देशफीचर्ड

लेह हिंसा पर सरकार का बड़ा एक्शन, सोनम वांगचुक के NGO का FCRA लाइसेंस रद्द

विदेश से फंडिंग पर पूरी तरह रोक, वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच तेज

नई दिल्ली/लेह, 25 सितंबर। लेह-लद्दाख में हाल ही में भड़की हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के NGO पर कड़ी कार्रवाई की है। गृह मंत्रालय ने वांगचुक के NGO का FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि अब उनका संगठन विदेश से किसी भी प्रकार का अंशदान या आर्थिक सहयोग प्राप्त नहीं कर सकेगा।

सरकार का कहना है कि संगठन के खिलाफ हुई जांच में वित्तीय गड़बड़ियों और धन के दुरुपयोग के ठोस सबूत मिले हैं। इसके अलावा, वांगचुक पर मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप लगे हैं, जिसकी अलग से जांच की जा रही है।


वित्तीय गड़बड़ी पर सरकार की सख्ती

गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, वांगचुक के NGO को 20 अगस्त को ही नोटिस जारी किया गया था और उनसे वित्तीय अनियमितताओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। लेकिन संगठन की ओर से जो जवाब मिला, वह मंत्रालय को संतोषजनक नहीं लगा।

अधिकारियों का कहना है कि NGO ने विदेश से प्राप्त धन का उपयोग तय नियमों और उद्देश्यों के विपरीत किया। मंत्रालय की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि विदेशी चंदे का इस्तेमाल सामाजिक विकास और शिक्षा के बजाय राजनीतिक गतिविधियों और आंदोलन खड़ा करने में किया गया। यही कारण है कि संगठन का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया।


लेह हिंसा और सोनम वांगचुक की भूमिका

हाल ही में लद्दाख में हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी, जबकि 90 से अधिक लोग घायल हो गए थे। हिंसा के दौरान भाजपा कार्यालय और लद्दाख हिल काउंसिल सचिवालय को भी भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था।

गृह मंत्रालय ने इस हिंसा की जिम्मेदारी सीधे सोनम वांगचुक पर डाली है। मंत्रालय का कहना है कि कई नेताओं और स्थानीय प्रशासन की अपील के बावजूद वांगचुक ने अपना अनशन समाप्त नहीं किया और भीड़ को “अरब स्प्रिंग स्टाइल” आंदोलन करने के लिए उकसाया।

मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, वांगचुक ने अपने भाषणों में नेपाल में Gen Z के विरोध प्रदर्शनों का हवाला दिया और लोगों को “राजनीतिक व्यवस्था को बदलने” के लिए प्रेरित किया। इसी के बाद गुस्साई भीड़ अनशन स्थल से निकलकर सरकारी कार्यालयों और भाजपा दफ्तर पर हमला करने पहुंची।


मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

वांगचुक पर सिर्फ हिंसा भड़काने का ही आरोप नहीं है, बल्कि उन पर विदेश से प्राप्त धन को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए विभिन्न चैनलों में घुमाने के भी आरोप हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले ही इस मामले में प्रारंभिक जांच शुरू कर चुका है।

सूत्रों के मुताबिक, NGO के खातों से हुई लेन-देन में कई शेल कंपनियों और व्यक्तिगत खातों के जरिए धन ट्रांसफर किए जाने के संकेत मिले हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ED और आयकर विभाग इस पर और गहन जांच करेंगे।


कांग्रेस और विपक्ष पर आरोप

भाजपा ने इस पूरे घटनाक्रम में विपक्ष पर भी निशाना साधा है। पार्टी का कहना है कि लद्दाख में हिंसा के दौरान कांग्रेस के कई नेता भीड़ का हिस्सा थे। खासकर कांग्रेस पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग का नाम सामने आया है, जिन पर हिंसा और आगजनी में शामिल होने का आरोप है।

भाजपा ने त्सेपाग की तस्वीरें सार्वजनिक की हैं और कहा है कि विपक्ष सुनियोजित तरीके से लद्दाख में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है।


लद्दाख में हालात और कर्फ्यू

हिंसा के बाद लेह जिले में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। शहर और आस-पास के संवेदनशील इलाकों में सीआरपीएफ, स्थानीय पुलिस और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की भारी तैनाती की गई है।

लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने इस हिंसा को एक “साज़िश” करार दिया है और कहा है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।


सोनम वांगचुक की छवि और विवाद

सोनम वांगचुक अब तक एक पर्यावरणविद् और शिक्षा सुधारक के रूप में जाने जाते रहे हैं। उनकी पहचान लद्दाख में शिक्षा और सतत विकास के क्षेत्र में किए गए कामों के कारण बनी। वे अपने “स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL)” के जरिए लंबे समय से युवाओं और शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं।

लेकिन बीते कुछ महीनों में उन्होंने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर आंदोलन तेज किया। इसी आंदोलन के दौरान हिंसा भड़की और अब उनका NGO सरकार के रडार पर आ गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि वांगचुक के NGO का FCRA रद्द होना एक बड़ा झटका है, क्योंकि उनकी कई परियोजनाएं विदेशी अनुदान पर निर्भर थीं। अब संगठन को सिर्फ देशी चंदे और स्थानीय स्तर के संसाधनों पर ही काम करना होगा।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग और हिंसा भड़काने के आरोप साबित होते हैं तो वांगचुक और उनके सहयोगियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, विपक्ष सरकार पर जन आंदोलनों को कुचलने का आरोप लगा रहा है।

लेह-लद्दाख हिंसा ने जिस तरह राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को हिला दिया है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराएगा। सरकार का सोनम वांगचुक के NGO पर कड़ा एक्शन यह संदेश देता है कि केंद्र अब आंदोलनों और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button