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हेमकुंड साहिब रोपवे: उत्तराखंड में देश की सबसे बड़ी रोपवे परियोजना की शुरुआत

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री धामी की पहल से श्रद्धालुओं को मिलेगा सुरक्षित और आसान सफर, सिख संगठनों ने जताया आभार

देहरादून, 3 सितंबर 2025: उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन और अवसंरचना विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत देश की सबसे बड़ी रोपवे परियोजना को हरी झंडी मिल चुकी है। गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक प्रस्तावित 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना, जिसकी अनुमानित लागत ₹2,730.13 करोड़ है, श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों के लिए आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव लेकर आएगी।

बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक भेंट कार्यक्रम में गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट और अन्य सिख संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार के इस प्रयास के लिए आभार जताया।


कठिन यात्रा अब होगी आसान

हेमकुंड साहिब सिख धर्म का पवित्र और ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है, जो समुद्र तल से 4,632 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अभी तक श्रद्धालुओं को वहां पहुंचने के लिए कठिन और जोखिमभरे पैदल मार्ग से गुजरना पड़ता था।

श्री एस. नरिंदर जीत सिंह बिंद्रा, अध्यक्ष श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट ने कहा,

“हेमकुंट साहिब तक पहुंचना बुजुर्गों, महिलाओं और असहाय श्रद्धालुओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। यह रोपवे न केवल यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाएगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।”


मुख्यमंत्री धामी का बयान: श्रद्धा और विकास का संगम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनिधिमंडल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को नई ऊंचाइयां मिल रही हैं।

उन्होंने कहा,

“हेमकुंट साहिब रोपवे केवल एक संरचनात्मक परियोजना नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत, आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। सरकार इस परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाएगी और हर चरण में पर्यावरणीय मानकों और स्थानीय भावनाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा।”


7,000 करोड़ की रोपवे परियोजनाओं का पैकेज

उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार के बीच हाल ही में हुए समझौते के तहत राज्य में लगभग ₹7,000 करोड़ की लागत से कई प्रमुख रोपवे परियोजनाओं का विकास किया जाएगा।

इस साझेदारी में राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स एवं निर्माण लिमिटेड (NHLML) और उत्तराखंड सरकार मिलकर एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) का गठन करेंगे।

  • 51% हिस्सेदारी केंद्र सरकार की होगी।
  • 49% हिस्सेदारी राज्य सरकार की होगी।

यह SPV रोपवे परियोजनाओं के निर्माण, संचालन, प्रबंधन और रखरखाव का जिम्मा संभालेगा।


श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए फायदे

हेमकुंड साहिब रोपवे के निर्माण से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यह परियोजना क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।

  • बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए यात्रा आसान होगी।
  • स्थानीय युवाओं को रोजगार और व्यवसायिक अवसर मिलेंगे।
  • पर्यावरण के अनुकूल ट्रांसपोर्टेशन से प्रदूषण घटेगा।
  • पर्यटन से होटल, परिवहन और स्थानीय सेवाओं की आय में वृद्धि होगी।

धार्मिक पर्यटन का नया युग

उत्तराखंड सरकार ने हाल के वर्षों में केदारनाथ, बदरीनाथ मास्टर प्लान, चारधाम यात्रा और अब हेमकुंड साहिब रोपवे जैसे प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता दी है। इन प्रयासों से राज्य में धार्मिक पर्यटन का नया अध्याय शुरू हो चुका है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि जब यात्रा आसान होगी तो श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि होगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।


कार्यक्रम में शामिल प्रतिनिधि

इस अवसर पर प्रमुख सिख संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इनमें शामिल थे:

  • एस. नरिंदर जीत सिंह बिंद्रा, अध्यक्ष श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट
  • एस. गुरबख्श सिंह राजन, अध्यक्ष सिंह सभा देहरादून
  • एस. गुलजार सिंह, सचिव सिंह सभा देहरादून
  • एस. गुरदीप सिंह, अध्यक्ष सिंह सभा डोईवाला
  • एस. ओंकार सिंह, अध्यक्ष सिंह सभा नूनावाला
  • एस. मोहिंदर सिंह बबली, अध्यक्ष सिंह सभा हरिद्वार
  • एस. हरमोहिंदर सिंह, अध्यक्ष सिंह सभा पटेल नगर
  • एस. साहब सिंह, अध्यक्ष सिंह सभा शेरगढ़
  • एस. बलबीर सिंह साहनी, अध्यक्ष गुरुद्वारा रेसकोर्स देहरादून
    साथ ही वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली भी मौजूद रहे।

हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना केवल श्रद्धालुओं की सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड के लिए आर्थिक प्रगति, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का अवसर भी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल से उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। आने वाले समय में यह परियोजना न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को नई ऊंचाई देगी, बल्कि प्रदेश की पहचान को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करेगी।

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