण और शहरी यातायात प्रबंधन – दोनों का उत्कृष्ट उदाहरण है। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित यह राज्य की पहली पहल न केवल शहर को ट्रैफिक जाम से राहत देगी, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मान का नया अवसर भी देगी।
यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड के अन्य शहरों में भी इसी तरह की स्मार्ट पार्किंग परियोजनाएँ देखने को मिलेंगी। यह पहल निश्चित रूप से आधुनिकता, रोजगार और सामाजिक विकास – तीनों का संगम बनकर उभरेगी।