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‘भारत-पाकिस्तान समेत 7 युद्धों को कराया समाप्त, किसी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने नहीं की मदद’, UN में बोले डोनाल्ड ट्रंप

न्यूयॉर्क/नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में एक बार फिर अमेरिकी राजनीति की जानी-मानी और विवादित शख्सियत, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा दावा किया है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने केवल सात महीनों की अवधि में सात बड़े युद्धों को समाप्त कराया है, जिनमें भारत-पाकिस्तान के बीच का संघर्ष भी शामिल है।

ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। खासकर भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे विवाद को उन्होंने जिस सहजता से “समाप्त हुआ युद्ध” बताया, उस पर विशेषज्ञों और विश्लेषकों के बीच सवाल उठने लगे हैं।


ट्रंप का दावा: 7 महीनों में 7 युद्ध खत्म

यूएनजीए में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा,
“सिर्फ सात महीनों की अवधि में मैंने सात अकल्पनीय युद्धों को समाप्त कर दिया है। इसमें कंबोडिया और थाईलैंड, कोसोवो और सर्बिया, कांगो और रवांडा, पाकिस्तान और भारत, इजरायल और ईरान, मिस्र और इथियोपिया, आर्मेनिया और अजरबैजान भी शामिल हैं।”

ट्रंप ने आगे कहा,
“मैंने सात युद्ध समाप्त किए हैं। किसी भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और यहां तक कि किसी भी देश ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। मैंने यह सिर्फ सात महीनों में कर दिखाया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। मैं इसे करके बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं।”


भारत-पाकिस्तान युद्ध का संदर्भ

ट्रंप का यह बयान खासतौर पर भारत और पाकिस्तान से जुड़ा होने के कारण भारत में सुर्खियों में है। भारत-पाकिस्तान के बीच 1947, 1965, 1971 और 1999 (कारगिल युद्ध) में बड़े युद्ध हो चुके हैं। इसके अलावा समय-समय पर सीमाई झड़पें और आतंकवाद को लेकर तनाव भी बना रहता है।

ट्रंप ने अपने कार्यकाल में कई बार कहा था कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं, लेकिन भारत ने हमेशा साफ किया कि कश्मीर या किसी भी मुद्दे पर बातचीत केवल द्विपक्षीय स्तर पर ही होगी, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह दावा वास्तविकता से बहुत दूर है। न तो उनके राष्ट्रपति कार्यकाल में भारत-पाकिस्तान के बीच कोई औपचारिक युद्ध समाप्त हुआ, न ही दोनों देशों ने ऐसा कोई समझौता किया जो ट्रंप की पहल पर हुआ हो।


अन्य देशों का जिक्र

ट्रंप ने अपने भाषण में छह अन्य युद्धों का भी जिक्र किया—

  • कंबोडिया और थाईलैंड
  • कोसोवो और सर्बिया
  • कांगो और रवांडा
  • इजरायल और ईरान
  • मिस्र और इथियोपिया
  • आर्मेनिया और अजरबैजान

इनमें से कई संघर्ष वास्तव में लंबे समय से चल रहे हैं और उनमें अमेरिका की भूमिका सीमित रही है। कुछ मामलों में अमेरिका ने मध्यस्थता की कोशिश जरूर की, लेकिन युद्ध या संघर्ष का औपचारिक अंत अंतरराष्ट्रीय समझौतों या स्थानीय सरकारों की बातचीत से हुआ, न कि सीधे ट्रंप की वजह से।


ट्रंप की बयानबाज़ी की पुरानी शैली

यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने बड़े और चौंकाने वाले दावे किए हों। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी वे बार-बार यही कहते रहे कि उन्होंने ऐसे काम किए हैं जो किसी और नेता ने नहीं किए। भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर भी उन्होंने कई बार यह कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव को उन्होंने कम किया है।

हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट्स में ऐसा कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं है कि ट्रंप की सीधी कोशिशों से कोई बड़ा युद्ध समाप्त हुआ हो। कई विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप अक्सर घरेलू राजनीति में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं।


वैश्विक प्रतिक्रिया

ट्रंप के इस बयान पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित रही। कुछ देशों ने इसे अमेरिका की “नेतृत्वकारी भूमिका” को बढ़ावा देने का प्रयास बताया, तो वहीं आलोचकों ने कहा कि ट्रंप ने फिर से तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है।

भारत के रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का बयान चुनावी राजनीति या व्यक्तिगत छवि गढ़ने का हिस्सा ज्यादा है, न कि वास्तविक कूटनीतिक उपलब्धि। पाकिस्तान की तरफ से भी अब तक इस दावे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।


विशेषज्ञों की राय

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रो. अरविंद जोशी का कहना है—
“ट्रंप की शैली हमेशा से ऐसी रही है कि वे खुद को सबसे बड़ा मध्यस्थ या सौदागर दिखाने की कोशिश करते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत-पाकिस्तान जैसे मुद्दे इतने जटिल हैं कि केवल सात महीनों में उनका हल संभव ही नहीं है।”

वरिष्ठ पत्रकार नसीम जैदी लिखते हैं कि ट्रंप का यह बयान एक तरह से चुनावी भाषण जैसा था। वह अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने दुनिया को “शांति” दी है, जबकि वास्तविकता में दुनिया के कई हिस्सों में तनाव और युद्ध अब भी जारी हैं।

डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनकी शैली भले ही आकर्षक और आक्रामक हो, लेकिन तथ्यों से मेल खाना जरूरी नहीं है। भारत-पाकिस्तान समेत सात युद्धों को समाप्त कराने का दावा सुनने में भले ही बड़ा लगे, लेकिन इसका कोई ठोस सबूत या अंतरराष्ट्रीय मान्यता मौजूद नहीं है।

फिर भी, ट्रंप ने अपने अंदाज़ में यह संदेश जरूर दे दिया कि वे खुद को वैश्विक शांति का निर्माता मानते हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस बयान पर भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों की औपचारिक प्रतिक्रिया क्या होती है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे कितनी गंभीरता से लिया जाता है।

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