
देहरादून, 25 सितंबर। उत्तराखंड सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। प्रदेश में आईसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) सेवाओं की गुणवत्ता और मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत गुरुवार को स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में राज्य के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आईसीयू संचालन के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की। कार्यशाला में मिले सुझावों को संकलित कर सुप्रीम कोर्ट को भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि इन सुझावों के आधार पर राज्य में आईसीयू संचालन को लेकर नई गाइडलाइन तैयार होगी और उत्तराखंड मॉडल स्टेट के रूप में सामने आएगा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत उठाया गया कदम
स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे आईसीयू संचालन से संबंधित वर्तमान गाइडलाइन को और प्रभावी बनाने के लिए अपने सुझाव दें। इसी कड़ी में उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने यह विशेष कार्यशाला आयोजित की।
उन्होंने कहा कि यह पहल सिर्फ कानूनी अनुपालन तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार होगा। राज्य के मरीजों को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और समय पर आईसीयू सेवाएं मिलेंगी।
आईसीयू सेवाओं पर गहन मंथन
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने आईसीयू सेवाओं को मजबूती देने के लिए कई अहम बिंदुओं पर सुझाव दिए। इनमें शामिल हैं:
- आईसीयू की परिभाषा और मानकीकरण
- आधारभूत ढांचा और भौतिक आवश्यकताएं
- आधुनिक उपकरण और तकनीक
- मानव संसाधन की उपलब्धता और प्रशिक्षण
- संक्रमण नियंत्रण और सुरक्षा उपाय
- गुणवत्ता आश्वासन की प्रक्रिया
- अनुसंधान और विस्तार
विशेषज्ञों ने जोर दिया कि आईसीयू सेवाओं की गुणवत्ता सिर्फ उपकरणों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और मानक संचालन प्रणाली पर भी आधारित होती है।
विशेषज्ञों का प्रस्तुतिकरण
इस अवसर पर प्रदेश के कई वरिष्ठ डॉक्टरों ने आईसीयू संचालन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया। इनमें शामिल थे:
- डॉ. उर्मिला परालिया (प्रोफेसर, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज)
- डॉ. अतुल कुमार सिंह (प्रोफेसर, दून मेडिकल कॉलेज)
- डॉ. शोभा (प्रोफेसर, दून मेडिकल कॉलेज)
- डॉ. वरुण प्रकाश (प्रोफेसर, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज)
- डॉ. प्रणव (प्रोफेसर, दून मेडिकल कॉलेज)
इन प्रस्तुतिकरणों में आईसीयू की जरूरतों, संचालन व्यवस्था और मरीजों की सुरक्षा को लेकर कई व्यावहारिक सुझाव दिए गए।
व्यापक भागीदारी
कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सक भी मौजूद रहे। इनमें स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, डॉ. शिखा जंगपांगी, डॉ. अजय आर्या, डॉ. आर.सी. पंत, डॉ. लोकेश सैनी (एम्स ऋषिकेश), डॉ. रोहिताश शर्मा (महंत हॉस्पिटल), डॉ. अतुल कुमार (ग्राफिक एरा हॉस्पिटल), डॉ. नावेद (सुभारती), डॉ. सोनिका (हिमालयन हॉस्पिटल), डॉ. अशोक (साईं हॉस्पिटल), डॉ. संदीप (मेट्रो हॉस्पिटल), डॉ. ऋषि सोलंकी (केवीआर), डॉ. गुरविंदर सिंह (सहोता हॉस्पिटल), डॉ. राहुल (अल्ट्रस हेल्थकेयर) और डॉ. आकाश (मैक्स हॉस्पिटल) शामिल थे।
यह भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों की विशेषज्ञता का लाभ लेकर स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
आईसीयू सेवाओं को मिलेगी नई दिशा
स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार ने स्पष्ट किया कि कार्यशाला में प्राप्त सभी सुझावों को दस्तावेज़ीकरण करके सुप्रीम कोर्ट को भेजा जाएगा। इससे न केवल आईसीयू संचालन के मानकों में सुधार होगा बल्कि मरीजों को भी सुरक्षित और बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है और आने वाले समय में यह राज्य मॉडल स्टेट के रूप में सामने आएगा।
उत्तराखंड सरकार की यह पहल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को नई ऊंचाई देने वाली साबित हो सकती है। आईसीयू सेवाओं पर केंद्रित यह कार्यशाला न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन है, बल्कि प्रदेश के लोगों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक ठोस कदम है।
राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य स्पष्ट है – मरीजों की जान बचाने के लिए आईसीयू सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता तक पहुंचाना।