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देशफीचर्ड

अहमदाबाद में 121 करोड़ का बैंक फ्रॉड, CBI ने दर्ज की FIR – प्राइवेट कंपनी और तीन डायरेक्टर्स पर कार्रवाई

बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर बड़ी कार्रवाई, अहमदाबाद और गांधीनगर में छापेमारी, अहम दस्तावेज जब्त

अहमदाबाद: गुजरात से एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। अहमदाबाद की प्राइवेट कंपनी ‘अनिल बायोप्लस लिमिटेड’ और उसके तीन डायरेक्टर्स पर 121.60 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड का आरोप लगा है। इस मामले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की है।

CBI ने बताया कि कंपनी के डायरेक्टर्स ने बैंक ऑफ इंडिया के कुछ अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर सुनियोजित साजिश के तहत बैंक को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया।


CBI ने तीन जगहों पर मारी छापेमारी

सूत्रों के मुताबिक, 10 सितंबर को CBI ने अहमदाबाद और गांधीनगर में तीन अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान जांच एजेंसी के हाथ कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल सबूत लगे हैं।

CBI अधिकारियों का कहना है कि जब्त किए गए कागज़ात और फाइलों की गहन जांच की जा रही है। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि यह घोटाला लंबे समय से चल रहा था और कंपनी के डायरेक्टर्स ने फर्जी दस्तावेज, कागजी लेन-देन और गलत जानकारियों का इस्तेमाल करके बैंक से भारी रकम हड़पी।


किनके खिलाफ दर्ज हुई FIR?

CBI ने इस मामले में कंपनी ‘मेसर्स अनिल बायोप्लस लिमिटेड’ और उसके तीन डायरेक्टर्स के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनमें शामिल हैं:

  • अमोल श्रीपाल शेट
  • दर्शन मेहता
  • नलिन ठाकुर

एजेंसी का कहना है कि बैंक ऑफ इंडिया के कुछ अज्ञात अधिकारियों की मिलीभगत के भी सबूत मिले हैं। जांच के बाद इन अधिकारियों के नाम भी उजागर किए जाएंगे।


121 करोड़ का बैंक धोखाधड़ी मामला – कैसे हुआ घोटाला?

बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के मुताबिक, कंपनी के डायरेक्टर्स ने बैंक से लिए गए लोन का गलत इस्तेमाल किया।

  • फर्जी कागजात और फर्जी ट्रांजैक्शन्स के जरिए बैंक को गुमराह किया गया।
  • लोन की रकम को कारोबार में लगाने के बजाय अन्य निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया।
  • इस पूरे घोटाले की वजह से बैंक को 121.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

CBI के मुताबिक, यह मामला केवल आर्थिक अपराध ही नहीं बल्कि कॉरपोरेट धोखाधड़ी और सरकारी बैंकों में भ्रष्टाचार का भी उदाहरण है।


CBI का अगला कदम

CBI अधिकारियों ने साफ किया है कि यह मामला अभी शुरुआती चरण में है। एजेंसी ने कंपनी के डायरेक्टर्स और बैंक अधिकारियों से जुड़े कई लेन-देन और अकाउंट डिटेल्स को खंगालना शुरू कर दिया है।

  • संदिग्ध अकाउंट्स की फॉरेंसिक ऑडिट कराई जाएगी।
  • आरोपियों को पूछताछ के लिए जल्द समन भेजा जा सकता है।
  • बरामद दस्तावेजों और ईमेल ट्रेल्स की डिजिटल जांच होगी।

गुजरात में बैंक फ्रॉड के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में गुजरात और महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक राज्यों में बैंक फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।

  • बड़ी कंपनियां अक्सर लोन की रकम का दुरुपयोग करती हैं।
  • बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से ये घोटाले कई साल तक पकड़े नहीं जाते।
  • जब मामला CBI या ED तक पहुंचता है, तब जाकर यह उजागर होता है।

इससे न केवल बैंकों की साख पर असर पड़ता है बल्कि आम लोगों की जमा पूंजी भी खतरे में पड़ जाती है।


बैंक ऑफ इंडिया की भूमिका

बैंक ऑफ इंडिया ने इस मामले की शिकायत सीधे CBI से की थी। बैंक का कहना है कि शुरुआती आंतरिक जांच में जब गड़बड़ियां मिलीं तो मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।

बैंक प्रबंधन ने भरोसा जताया है कि दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी और बैंक को हुए वित्तीय नुकसान की रिकवरी के लिए कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

अहमदाबाद का यह 121 करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि कॉरपोरेट जगत और बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और निगरानी को और मजबूत करने की ज़रूरत है।

CBI की छापेमारी और जांच आगे किस दिशा में जाती है, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन इतना तय है कि अगर सबूत पुख्ता मिले तो अनिल बायोप्लस लिमिटेड और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

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