
नई दिल्ली:भारतीय रेलवे ने 17 सितंबर से पूरे देश में 15 दिनों का ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान शुरू कर दिया है। यह पहल रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ सतीश कुमार के निर्देश पर चल रही है, जिसमें सभी जोन के स्टेशन, कार्यालय और परिसरों को शामिल किया गया है।
रेलवे बोर्ड ने पहले ही सभी जोनों के महाप्रबंधकों को इस अभियान में व्यक्तिगत रूप से भाग लेने और नेतृत्व करने के निर्देश दिए थे। 9 सितंबर को भेजे गए लिखित संदेश में सतीश कुमार ने कहा था कि यह केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि लोगों की सामूहिक भागीदारी और संकल्प से जुड़ा अभियान है।
2017 से लगातार हो रहा आयोजन
रेलवे बोर्ड अध्यक्ष के अनुसार, ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान 2017 से हर साल आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य समाज और सरकार के सभी स्तरों को एक साझा मंच पर लाकर सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करना है।
उन्होंने कहा—
“स्वच्छता केवल सफाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अनुशासन, स्वास्थ्य और सतत विकास का प्रतीक है। इस अभियान से नागरिकों, संस्थानों और नेताओं को एक साथ जोड़ने का मौका मिलता है।”
पीएम मोदी के जन्मदिन पर राष्ट्रीय संदेश
17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन पूरे देश में सेवा और जनभागीदारी के रूप में मनाया गया। इसी अवसर पर रेलवे समेत कई विभागों ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किए।
- रेलवे स्टेशनों पर सफाई अभियान चलाया गया।
- कर्मचारियों और आम जनता ने श्रमदान किया।
- स्कूलों और कॉलेजों में रैलियाँ और नुक्कड़ नाटक आयोजित हुए।
- कई धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक स्मारकों की भी सफाई की गई।
प्रधानमंत्री मोदी पहले भी कई मौकों पर खुद झाड़ू लगाकर नागरिकों को संदेश दे चुके हैं। यही वजह है कि स्वच्छता आंदोलन उनके कार्यकाल की पहचान बन चुका है।
रेलवे की विशेष भूमिका
भारतीय रेलवे, जो देश की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, इस अभियान में सबसे बड़ी भूमिका निभा रहा है।
- सभी ज़ोनल रेलवे स्टेशनों पर “स्वच्छ स्टेशन, स्वच्छ यात्रा” थीम पर कार्यक्रम हुए।
- यात्री प्लेटफॉर्म पर घोषणाओं के जरिए लोगों को कूड़ा सही स्थान पर डालने की अपील की गई।
- बायो-टॉयलेट और ग्रीन पहल को भी इस अभियान से जोड़ा गया।
- रेलवे कर्मचारी और स्वयंसेवक हाथ में झाड़ू लेकर यात्रियों को प्रेरित करते दिखे।
श्रमदान और जनभागीदारी पर ज़ोर
इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत है कि यह केवल सरकारी तंत्र तक सीमित नहीं है।
- हर नागरिक को श्रमदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
- स्कूल-कॉलेज के छात्र, सामाजिक संगठन, पंचायतें और महिला मंडल इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
- कॉर्पोरेट जगत और एनजीओ भी रेलवे के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
पिछले अभियानों की उपलब्धियां
2014 में जब स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई थी, तब से देशभर में कई ठोस बदलाव आए।
- रेलवे ने 90% से अधिक ट्रेनों में बायो-टॉयलेट लगाए।
- स्टेशनों पर गंदगी कम करने के लिए कचरा प्रबंधन तंत्र को आधुनिक बनाया गया।
- कई प्रमुख स्टेशनों को ISO सर्टिफाइड क्लीन स्टेशन का दर्जा मिला।
- यात्रियों में भी गंदगी न फैलाने की प्रवृत्ति धीरे-धीरे बढ़ी है।
सरकार का विज़न: “स्वच्छता से आत्मनिर्भरता”
सरकार का मानना है कि स्वच्छता सिर्फ स्वास्थ्य का विषय नहीं, बल्कि आर्थिक विकास और पर्यटन से भी जुड़ा हुआ है।
- स्वच्छ रेलवे स्टेशन यात्रियों को सकारात्मक अनुभव देते हैं।
- साफ-सुथरे शहर और गांव निवेश को आकर्षित करते हैं।
- कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग से नए रोजगार के अवसर बनते हैं।
आगे की योजना
रेलवे बोर्ड ने यह भी साफ किया है कि यह अभियान केवल 15 दिनों की औपचारिकता नहीं रहेगा।
- अभियान से जुड़ी प्रगति की निगरानी रिपोर्ट हर ज़ोन से ली जाएगी।
- जिन स्टेशनों पर सफाई की स्थिति खराब मिलेगी, वहां विशेष ड्राइव चलाया जाएगा।
- यात्रियों को ‘स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर’ के रूप में जोड़ा जाएगा।
‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान ने एक बार फिर यह साबित किया है कि जब सरकार और समाज मिलकर आगे बढ़ते हैं तो बड़े बदलाव संभव होते हैं। रेलवे का यह प्रयास सिर्फ स्टेशनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देशभर में स्वच्छता के प्रति चेतना जगाने का माध्यम है।
अगले 15 दिनों में रेलवे स्टेशनों से लेकर गांव-कस्बों तक सफाई और सेवा का यह संदेश फैलने वाला है, जिससे स्वच्छ भारत मिशन को नई ऊर्जा मिलेगी।